सांवर मल शर्मा
आसींद 22 नवंबर । लाछुड़ा गांव में गंगोत्री धाम में चल रही विष्णु महापुराण कथा के तीसरे दिन बताया कि” हर हर महादेव शम्भू, काशी विश्वनाथ गंगे ” श्री शिव महापुराण के तीसरे दिन की कथा में पूज्य कृष्णप्रिया जी ने भगवान शिव के इस दिव्य संकीर्तन से कथा का शुभारम्भ किया । शिव की महिमा का वर्णन करते हुए उन्होंने बताया कि भगवान शिव ओघड दानी हैं आशुतोष हैं बहुत थोड़े में ही अति प्रसन्न हो जाते हैं इसीलिए उन्हें देवों के देव महादेव कहा जाता है… उनकी पूजा करने से हमें उनकी कृपा व भक्ति प्राप्त होती है जिससे हमारे जीवन में सुख-समृद्धि आती है और सभी मनोकामना पूर्ण होती हैं ।
कथा के तीसरे दिवस पर राजस्थान के भीलवाड़ा में हजारों श्रद्धालुओं का आगमन हुआ साथी आसपास के गांव से भी पूज्या देवी जी की वाणी को सुनने लोग आये.. कथा का आयोजन शनि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के उपलक्ष में दिनांक 20 से 26 नवंबर तक गंगोत्री धाम, लाछुड़ा किया जा रहा है ।
वही समाज सेवी ताराचंद मेवाड़ा ने बताया कि 21 जुलाई को पहले दिन 55 जोड़ो ने आहुति दी वहीं दूसरे दिन 22 जुलाई को 51 जोड़ो ने आहुति दी
यज्ञ का कार्यक्रम सुबह 8 बजे 12 बजे तक रहता है
वही कथा का समय दिन में 1 बजे से 4 बजे तक रहता है
वही शाम रोजाना 8 बजे से 10 बजे तक अलग अलग तरीके की झांकियों की प्रस्तुति दी जाती है जिसने दिल्ली से आय हुए कलाकारों द्वारा सुंदर प्रस्तुति दी जाती है ।
पूज्य कृष्णप्रिया जी ने आगे बताया कि भगवान शिव हम सभी के भीतर विराजमान हैं अगर वो शिव वह चेतना हमारे अंदर से निकल जाए तो हम शव हो जायेंगे… इसलिए जीवन के प्रत्येक को शिवमय बनाएं और उनकी भक्ति में लगाएं… भगवान शिव की भक्ति दूसरों के लिए जीवन जीना सिखाती है… परमार्थ सिखाती है..
शिव महापुराण कथा हमें हमारे जीवन के उद्देश्य को समझाती है, हमें किस प्रकार का जीवन जीना चाहिए, अपने जीवन में धर्म कर्म भक्ति को एकसाथ लेकर कैसे चला जाए ये विभिन्न बातें शिवकथा हमें सीखलाती है.. कभी भी कर्म और धर्म को छोड़कर भक्ति नहीं की जा सकती बल्कि अपने कर्मों को इतना पवित्र और पावन रखें की वही भक्त बन जाए..
” राजस्थान की भूमि संस्कृति और संस्कारो की भूमि है.. यहाँ की संस्कृति, खान पान देश विदेश को अपनी ओर आकर्षित करता है साथ ही यह भूमि भक्ति और त्याग और बलिदान कि भी भूमि है यहां मीराबाई, जयमल, धन्नाजाट, करमा बाई, भामाशाह,महाराणा प्रताप जैसे अनेक दिव्य भक्त हुए जो कि आज भी अजर अमर हैं .. इसलिए इस संस्कृति, भक्ति एवं परंपराओं को सदैव संजोकर रखें.. ओ की महिमा का वर्णन करते हुए परमपूज्या कृष्ण प्रिया जी ने बताया कि भगवान शिव के पांच मुखो से ॐ की उत्पत्ति हुई.. उससे पांच सगुण अक्षरों की प्राप्ति हुई जिसे नमः शिवाय कहते हैं.. केवल ध्यान और शुद्ध अवस्था में ॐ का जाप करना चाहिए और हरक्षण हर अवस्था में नमः शिवाय का जाप अत्यंत लाभकारी होता है.. जो व्यक्ति “सवा लाख ” नमः शिवाय का जप कर लेता है वह स्वयं को जान लेता है.. कोई पांच लाख जप कर ले तो वह असमय मृत्यु पर विजय प्राप्त कर लेता है.. और जो 5 करोड़ शिव के नाम जाप कर ले वह साक्षात शिव के तुल्य हो जाता है.. वास्तव में गिनती में प्रभु नहीं है लेकिन इतने गिनने पर कम से कम एक बार तो भाव से प्रभु का स्मरण होगा बस उसी क्षण प्रभु की प्राप्ति हो जाएगी.. कथा में शिवलिंगो की महिमा का विस्तार पूर्वक वर्णन करते हुए बताया कि शिवलिंग स्वयं तो अति पवित्र है ही साथ ही उसके आसपास के क्षेत्र भी तीर्थ धाम रूपी फालदाई होते है.. शिव कुरान में कई तरह के शिवलिंग का वर्णन आता है जिसमें आटे के शिवलिंग, शहद के शिवलिंग, दही के शिवलिंग, परिवार में कलह शान्ति हेतु मक्खन शिवलिंग , यश प्राप्ति हेतु मोती के शिवलिंग, वाणी सिद्ध हेतु माणिक, मिट्टी के पार्थिव शिवलिंग सभी बधाओं को दूर करने के लिए उनकी पूजा करनी करनी चाहिए जो कि एक अंगुल के बराबर होने चाहिए.. सबसे महत्वपूर्ण शिवलिंग बाण लिंग के नर्मदेश्वर महादेव की है जो कि केवल एक लोटा जल से हर एक परेशानी और दुख को दूर करते हैं ।