असम में अब गोमांस पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान इस फैसले की जानकारी दी। उन्होंने कहा कि असम मंत्रिमंडल ने राज्य के होटलों, रेस्टोरेंट्स और सार्वजनिक स्थानों पर गोमांस पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया है।
मंत्री पीयूष हजारिका का बयान
बीफ पर प्रतिबंध लगाने के फैसले के बाद असम के मंत्री पीयूष हजारिका ने ट्विटर पर एक पोस्ट किया, जिसमें उन्होंने असम कांग्रेस को चुनौती दी। उन्होंने कहा कि कांग्रेस इस फैसले का स्वागत करें या फिर पाकिस्तान में जाकर बस जाएं। उनका यह बयान राजनीतिक हलकों में चर्चा का विषय बन गया है।
कहां-कहां बैन गोमांस
बता दें कि सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि असम में होटल, रेस्टोरेंट और किसी भी सार्वजनिक स्थल पर अब बीफ न तो परोसा जाएगा और न ही इसे खाया जा सकेगा। हालांकि, घर के अंदर यदि कोई बीफ खाना चाहता है, तो उसे इस पर कोई रोक नहीं होगी। इस नए कानून के लागू होने के बाद, राज्य भर में बीफ पर प्रतिबंध लागू कर दिया जाएगा, जिससे इन स्थानों पर इसकी बिक्री और सेवन पूरी तरह से प्रतिबंधित हो जाएगा।
अब कोई नहीं खा पाएगा- बीफ
सीएम हिमंता बिस्वा सरमा ने घोषणा की है कि- असम में अब किसी भी होटल या रेस्टोरेंट में गोमांस परोसा नहीं जाएगा और न ही इसे किसी सार्वजनिक समारोह या स्थान पर खाने की अनुमति होगी। उन्होंने कहा कि इस फैसले के तहत राज्यभर में गोमांस की खपत को पूरी तरह से बंद कर दिया जाएगा। पहले उनका निर्णय मंदिरों के पास गोमांस खाने पर रोक लगाने का था, लेकिन अब इसे पूरे राज्य में लागू किया गया है, जिसका मतलब है कि अब इसे किसी भी समुदाय में नहीं खाया जा सकेगा।
क्या भारतीय खाते हैं बीफ
नेशनल सैम्पल सर्वे की 2011-12 की रिपोर्ट के अनुसार भारत में लगभग आठ करोड़ लोग बीफ का सेवन करते हैं, जो देश की कुल आबादी का करीब 7.5 प्रतिशत है। वहीं सबसे ज्यादा बीफ मुस्लिम समुदाय में खाया जाता है। लगभग 6.34 करोड़ मुस्लिम बीफ खाते हैं. वहीं, 65 लाख ईसाई बीफ खाते हैं. जबकि 1.26 करोड़ हिंदू भी ऐसे हैं जो बीफ खाते हैं।
वहीं बीफ की खपत में मेघालय सबसे आगे है, जहां की लगभग 81 प्रतिशत आबादी बीफ का सेवन करती है। इसके बाद लक्षद्वीप आता है, जहां 77 प्रतिशत लोग बीफ खाते हैं। अन्य राज्यों में, नागालैंड में 58 प्रतिशत, सिक्किम में 31 प्रतिशत, जम्मू-कश्मीर में 30 प्रतिशत, केरल और अरुणाचल प्रदेश में 25-25 प्रतिशत, मणिपुर में 24 प्रतिशत, मिजोरम में 23 प्रतिशत, और असम में 22 प्रतिशत लोग बीफ खाते हैं।
कांग्रेस और बीफ पर प्रतिबंध
हाल ही में मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने यह भी कहा था कि अगर कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष भूपेन कुमार बोरा उन्हें पत्र लिखकर इस मुद्दे पर अपनी राय व्यक्त करते हैं, तो वह बीफ पर प्रतिबंध लगाने के लिए तैयार हैं। इस प्रकार, उन्होंने कांग्रेस को बीफ पर प्रतिबंध के संबंध में अपनी स्थिति स्पष्ट करने का अवसर दिया।
कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन का आरोप
कांग्रेस सांसद रकीबुल हुसैन ने बीजेपी पर आरोप लगाया था कि पार्टी ने नगांव जिले के सामगुरी विधानसभा क्षेत्र में एक बीफ पार्टी का आयोजन किया था। उनका कहना था कि इस आयोजन का मुख्य उद्देश्य मुस्लिम मतदाताओं को आकर्षित करना था। हुसैन ने यह भी दावा किया कि उनके पास इस बात के ठोस सबूत हैं, और वह चुनाव आयोग द्वारा पूछे गए किसी भी सवाल का जवाब देने के लिए तैयार हैं।
मुख्यमंत्री का जवाब
इस आरोप पर मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने प्रतिक्रिया दी और कहा कि वह इस मुद्दे पर राज्य कांग्रेस अध्यक्ष भूपेन बोरा को पत्र लिखेंगे। उन्होंने कहा कि वह भूपेन बोरा से पूछेंगे कि क्या वह रकीबुल हुसैन की तरह बीफ पर प्रतिबंध लगाने के पक्ष में हैं। अगर हां, तो वह अगले विधानसभा सत्र में बीफ पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने का कदम उठाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि तब बीजेपी, एजीपी, और सीपीएम जैसे दलों के लिए भी बीफ देना मुश्किल हो जाएगा, और सभी धर्मों के लोग, चाहे वे हिंदू, मुस्लिम या ईसाई हों, को बीफ खाना बंद कर देना चाहिए।
असम सरकार का यह निर्णय राज्य की राजनीति में महत्वपूर्ण मोड़ ला सकता है। बीफ पर प्रतिबंध लगाने की इस पहल को लेकर विभिन्न राजनीतिक दलों में चर्चाएँ जारी हैं, और आगामी दिनों में यह मुद्दा और भी गरमाने की संभावना है।