काछोला में रामायण रामलीला का जीवंत मंचन परवान पर
काछोला 14 दिसम्बर -स्मार्ट हलचल/कस्बे के सार्वजनिक धर्मशाला बगीची परिसर में रामलीला प्रसंग मुनी आगमन|एक दिन विश्वामित्र जी यज्ञ प्रारंभ करते हैं कुछ निशाचर आकर उनकी यज्ञ खण्डित करते हैं तो वह ध्यान लगाते हैं कि कहीं श्री हरि विष्णु भगवान का अवतार हुआ है या नहीं जैसे ही उन्हे ज्ञात होता है की अयोध्या में चक्रवर्ती सम्राट चूड़ामणि श्री महाराज दशरथ के यहां श्री हरी विष्णु भगवान का चारों अंशों के सहित अवतार हो चूका है तुरंत अयोध्या में आते हैं और महाराज के राज दरबार में पहुंच कर महाराज दशरथ से अपने यज्ञ की रक्षा हेतु अनुनय विनय करते हैं हे राजन मैं आशुरो के अत्याचारों से अकुलाया और घबराया।
इसलिए आप अपने पुत्र राम और लक्ष्मण को कुछ दिनों के लिए मुझे सौप दो इसमें आपका भी पूर्ण सुयश होगा और उन दोनों का भी कल्याण होगा और गुरूदेव वशिष्ठ जी के कहने पर महाराजा दशरथ जी राम और लक्ष्मण को विश्वामित्र महाराज जी को सौंप देते हैं और तब तब प्रभु श्री रामचंद्र जी महाराज दशरथ से और माता कौशल्या से आशीर्वाद लेकर गुरुदेव विश्वामित्र जी के साथ बक्सर वन विहार के लिए प्रस्थान करते हैं।यह प्रसंग देख श्रद्धालु हतप्रभ रह जाते है और पांडाल जयकारों से गुंजायमान हो गया।यह जानकारी पंडित अनिरुद्ध शुक्ला ने प्रसंग की जानकारी दी।