भीलवाड़ा। नवीन वस्तुओं की खोज और पुरानी वस्तुओं एवं सिद्धान्तों का पुनः परीक्षण करना, जिससे कि नए तथ्य प्राप्त हो सकें, उसे शोध कहते हैं। शोध उस प्रक्रिया अथवा कार्य का नाम है जिसमें बोधपूर्वक तथ्यों का संकलन कर व्यवस्थित व सावधानीपूर्वक सूक्ष्म बुद्धि से तथ्यों का अवलोकन कर नए तथ्यों या सिद्धांतों का उद्घाटन किया जाता है। जिले के उपनगर पुर के शोधार्थी शाहिद हुसैन मंसूरी ने जनार्दन राय नागर राजस्थान विद्यापीठ विश्वविद्यालय उदयपुर से सम्बद्ध लोकमान्य तिलक शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय डबोक, उदयपुर से एम. एड. के दौरान अपना अनुसंधान कार्य महात्मा गाँधी राजकीय विद्यालयों में स्थायी एवं संविदा पर नियुक्त शिक्षकों के कार्य मूल्य एवं कार्य सन्तुष्टि का तुलनात्मक अध्ययन (Comparative Study of Work Values and Job Satisfaction of Teachers Appointed on Permanent and Contract Basis in Mahatma Gandhi Government Schools) विषय पर डॉ. रेणु हिंगड़ (सहायक आचार्य, लोकमान्य तिलक शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय डबोक, उदयपुर) के मार्गदर्शन में पूरा किया।लोकमान्य तिलक शिक्षण प्रशिक्षण महाविद्यालय डबोक, उदयपुर की प्राचार्या डॉ. सरोज गर्ग एवं बी.एड. एम.एड. प्रभारी डॉ. बलिदान जैन के सहयोग से पूर्ण हो सका।इस शोध कार्य के लिए पूरे महाविद्यालय परिवार ने शोधार्थी शाहिद हुसैन मंसूरी को बधाई दी। इसी के साथ मंसूरी ने भी सभी का धन्यवाद करते हुए अपने शोध के बारे मे बताते हुए कहा की ये अध्ययन न केवल शिक्षा नीति के लिए उपयोगी साबित होगा बल्कि भविष्य मे शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया ओर शिक्षक प्रशिक्षण मे सुधार के लिए भी दिशा दिखा सकता है।