सांवर मल शर्मा
बदनोर । चैनपुरा श्री संघ में विराजित श्रमण संघीय जैन दिवाकरिया महासाध्वी डॉ श्री संयमलताजी म. सा.,डॉ श्री अमितप्रज्ञाजी म. सा.,डॉ श्री कमलप्रज्ञाजी म. सा.,श्री सौरभप्रज्ञाजी म. सा. आदि ठाणा 4 के सानिध्य में एवं जवेरिलालजी, विनोद कुमारजी,कमलेशजी बोरदिया परिवार द्वारा आयोजित महामंगलकारी अनुष्ठान एवं प्रवचन का भव्य आयोजन हुआ। धर्म सभा को संबोधित करते हुए महासती संयमलता ने कहा तन्मयता के साथ हर असंभव कार्य भी संभव बन जाता है। एकाग्रता के अभाव में प्रार्थना, प्रार्थना नहीं केवल प्रदर्शन एवं दिखावा मात्र रह जाती है। सच्ची आस्था हो तो रास्ता निकल जाता है और रास्ता मिल जाए तो उसे परमात्मा से वास्ता बनाने में देर नहीं लगती। साध्वी ने आगे कहा जिस दिन श्रद्धा का दीप बुझ जाएगा,उस दिन संसार मर जाएगा। क्योंकि जीवन की एक-एक ईट आस्था की नींव पर रखी गई है। बिना श्रद्धा के ना तो संसार चलता है और ना ही मुक्ति का द्वार खुलता है। आस्थावान व्यक्ति संसार में भटक नहीं सकता जैसे घोड़े की लगाम मालिक के हाथ में होती है वह घोड़ा भटक नहीं सकता। कितना भी दुख, पीड़ा,संकट आ जाए लेकिन प्रभु के प्रति आस्था मत खोना। उस समय हम यही चिंतन करें कि सुख-दुख के क्षण चले जाएंगे। श्रद्धा आपको प्रभु से मिलाने का काम करती है। श्रद्धा नौका है जो आपको किनारे तक पहुंचा देगी। श्रद्धा मीरा जैसी हो जिसके जहर का प्याला अमृत बन गया था। भक्ति के वश में श्री राम भीलनी के जूठे बेर तक खा लेते हैं। श्रद्धा आपके जीवन की आस तथा प्यास बन जाए तो आप भी सुदर्शन बन जाएंगे। साध्वी ने आगे कहा दुनिया आस्था के दम पर जिंदा है। जिस दिन आस्था का दीप बुझ जाएगा उस दिन संसार मर जाएगा। व्यर्थ यहां वहां मत भटको, वीतरागी की शरण को प्राप्त हो जाओ। लेकिन व्यक्ति की आस्था पदार्थों की ओर है परमात्मा की ओर नहीं। शक्ति से भक्ति नहीं होती बल्कि भक्ति से शक्ति आती है।आसीन्द संघ, बदनोर संघ, भीम संघ, हैदराबाद, बारडोली, बैंगलोर, अहमदाबाद, मुंबई, सूरत, भीलवाड़ा, चित्तोड़, पूर, आदि अनेक उपनगरों से श्रद्धालु उपस्थित रहें। सम्पूर्ण कार्यक्रम का लाभ जवेरिलालजी, विनोद कुमारजी,कमलेशजी बोरदिया परिवार ने लिया। संचालन कमलेश बोरदिया ने किया। 1 जनवरी को बदनोर संघ में बीजाक्षरी अनुपूर्वी अनुष्ठान एवं बड़े मंगलपाठ का आयोजन किया जायेगा। यह जानकारी श्री वर्धमान जैन स्थानकवासी श्रावक संघ बदनोर अध्यक्ष अंकित पीपाङा ने दी ।