भीलवाड़ा । सालाना 1.5 मिलियन कैंसर मरीजों की संख्या के साथ भारत स्वास्थ्य के क्षेत्र में कई संकटों से घिरा हुआ है और अब इस घातक बीमारी से लड़ने के लिए तैयार हो रहा है। भारत में कैंसर के सबसे आम प्रकारों में मुंह, स्तन, फेफड़े, सर्वाइकल और कोलोरेक्टल कैंसर हैं। आईसीएमआर की राष्ट्रीय कैंसर रजिस्ट्री कार्यक्रम रिपोर्ट 2020 में, 2025 तक कैंसर के मामलों में 12% की वृद्धि का अनुमान लगाया गया है। अनुमान के अनुसार और मौजूदा रुझानों के आधार पर 2025 तक लगभग 15.7 लाख कैंसर के मामले होंगे। हालाँकि कैंसर के आँकड़े चिंताजनक हैं, लेकिन वे उपचार के लिए नई तकनीकों को अपनाने के महत्व पर भी प्रकाश डालते हैं। आज के दौर में कैंसर का इलाज लगातार जारी है, तकनीक में प्रगति के माध्यम से अब हम कम दुष्प्रभावों के साथ कैंसर कोशिकाओं को बेहतर तरीके से ख़त्म करने में सक्षम हैं। ऐसी ही एक थेरेपी जिसने उल्लेखनीय परिणाम दिखाए हैं वह है रेडिएशन थेरेपी। रेडिएशन थेरेपी, जिसे रेडियोथेरेपी भी कहा जाता है इसमें कैंसर कोशिकाओं को मारने के लिए तीव्र ऊर्जा की किरणों का उपयोग किया जाता है। परंपरागत रूप से, रेडिएशन थेरेपी बड़ी, गैन्ट्री-आधारित मशीनों पर निर्भर करती है जो टारगेटेड एरिया में तीव्र ऊर्जा वाली किरणों को पहुंचाती है। हालांकि विकसित हुई तकनीक के कारण अब यह हमारे पास बेहतर सटीक उपचार और अधिक कॉम्पैक्ट डिजाइन के साथ उपलब्ध है।
भारत को नई टेक्नोलॉजी और तकनीकों में भारी निवेश की जरूरत है। कैंसर रोगियों के सुलभ उपचार के लिए, नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर ने हाल ही में नए हैल्सियॉन बी लीनियर एक्सेलेरेटर (LINAC) का शुभारंभ किया। हॉस्पिटल के रेडिएशन ऑन्कोलॉजी विभाग ने उन मरीजों को सुरक्षित और प्रभावी रेडियोथेरेपी देने के लिए इस मशीन का उपयोग शुरू कर दिया है, जिन्हें स्तन, गायनेकोलॉजिकल, प्रोस्टेट, सिर, गर्दन और न्यूरोलॉजिकल कैंसर के इलाज की आवश्यकता होती है।
लीनियर एक्सेलेरेटर से लेकर उन्नत मशीनों तक का विकास
नारायणा हॉस्पिटल, जयपुर की रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट कंसल्टेंट डॉ. पूनम गोयल ने बताया की “अत्याधुनिक LINAC मशीन तीव्र ऊर्जा के कण या किरणें उत्पन्न करती है, जो मरीज के शरीर के भीतर सटीक स्थान पर कैंसर कोशिकाओं को नष्ट या क्षतिग्रस्त करने के लिए फोकस्ड बीम प्रदान करती है। यह टारगेटड अप्रोच या तो ट्यूमर को छोटा कर देता है या सर्जरी के बाद इसके दोबारा विकास को रोक देता है। मशीन पर प्रत्येक सेशन लगभग 5-6 मिनट तक चलता है, जिससे अधिकांश मरीजों को उपचार के लिए हॉस्पिटल में नहीं रहना पड़ता है।लीनियर एक्सेलेरेटर (LINACs) रेडिएशन थेरेपी का मुख्य आधार रहे हैं हालाँकि हैल्सियॉन बी जैसी विकसित मशीनों ने LINACs की कई सीमाओं को खत्म करने का काम किया है।
रेडिएशन थेरेपी के प्रमुख प्रकार
रेडिएशन थेरेपी के मुख्य रूप से दो प्रकार हैं- एक्सटर्नल (बाह्य) बीम थेरेपी और इंटरनल (आंतरिक) रेडिएशन थेरेपी या ब्रैकीथेरेपी। एक्सटर्नल बीम में, जैसा कि नाम से पता चलता है, शरीर के बाहर से रेडिएशन किरणें, एक लीनियर एक्सेलेरेटर (LINACs) नामक मशीन का उपयोग करके आती हैं। आंतरिक थेरेपी में शरीर के अंदर ट्यूमर के पास रेडियोएक्टिव पदार्थ को रखा जाता है। ऐसे ही मशीन हैल्सियॉन बी एक बाह्य बीम थेरेपी है जिसके काफी फायदे है |
हैल्सियॉन B को क्या ख़ास बनाता है?
– सीमलेस इंटीग्रेशन: यह एक इंटीग्रेटेड डिजाइन वाला उपकरण है जो एक बहुत बड़ी मशीन के बजाय सीटी स्कैनर जैसा दिखता है। इससे रोगी की चिंता कम हो जाती है और उपचार का अधिक आरामदायक माहौल तैयार हो जाता है।
उपचार की गति: हैल्सियॉन बी उपचार के समय को काफी कम कर देता है, अक्सर सेशन 6 मिनट से कम समय में पूरा हो जाता है।
इमेज निर्देशित सटीकता : हैल्सियॉन बी उन्नत इमेजिंग क्षमताओं से लैस है, जो उपचार के दौरान वास्तविक समय में ट्यूमर ट्रैकिंग और डोज़ को एडजस्ट करने की अनुमति देता है। यह अधिकतम सटीकता सुनिश्चित करता है और स्वस्थ ऊतकों पर रेडिएशन के जोखिम को कम करता है।
व्यक्तिगत देखभाल: मशीन का उपचार की योजनाओं हर व्यक्ति के लिए अलग और उसके हिसाब से होती है, जो व्यक्तिगत रोगी की जरूरतों और ट्यूमर के स्थान के हिसाब से कार्य करता है। व्यक्तिगत आधार पर उपचार से बेहतर परिणाम मिलते हैं और दुष्प्रभाव भी कम होते हैं।
भारत में हैल्सियॉन बी जैसी तकनीकों के कारण रेडिएशन थेरेपी में उल्लेखनीय प्रगति देखी गई है, खासकर तीव्रता-संग्राहक (इंटेंसिटी-मॉड्यूलेटेड) रेडियोथेरेपी (आईएमआरटी), इमेज निर्देशित रेडियोथेरेपी (आईजीआरटी) और रैपिडआर्क काफ़ी प्रभावी साबित हुए हैं। इन तकनीकों का उद्देश्य प्रभावित ट्यूमर को सटीक रूप से टारगेट करके, दुष्प्रभावों को कम करके और उपचार के प्रभाव को बढ़ाकर कैंसर के उपचार में क्रांति लाना है।