गुजरात के सुदूर दूर प्रदेशों में बसे मारवाडियो की जीवन दशा
दिनेश साहू आसींद
आसींद (भीलवाड़ा) : स्मार्ट हलचल/राजस्थान प्रदेश ने हमेशा संघर्षों को झेला है, पानी की कमी तथा रोजगार के संसाधनों की अनु उपलब्धता व परिवार को लालन पालन के लिए वर्षों पूर्व क्षेत्र के लोग गुजरात की ओर प्रस्थान करने लगे lवैसे राजस्थान में मेवाड़, शेखावाटी,ढूंढाड़,मारवाड़ अलग-अलग हैं लेकिन गुजरात के लोग इन सब क्षेत्र को एक ही नजर से देखते हैं मारवाड़ तथा इन क्षेत्र के लोगों को मारवाड़ी lगुजरात में बसे मारवाड़ीयो की जीवन शैली देखते ही बनती हैं, अलग-अलग व्यवसाय में लिप्त इन बहादुर मारवाडी यो की मेहनत देखकर गुजराती चौकन्ना रह जाते हैं ,
व्यवसाय भी ये मारवाड़ी लोग हर तरह के कर लेते हैं किराने की दुकान हो,आइसक्रीम का ठेला हो, चाय की दुकान से लगाकर नाश्ते की लारी हो और भी कई मेहनत के काम करने में पीछे नहीं हटते हैं,
गुजरात के छोटे से गांव जहां शायद किसी गांव में पक्के मकान भी संभावना भी ना हो वहां यदि एक किराने की दुकान मिली तो वह शत प्रतिशत मारवाड़ी की ही होगी,
गांव में लगी यह है किराने की दुकान किसी मॉल से कम नहीं होती, इस दुकान में आपको आवश्यकता की हर एक वस्तु राशन सामग्री, सब्जी, जूते चप्पल, मोबाइल रिचार्ज अन्य सभी तरह की सामग्री आपको उपलब्ध रहेगी l
राजस्थान के इन मारवाड़ियो की गुजरात में जीवन गाथा एक अलग ही व्याख्यान देती है l
राजस्थान के जैन,राजपूत,कुमावत माली,ब्राह्मण,तेली, गुर्जर, जाट, विश्नोई सुथार आदि कई जातियों के लोग वर्षों से व्यापारिक दृष्टि से जीवन व्यापन कर रहे हैं l