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होली गंगा मेले में कानपुर के नेताओं और अधिकारियों पर चले हास्य- व्यंग के तीर

कानपुर। स्मार्ट हलचल/यहां सरसैया घाट पर लगने वाले एतिहासिक होली गंगा मेले के दौरान स्थानीय जनप्रतिनिधियों ,पुलिस और प्रशासन के अधिकारियों पर बुरा ना मानो होली है के उद्घोष के साथ चलाये गये हास्य – व्यंग के तीरों की बानगी कुछ इस तरह से रही।

-जन प्रतिनिधि-
– – – – – – – – – – –
रमेश अवस्थी :
सभी जानते मेरे भाई।
किसके बल पर मैंने पाई॥

देवेन्द्र भोले :
बड़े जुगाड़ से पाया पार।
नहीं तो निश्चय जाता हार॥
लाभ हेतु सब जारी है ।
क्योंकि अंतिम पारी है॥

सतीश महाना:
उसने तो पक्का निपटाया,
तभी नहीं मंत्री बन पाया।

अरुण पाठक :
मेरे ईश्वर यही मनाऊं,
दो झगड़ें मंत्री बन जाऊं।

प्रकाश पाल :
मुझको भी तो समझो यार।
सीट का मतलब कई हजार॥

मानवेंद्र सिंह
समझ कहां वे आते हैं।
जो काम से दाम बनाते हैं।।

महेश त्रिवेदीः
मेरी सत्ता, मेरा खेल |
सच में रहा करोड़ों पेल॥

सुरेन्द्र मैथानी:
मुझको भी यह ज्ञान है।
किसका रखना ध्यान है ॥

अभिजीत सांगाः
भइया हम तो खुला बताते।
मिटटी से भी बहुत कमाते॥

नीलिमा कटियारः
मैं भी भाई सत्य बताऊं।
बिल्कुल अंदर-अंदर खाऊं।

सलिल विश्नोई:
अंदर-अंदर करूं प्रहार।
भूला नहीं लट्ठ की मार॥

राहुल बच्चा सोनकरः
मैं भी भैया सही बताता।
बड़े जतन से काम बनाता।।

प्रतिभा शुक्ला :
है चालाकी उनसे मेल।
मेरा भी तगड़ा है खेल॥

अमिताभ बाजपेईः
मुश्किल से फिर पाई यार।
काफी कुछ देता हूं मार॥

इरफान सोलंकी:
खत्म हो गया मेरा खेल।
बची जिंदगी ,रहना जेल॥

नसीम सोलंकी :
क्या वह हमें बताएंगे।
कबतक उन्हें सड़ायेंगे॥

मो. हसन रूमीः
भाई सच यह बता रहा हूं।
सीट के बल पर कमा रहा हूं॥

सरोज कुरील :
पता नहीं फिर पाएंगे,
क्यों फिर नहीं कमाएंगे।

प्रमिला पांडेय :
फेल विरोधी की हर चाल,
जीत आपकी, मेरा माल।

अनिल दीक्षित :
सेवा पाल काम है आई
उसने ही कुर्सी दिलवाई।

शिवराम सिंह :
ईश महान महाना भाई,
तभी तो कुर्सी फिर हथियाई।

उपेन्द्र पासवान :
पूर्व विधायक तो क्या भाई,
यह कुर्सी भी बहुत कमाई।

स्वप्निल वरुण:
कर्म भाग्य जब साथ निभाए,
मेरे जैसा वह फल पाए।

कमिश्नरेट पुलिस
– – – – – – – – – –
एडीजी जोन:
निज कर्तव्य निभाना आये।
ईश्वर केवल शुभ करवाये॥
राह उचित निश्चय अपनाना,
निज पग पीछे नहीं हटाना ॥

पुलिस कमिश्नरः
सेवा धर्म निभाते जाते।
जनहित राह सदा अपनाते।।
क्रिमिनल गर्दन रहे मरोड़।
इनका नहीं कोई है जोड़।।

जेसीपी एल ओ :
ड्यूटी वही पुराना खेल,
रखना आए सबसे मेल।

जेसीपी हेड क्वाटर :
समझ ना पाऊं।
क्या कर जाऊं॥

आई जी रेंजः
जिनसे – जिनसे नाता है।
काफी कुछ हो जाता है।I

डीसीपी साउथ :
कुछ तो किए जाना है।
बस ऐसे ही पाना है॥

डीसीपी पश्चिम :
बस करते ही जाते हैं।
सोचो क्या कुछ पाते हैं॥

डीसीपी पूर्वी :
ईश्वर काम बनाता है।
काफी कुछ हो जाता है।।

डीसीपी सेंट्रल :
अपना है कर्तव्य निभाना।
जैसे भी हो काम बनाना॥

डीसीपी ट्राफिक :
सच कहते हैं मेरे भाई।
कई कर रहे बहुत कमाई॥

डीसीपी क्राइम :
कैसे पाऊं भाई पार।
कुछ अच्छी, बाकी बेकार।।

डीसीपी हेड क्वाटर :
मेरी तो कुछ समझ ना आये।
जो चाहे ईश्वर करवाये॥

एस पी कानपुर देहात
जो संभव वह होता जाए, पता नहीं नंबर कब आए।

—-जिला प्रशासन—-

कमिश्नर प्रशासन :
आगे बढ़ कर पाना है।
काफी कुछ कर जाना है।।

जिलाधिकारी:
सम्भव सभी कराते जाना।
केवल निज कर्तव्य निभाना।।

वीसी केडीए:
इच्छा खत्म कहां हो पाए,
अक्सर लाख करोड़ दिखाये।।

आयुक्त नगर निगम:
जबतक भाई न जाऊंगा।
तब तक खुला कमाऊंगा।।

एडीएम सिटी:
बहुत मजे हैं मेरे यार।
सबको मौका ,सबको प्यार।।

ए डी एम राशनिंग:
मेरी बात झूठ ना भाई।
कई लाख हर माह कमाई।।

डी एस ओ :
मेरा भाई नहीं है जोड़।
हर माह लगभग सवा करोड़।।

सी एम ओ
मेरी भी बन आई है,
प्रति दिन लाख कमाई है।

एम डी केस्को:
सत्य समझ तू भाई जाये।
कुर्सी भारी लाभ दिलाये।।

आर टी ओ :
मेरे आगे सारे फेल।
हर दिन हो लाखों में खेल।।

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