धनोप माता श्रद्धालुओ को आस्था का प्रसिद्ध एवं विशाल धाम है,सैकडो श्रद्धालुओ की मनोकामनाएं होती पूर्ण।
एक तरफ खारी व दूसरी तरफ मानसी नदी के छोर पर स्थित प्रसिद्ध भवानी धनोप मां का मंदिर
शाहपुरा@(किशन वैष्णव)पंचायत समिति क्षेत्र का प्रसिद्ध धार्मिक स्थल शक्तिपीठ धनोप माताजी में नवरात्रा मेला घट स्थापना के साथ शुरू शनिवार को शुरू हो चुका है जो दशमीं सोमवार 7 अप्रैल तक तक चलेगा। ट्रस्ट अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह ने बताया अमावस्या को मंत्रोच्चारण के साथ अभिजीत मुहूर्त में प्रधान पुजारी राम प्रसाद पंडा व मंदिर ट्रस्ट कार्यकर्ताओं के सानिध्य में विधि विधान से पूजा अर्चना कर घट स्थापना की गई। घटस्थापना आरती के पश्चात पुजारी ने सभी दर्शनार्थियों को चरणामृत व आरती दी।मेले की शुरुआत के साथ श्रद्धालुओं का आना प्रारंभ हो गया है साथ ही दुकानें लगना भी शुरू हो चुकी है l।
*माता के दर्शन मात्र से ही होती है मनोकामना पूरी*
मेवाड के शक्तिपीठो में से एक प्राचीन शक्तिपीठ धनोप माता का मन्दिर भीलवाड़ा से 80 किलोमीटर की दूरी फूलिया कलां उपखंड दिल्ली मुम्बई मेगा हाईवे व बिजयनगर -गुलाबपुरा रेलवे स्टेशन से 30 किलोमीटर की दूरी पर खारी नदी व दूसरी तरफ मानसी नदी के छोर पर स्थित हे।
*धनोप शक्तिपीठ का इतिहास जिससे प्रसिद्ध हुई मां धनोप।*
मंदिर ट्रस्ट अध्यक्ष सत्येंद्र सिंह राणावत ने बताया कि विष्णु पुराण में 6000 वर्ष पुरानी वर्ष पुरानी दैनिक भागवत के अनुसार 5000 से 6000 हजार वर्ष पुरानी है। धनोप का राजा धुन्ध जो खारी नदी के तट पर किले में रहता था जो किला आज भी मौजूद है, राजा भगवान जगन्नाथ के दर्शन करने उड़ीसा जा रहे थे कोलकता में माता ने दर्शन दिया और कहा कि तू वापस चला जा मैं तेरे धनोप स्थित टीले पर ही हूं और जगदीशवरी हूं। राजा ने मातेश्वरी की बात को ना मान कर अपनी यात्रा जारी रखी । कोलकाता के आगे निकलने के दौरान राजा की नेत्र ज्योति चली गई। मातेश्वरी द्वारा कही गई बात पर राजा ने पुनः विचार किया व कलकत्ता लौटने पर नेत्र ज्योति वापस आ जाने का पर्चा दिया
राजा धनोप पूछकर ग्राम वासियों को साथ लेकर ढोल नगाड़ों के साथ ऊचे टीले पर पहुचे जहां माता प्रकट हुई सात मूर्तियां श्री अष्टभुजा, श्री अन्नपूर्णा , श्री चामुंडा, श्री महिषासुरमर्दिनी (बिश्वनजी), श्री कालका इन पांचों मूर्तियो सहित 2 अदृश्य मूर्तियां जो दर्शन नही देती । माताजी का श्रृंगार आज भी फूल पत्ती द्वारा किया जाता है एवं क्षेत्र के लिए पानी की समस्या के स्थाई समाधान हेतु कुआं आज भी मौजूद है। ।यह करीब 1100 सो से 1200 वर्ष पुरानी बात हे।
*एक नजर ऐतिहासिक घटना*
कन्नौज के राजा जयचंद व चित्तौड़ के महाराणा समर सिंह के मध्य युद्ध के दोरान सन्धि मे राजा जयचंद ने छतरी बनाई व चित्तौड़ के महाराणा समर सिंह ने शिवलिंग की स्थापना की जो आज भी स्थित है ।
मातेश्वरी मंदिर के सामने भेरुजी महाराज का पवित्र स्थान है जहां पर प्रेत आत्माओं से पीड़ित आमजन को छुटकारा मिलता है। प्रेत आत्माओं से पीड़ित आमजन नवरात्र में वहीं रहकर पूजा अर्चना करते हैं। गरीब से लेकर आमिर व्यक्ति भी माता के चौखट पर पूजा अर्चना कर कार्य पूर्ण करने की प्रार्थना करते हैं।नवरात्र के पवित्र दिनों में पूरे मंदिर परिसर को भव्य रूप से रोशनी, रंग बिरंगी पताकाओं से सजाया जाता है। श्रद्धालुओं के लिए शुद्ध जल, ठहरने ,अपने वाहनों की सुरक्षा एवं आने जाने के रास्तो की व्यवस्थाएं सुदृढ़ बनाई गई है। मंदिर परिसर में आधुनिक तकनीक द्वारा विकास कार्य निरंतर गतिशील है। मेले में अनुशासन एवं शांति प्रिय माहौल को बरकरार रखने के लिए फूलिया कलां पुलिस थाना के पुलिसकर्मी 24 घंटे तैनात रहेंगे।
प्रशासन द्वारा धनोप मातेश्वरी स्थान पर इंदिरा रसोई खोलने का चयन किया है जहां पर आने वाले श्रद्धालुओं एवं दर्शनार्थियों को मात्र ₹8 में पौष्टिक भोजन मिलेगा।पुजारी रामप्रसाद पंडा, ,महावीर पंडा , बबलू पंडा, नवरतन पंडा ने बताया कि नवरात्रा धनोप माता की आरती हर रोज सुबह शाम दोनो समय होती है लेकिन नवरात्रा के समय अमावस्या के दिन 11:15 घट स्थापना आरती के साथ होती हैं एकम से लेकर दशमी तक प्रातः 3:15 बजे मंगला आरती, सुबह 7.30 बजे मुख्य आरती और 6.50 बजे सायं आरती होगी। दसमीं पर दिन को 11:30 बजे आरती के बाद जवारा विसर्जन के दौरान 11 दिवसीय मेले का समापन होगा।