शाहपुरा@(किशन वैष्णव)रोहिड़ा को सन 1983 में राजस्थान का राज्य पुष्प घोषित किया गया जिस प्रकार भारत का राष्ट्रीय पुष्प कमल एक जलीय पौधा है इसके ठीक विपरीत राजस्थान का राज्य पुष्प रोहिड़ा एक मरुस्थलीय शुष्क पौधा है इसका वैज्ञानिक वानस्पतिक नाम टेकोमेला अण्डूलाटा है अनेक औषधीय गुणों से युक्त यह रोहिड़ा का पेड़ 5 से 7 मीटर तक ऊँचा होता है इनका तना हल्के भूरे रंग का व कठोर होता है पत्तियाँ लंबी व पतली हरे चमकदार रंग की होती है फाल्गुन से चैत्र महीने फरवरी से अप्रैल तक इसमें फूल खिलते हैं रोहिड़ा की लकड़ी बहुत मजबूत व कठोर होने के कारण यह बहुत गुणवत्ता वाली इमारती लकड़ियों में शामिल है इसीलिए इसे “मारवाड़ का सागवान” भी कहा जाता है इसका पुष्प पीला सुनहरा रंग, लाल रंग तथा केसरिया रंग के रूप में तीन रंग के होते हैं इन फूलों पर भँवरे, तितलियाँ,मधुमक्खियाँ अनेक कीड़े मकोड़े व पक्षी जैसे गौरैया,बया,शक्करखोरा, रोबिन,बुलबुल आदि छोटी चिड़ियाएँ भी परागकण व नेक्टर रस के रूप में भोजन प्राप्त करते है फूल (पुष्प) लगने के पश्चात इस पर बीज के रूप में 6 से 9 इंच की फलियाँ लगती है जिनमें एक फली में पंखनुमा, वजन में बहुत हल्के 10 से 20 बीज बनते हैं ग्रीष्मकाल में यह फलियाँ परिपक्व होकर फट जाती है और वजन में हल्के होने के कारण तेज हवा व आँधी के साथ उड़कर यह बीज दूर-दूर तक बिखरते हैं और इस प्रकार रोहिड़ा में प्रकीर्णन होता है तत्पश्चात मानसून में बड़े विस्तृत क्षेत्र में प्राकृतिक रूप से इसके नए-नए पौधे उगते हैं और इनकी संख्या में वृद्धि होती है रोहिड़ा मारवाड़ व शेखावाटी क्षेत्र में अधिक संख्या में पाया जाता है
राज्य पुष्प रोहिड़ा पर जैवविविधता की दृष्टि से विशेष शोधपरक कार्य कर रहे शाहपुरा निवासी पर्यावरण कार्यकर्ता शिक्षक दिनेश सिंह भाटी
यह राज्य पुष्प रोहिड़ा भीलवाड़ा जिले शाहपुरा तहसील परिक्षेत्र के अरनियाघोड़ा,ईटमारिया, दौलतपुरा,प्रतापपुरा,कनेछनखुर्द , कनेछनकलाँ,प्रतापपुरा आदि पंचायत क्षेत्रों में भी प्राकृतिक रूप से लगा हुआ है राज्य पुष्प के रूप में इन दुर्लभ वृक्षों की यह जानकारी शाहपुरा निवासी प्रकृति-पर्यावरण जलसंरक्षण कार्यकर्ता शिक्षक दिनेश सिंह भाटी ने उपलब्ध करवाई है श्री भाटी शाहपुरा क्षेत्र में जैवविविधता की दृष्टि से अतिमहत्त्वपूर्ण व दुर्लभ इन “राज्य पुष्प रोहिड़ा” के वृक्षों पर विगत 4-5 वर्षों से निगरानी व संवर्धन का शोधपरक कार्य[ कर रहे है इस कार्य में आम ग्रामीण किसान,मजदूर वर्ग का भी इन्हें पूर्ण सहयोग समर्थन मिल रहा है इस कार्य में इनका लक्ष्य प्रकृति-पर्यावरण-पेड़-पौधा-पानी-पंछीका व्यापक संरक्षण व संवर्धन है