बन्शीलाल धाकड़
देवदा में रामेश्वर लाल सुथार सिद्धश्री महावीर हनुमानजी मन्दिर पर दस लाख रुपये कीमत की एक बीघा जमीन दे कर आज स्वर्ण कलश चढ़ायेंगे, आठ दिन से सभी कर रहे है उपवास, पूरा गांव धर्ममय हो कर जश्न में डूबा
बड़ीसादड़ी। स्मार्ट हलचल/इंसान में बुराई रुपी मन के मैल को धोने में कथाओं व संतों की अहम भूमिका होती है। यह बात आठ दिवसीय सिद्धश्री महावीर हनुमान जी प्राण प्रतिष्ठा एवं संगीतमय भागवत कथा में सातवें दिन हजारों भक्तों को श्री रामद्वारा आनंदधाम के संत अनंतराम शास्त्री महाराज ने कथा वाचन करते हुए कही। संत धर्म नीति की शिक्षा के माध्यम से समाज को सही दिशा की ओर ले जाते हैं। इंसान के मन में जो बुराई रूपी मैल जम जाता है, उसे कथाएं व संत धोने का काम करते हैं। कथा श्रवण एवं उसे जीवन में उतारने से समाज में समरसता स्थापित होती है। कथाओं व सत्संग से मनुष्य में मनुष्यता आती है। वह धीरे – धीरे देवत्व की ओर बढ़ता है। शास्त्री महाराज ने उपस्थित हजारों भक्तों को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य में पशु वृत्तियों के हावी होने के कारण समाज एवं विश्व में अपराध बढ़ रहे हैं। संतों का सानिध्य व अच्छे संस्कार और कथाओं का श्रवण इंसान को पशुता से देवत्व की ओर ले जाता है। शनिवार को संत अनंतराम शास्त्री महाराज ने सुदामा चरित्र का ऐसा जीवंत चित्रण किया कि उपस्थित भक्त भाव विभोर हो गये। शास्त्री ने कहा कि भगवान के घर से कोई खाली हाथ नहीं जाता। जो भी भक्त सच्चे मन से भगवान को याद करता है तो भगवान उसकी मदद जरुर करते है। जैसे सुदामा की मदद भगवान श्रीकृष्ण ने की थी। कथा में भजन अरे द्वारपालों कन्हैया से कह दो सुनाया तो पूरा पंडाल झूम उठा। महाराज ने सभी भक्तों को जीवन में कभी नशा नहीं करने का संदेश दे कर नशामुक्ति का संकल्प दिलाया। महाराज ने कहा कि भगवान के अलावा अगर मन संसार में कहीं पर भी लगाया है तो अंत में पछताना ही पड़ेगा। रविवार को हनुमान मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा व रामकथा के साथ आठ दिवसीय यह अनुष्ठान पूर्ण होगा। कथा में हजारों भक्तों ने प्रतिदिन राम के नाम लेने व हनुमान चालीसा करने की शास्त्री महाराज को गुरुदक्षिणा दी। कथा के बाद उपस्थित सभी भक्तों को महाप्रसाद नानूराम सुथार की ओर से दिया गया। कथा के दौरान भजनों पर कई भक्त जमकर थरके। आठ दिवसीय इस धार्मिक अनुष्ठान में सिद्ध श्री महावीर हनुमान जी प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव में गांव के भक्तों ने विभिन्न बोलियां लगाई जिसमें स्वर्ण कलश की बोली दस लाख कीमत की एक बीघा जमीन रामेश्वर लाल सुथार पुत्र पोखर लाल सुथार, ध्वज दंड की बोली 1 लाख इक्यावन हजार रुपये अमृतराम सुथार, मूर्ति स्थापना की बोली 1 लाख एक हजार रुपये राधाकिशन सुथार पुत्र पोखर लाल सुथार, प्रथम आरती की बोली 45500 रुपये जगदीश चन्द्र पुत्र भोलीराम सुथार, प्रथम बालभोग की बोली 28000 रुपये बालु लाल सुथार, गोटा की बोली 27000 रुपये मांगीलाल रावत पुत्र डालु रावत, भंडार की बोली 31000 रुपये हीरा लाल ओड़, गरुड़घंटा की बोली 41000 रुपये जीवराज चारण व प्रथम स्नान की बोली 30500 रुपये राधेश्याम ओड़, कीर्ति स्तम्भ की बोली 25500 रुपये शिवलाल सेन व प्रथम दर्शन की बोली 25500 रुपये लक्ष्मण चारण की छुटी। 8 दिन तक पूरे अनुष्ठान में कैलाश चंद्र सुथार पुत्र चुन्नीलाल सुथार ने प्रधान कुंड पर घी का हवन 1 लाख ग्यारह हजार रुपये देकर किया। वहीं कथा में भगवती लाल सुथार ने 37500 रुपये दे कर रोज मुख्य आरती की। कथा में बड़ीसादड़ी नगर पालिका चेयरमैन विनोद कंठालिया, डूंगला बड़ीसादड़ी सहकारी बैंक के चैयरमैन शंभू लाल मेनारिया व लक्ष्मीलाल जोशी व राजकुमार जाट भी शामिल हुए।