शक्तिपीठ जोगणिया माता मंदिर में आस्था, श्रद्धा और भक्ति से गूंजा दुर्गाष्टमी महापर्व
बेगूं। स्मार्ट हलचल/उपखंड क्षेत्र के पावन शक्तिपीठ जोगणिया माता मंदिर में चैत्र नवरात्रि की अष्टमी तिथि पर रविवार को श्रद्धा, भक्ति और उत्साह के साथ दुर्गा अष्टमी महापर्व का भव्य आयोजन संपन्न हुआ। हजारों श्रद्धालुओं ने माता रानी के दर्शन कर पुण्य अर्जित किया और उनके चरणों में शीश नवाकर जीवन के कल्याण की प्रार्थना की।सुबह की पहली किरण के साथ ही मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ पड़ी, जो देर रात तक माता के जयकारों के बीच बनी रही। माता के दरबार में उठते घंटियों के स्वर, शंखध्वनि, और मंत्रोच्चारण से समूचा वातावरण दिव्यता से भर उठा।
महारात्रि जागरण के दौरान भक्ति का ऐसा अद्भुत संगम देखने को मिला, जिसमें लगभग एक लाख श्रद्धालुओं ने माता के श्रीचरणों में मत्था टेक कर आराधना की। रात्रि के रंगमंच पर प्रस्तुत सांस्कृतिक कार्यक्रमों ने भक्तों को भक्ति भाव में सराबोर कर दिया।
माता की लावणी, पन्नाधाय नृत्य, कालबेलिया, तेरह ताली और चारी नृत्य ने न केवल लोक संस्कृति की झलक दी, बल्कि मातृशक्ति की गौरवगाथा को भी जीवंत किया। प्रसिद्ध नृत्यांगनाएं मन्नू भिंडर, कोमल भिंडर और नेहा वैष्णव की प्रस्तुतियों ने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।
भक्ति संगीत के माध्यम से कृष्णा म्यूजिशियन पार्टी उदयपुर के कलाकारों—भोलू जी, राजू जी, चंदू जी, कन्हैयालाल जी, निर्मल जी आदि ने भक्तों को मां की महिमा में रमे रहने को विवश कर दिया। धर्मराज चौधरी द्वारा प्रस्तुत गणेश वंदना, और रमेश जी, गिरधारी कन्नौज, गोकुल प्रजापत, तुलसीराम (बड़ी सादड़ी), बंसीलाल, कैलाश भीलवाड़ा, नंदू भाई, अंकित सेन, लोकेश बंद, दीनदयाल, रामेश्वर भांड, श्याम रतन राजस्थानी, लक्ष्मण रावल आदि के भजनों ने संपूर्ण वातावरण को आध्यात्मिक अनुभूति से भर दिया।
रविवार को दुर्गाष्टमी के पावन दिन पंडित नारायणलाल जी के निर्देशन में विशेष अनुष्ठान और पूजन संपन्न हुए। वैदिक मंत्रों के उच्चारण और दीपमालिकाओं की लौ से मंदिर प्रांगण प्रकाशमान हो उठा। श्रद्धालुओं ने मां दुर्गा से सुख-समृद्धि, शांति और संरक्षण की कामना की।
आयोजन की सफलता में जोगणिया माता संस्थान के अध्यक्ष सत्यनारायण जोशी की अहम भूमिका रही। उन्होंने आयोजन में सेवा देने वाले सभी कार्यकर्ताओं, भक्तों और सहयोगियों का आभार व्यक्त करते हुए, मंदिर के जीर्णोद्धार एवं भविष्य की विकास योजनाओं पर प्रकाश डाला। उन्होंने जन-जन से भावनात्मक जुड़ाव और आर्थिक सहयोग की अपील की, जिससे यह पावन धाम और अधिक दिव्यता प्राप्त कर सके।
इस भव्य आयोजन में संस्थान के सहायक दिनेश सनाढ्य, शांतिलाल धाकड़, महेंद्र सोलंकी, सूरजमल गुर्जर, शंभू मीणा, श्याम बिहारी दिनकर, गोपाल पालीवाल सहित सैकड़ों कार्यकर्ता दिन-रात सेवा में समर्पित रहे।
यह आयोजन न केवल एक धार्मिक उत्सव रहा, बल्कि लोक संस्कृति, आस्था और एकता का एक जीवंत प्रमाण भी बन गया, जिसने श्रद्धालुओं के हृदय में देवी के प्रति प्रेम और निष्ठा को और अधिक गहराई प्रदान की l