बेजुबान जानवरों में चल रहा रोग को देखते हुए अलवर पशु चिकित्सा टीम से अनुरोध
बेजुबान पशु-पक्षियों की सुरक्षा मनुष्य का पहला धर्म बनता है। लेकिन इंसानियत शर्मसार नजर दिखती हुई।
जानवर भी हमारे समाज का एक अहम हिस्सा होते है। जानवरों की अपनी एक अहम भूमिका होती है। ये हमारे पर्यावरण को भी संतुलित बनाए रखने में सहायक होते है।
नागपाल शर्मा माचाड़ी
(अलवर):- स्मार्ट हलचल/अलवर जिले के गोलाकाबास कस्बे सहित आस-पास के क्षेत्राें में कुत्ते सहित बेजुबान जानवरों में चल रहा रोग लेकिन धर्म कर्म के प्रति इंसानियत के नाम से मनुष्य मौन, कुत्तों में चल रहा रोग को देखते हुए अलवर जिले की पशु चिकित्सा टीम से अनुरोध है शीघ्रता से बेजुबान जानवरों का उपचार कर जीव प्राणी मात्र की पीड़ा (दर्द)को दूर करने का प्रयास किया जाए। क्योंकि जानवर मन से सच्चे होते हैं। उनमें भी भावनाएं होती हैं। जानवरों को प्रेम और स्नेह चाहिए, क्योंकि ये बहुत ही कोमल व संवेदनशील होते हैं। इंसान लालच में इतना अंधा हो गया है कि उसे अपने फायदे के आगे कुछ भी नहीं दिखता। बेजुबान जानवर और इंसान के बीच का रिश्ता बेहद खास होता है। हम इंसान जानवरों को प्यार देते हैं, तो वे इसके बदले वफादारी के साथ हमारी सुरक्षा करते हैं। पर ये बातें केवल वहीं लोग समझ सकते हैं, जिन्हें उनसे लगाव और प्यार होता है। कई मौके ऐसे आए, जब इंसान के प्यार ने बेजुबान पशुओं की जान बचाकर मानवता का धर्म निभाया। पर्यावरण को संतुलित रखने में पेड़-पौधों के साथ ही पशु-पक्षियों की भूमिका भी अहम है। मनुष्य के अत्यधिक हस्तक्षेप के कारण इनकी संख्या कम होती जा रही है। यदि हम जल्द नहीं चेते तो स्थिति भयावह हो सकती है। कीटनाशकों के बढ़ते प्रयोग से जहां पक्षियों की संख्या कम होती जा रही है, वहीं कुछ प्रजातियां तो विलुप्ति के कगार पर पहुंच चुकी हैं। उन्हें बचाने के लिए सभी को प्रयास करना होगा। मनुष्य अपने स्वार्थ के लिए प्रकृति के साथ लगातार छेड़छाड़ करता जा रहा है। इसके दुष्परिणाम भी दिखाई देने लगे हैं। युगों से इंसान पशु-पक्षियों से प्यार करता रहा है। दुनिया में कई सारे लोग हैं, जो पक्षियों और जानवरों से बेहद प्यार करते हैं। कई लोगों ने कुत्ता, बिल्ली जैसे जानवरों को ऐसे अपना लिया है कि वे उन्हें अपने घर-परिवार का बेहद अहम हिस्सा मानते हैं। कई लोग ऐसे भी हैं जो जानवरों को अपने बच्चे मानते हैं और वे उनका पालन-पोषण वैसे ही करते है, जैसे कि इंसानी बच्चों का किया जाता है। बेजुबान मासूम जानवरों को सड़कों पर वाहन से कुचल आगे बढ़ जाना या फिर उन्हें तड़पते हुआ देखकर अनदेखा कर देना आजकल के लोगों की फितरत बन चुकी है, लेकिन अपने इस रवैये के कारण हम यह भूल जाते हैं कि हमारे बीच रहने वाले पशु-पक्षियों को केवल हमारा ही सहारा है। भले ही जानवर अपना दर्द बयां न कर सकते हों, लेकिन इंसान के प्रति प्यार और लगाव बखूबी बयां करते हैं। दो वक्त की रोटी और कुछ पल के प्यार व सहानुभूति के बदले यह अपना पूरा जीवन इंसानों की वफादारी करने में बिता देते हैं। जानवर के प्रति हमारा व्यवहार बहुत प्यार भावना वाला होना चाहिए। बेशक जानवर बोल नहीं सकते, लेकिन उन में भी मनुष्य की तरह दर्द, भावनाएं, प्यार होता है। जानवर भी खुश और दुखी होते हैं। जानवर भी हर बात को समझते और महसूस करते हैं। जानवरों का भी अपना परिवार होता है। हमें जानवरों को तंग नहीं करना चाहिए और ना ही मारना चाहिए। हमें उनके साथ प्यार से रहना चाहिए। उन्हें दाना पानी रखना चाहिए। जानवर भी भगवान का बनाया हुआ रूप है। इसलिए हमें उनके साथ अच्छे से रहना चाहिए। आज जानवर सड़कों पर लावारिसों की तरह फिरते रहते है। कोई इंसान किसी जानवर को पालता है तो अपने लालच के लिए अगर वह बीमार हो जाए या वह जानवर अपने मालिक को वह फायदा नहीं दे पा रहा हो जो उसका मालिक उससे अपेक्षा कर रहा है तो उसका मालिक उससे असंतुष्ट हो जाता है और उससे छुटकारा पाने के लिए या तो उसे कसाई को बेच देता है या फिर उसे कही लावारिस छोड़ देते है। हमें जानवरों के साथ भी इंसानों जैसा व्यवहार करना चाहिए क्योंकि ये भी संवेदनशील होते है।