लोकतंत्र की आत्मा है असहमति: राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान
अजय सिंह (चिंटू)
जयपुर-स्मार्ट हलचल|भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की 98वीं जयंती के अवसर पर राजस्थान विधानसभा के कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ राजस्थान में ‘असहमति और लोकतंत्र’ विषय पर व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। यह आयोजन प्रोग्रेसिव राइटर्स क्लब एसोसिएशन द्वारा किया गया, जिसके अध्यक्ष लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’ हैं।कार्यक्रम का शुभारंभ स्वर्गीय चंद्रशेखर की तस्वीर पर पुष्प अर्पण कर किया गया। इस अवसर पर मुख्य वक्ता के रूप में बिहार के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान उपस्थित रहे। उनके साथ समारोह अध्यक्ष पूर्व सांसद और समाजसेवी पंडित रामकिशन, सिविल लाइंस विधायक गोपाल शर्मा तथा पूर्व नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ भी मंच पर उपस्थित थे।
अतिथियों का स्वागत आयोजक लोकेश कुमार सिंह ‘साहिल’ ने सूत की माला और तिरंगा अंगवस्त्र पहनाकर किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकारों, पत्रकारों और प्रबुद्धजनों ने सहभागिता की।
राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने अपने वक्तव्य में स्वर्गीय चंद्रशेखर को श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके साथ जुड़ी अनेक रोचक स्मृतियाँ साझा कीं। उन्होंने कहा कि “लोकतंत्र और असहमति एक-दूसरे के पूरक हैं। लोकतंत्र तभी जीवंत रहता है जब नागरिकों को सरकार के निर्णयों के प्रति अपनी राय और असहमति दर्ज कराने का अधिकार प्राप्त हो।”
उन्होंने आगे कहा कि असहमति लोकतंत्र का मूल स्तंभ है और इससे सरकारों को आत्मनिरीक्षण करने तथा जनभावनाओं के अनुरूप निर्णय लेने की प्रेरणा मिलती है।
इस सारगर्भित व्याख्यानमाला ने श्रोताओं को लोकतांत्रिक मूल्यों के महत्व पर चिंतन करने का अवसर प्रदान किया और स्वर्गीय चंद्रशेखर के जीवन-दर्शन को स्मरण किया।