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कहीं महंगा न पड़ जाए Ghibli का शौक, ठग घात लगा पल भर में बना रहे भिखारी

• एआई जनरेटेड घिबली इमेज शेयर करने वाले सावधानी बरतें. नहीं तो वो किसी साइबर अपराधी का शिकार हो सकते हैं.
• एक क्लिक में लोकेशन और पर्सनल डिटेल्स लीक हो सकती हैं

•The hobby of Ghibli may prove costly

नितेश शर्मा

जयपुर|स्मार्ट हलचल|इन दिनों सोशल मीडिया पर एआई जनरेटेड घिबली इमेज खूब शेयर की जा रही है. कोई भी सोशल मीडिया यूजर इससे अछूता नहीं है. लगातार ट्रेंड कर रहे घिबली आर्ट के फोटो को देखकर हर कोई अपनी और अपने फैमिली का घिबली इमेज बनाना चाह रहा है. ऐसे में साइबर अपराधी भी सक्रिय हो चुके हैं. यदि आपने गलती से कोई अनसिक्योर्ड एआई ऐप डाउनलोड कर लिया तो वह आपके प्राइवेट डाटा के साथ आपका बैंक अकाउंट भी खाली करवा सकता है. बड़ी मात्रा में सर्च हो रहे घिबली इमेज जेनरेटर का फायदा साइबर अपराधी उठा सकते हैं. कई राज्यों की पुलिस ने तो लोगों से इस तरह के ऐप डाउनलोड करने से बचने की अपील भी जारी की है.
• क्या है एआई जनरेटेड घिबली इमेज?
कुछ दिन पहले ही ओपन एआई ने चैट जीपीटी इमेज जेनरेटर लांच किया था. इसके बाद यह सोशल मीडिया ट्रेंड बन गया. घिबली एक जापानी एनिमेशन आर्ट है. बीते दिनों ओपन एआई ने सामान्य फोटो को एआई टूल की मदद से घिबली इमेज (एनिमेटेड) में बदलने के विकल्प के साथ इसे लॉन्च किया है. यह एआई टूल सामान्य फोटो को एनिमेटेड रूप में परिवर्तित कर देता है. कई बार यह इमेज काफी सुंदर और फनी भी होते हैं. घिबली का यही जादू इन दिनों सोशल मीडिया यूजर्स के सिर चढ़ कर बोल रहा है. आम लोगों से लेकर बड़े-बड़े सितारे अपनी घिबली फोटो सोशल मीडिया पर शेयर कर रहे हैं.

• कैसे हो सकते हैं साइबर अपराधियों के शिकार
जब भी गूगल और सोशल मीडिया पर किसी विषय या शब्द को बार-बार सर्च किया जाता है तो वह आम यूजर्स के साथ ही साइबर अपराधियों की नजर में भी आता है. साइबर अपराधी ऐसे ही मिलते-जुलते शब्दों, ऐप या वेबसाइट लिंक का इस्तेमाल कर गूगल और सोशल मीडिया पर सर्च कर रहे लोगों को अपने जाल में फंसाते हैं. फेक ऐप डाउनलोड कर लेने या फेक वेबसाइट पर जाकर यूजर्स अपना निजी डेटा का एक्सेस साइबर अपराधियों को दे देते हैं. इसके बाद साइबर अपराधी आपके बैंक अकाउंट को खाली करने के साथ ही आपकी निजी जानकारी का गलत इस्तेमाल कर सकते हैं.
• एपीके फाइल डाउनलोड करने से बचे
रतलाम एसपी अमित कुमार ने बताया कि “किसी भी प्रकार के ऐप को जल्दबाजी में डाउनलोड नहीं करना चाहिए. खासकर व्हाट्सएप और टेलीग्राम पर शेयर किए गए एंड्रॉइड पैकेज किट (APK) को डाउनलोड करते समय बेहद सतर्कता बरतनी चाहिए. क्योंकि इस बात की अधिक संभावना होती है कि इंटरनेट पर ट्रेंड कर रहे नाम से मिलते-जुलते फेक एपीके साइबर अपराधियों द्वारा डाले जाते हैं. जिसे अनजाने में यूजर डाउनलोड कर लेता है और अपने फोन की निजी जानकारी का एक्सेस दे देता. इस तरह के एपीके व्हाट्सएप या टेलीग्राम के माध्यम से स्प्रेड किए जाते हैं.”

• सहमति और स्वतंत्रता
एआई, टेक एंड प्राइवेसी एकेडमी की सह-संस्थापक लुइजा जारोव्स्की के अनुसार, जब लोग स्वेच्छा से इन छवियों को अपलोड करते हैं, तो वे ओपनएआइ को उन्हें संसाधित करने के लिए अपनी सहमति देते हैं (जीडीपीआर का अनुच्छेद 6.1.ए)। यह एक अलग कानूनी आधार है जो ओपनएआइ को अधिक स्वतंत्रता देता है, और इस तरह वैध हित संतुलन परीक्षण लागू नहीं होता है।
• क्या सावधानी बरतें?
• साइबर जानकरों के मुताबिक, सभी एआई ऐप आपकी प्राइवेसी की सुरक्षा नहीं करते हैं. ऐसे में भरोसेमंद एआई ऐप को ही डाउनलोड कर उस पर अपनी फोटो शेयर करें. व्हाट्सएप या टेलीग्राम पर शेयर की गई एपीके या लिंक को डाउनलोड या क्लिक नहीं करें. साथ ही अपनी निजी फोटो डाउनलोड करने से पूर्व टर्म एंड कंडीशन को अवश्य पढ़ लें. इस तरह आप किसी साइबर अपराधी की जाल में फंसने से बच सकते हैं.
• आप किसी भी एआई चैट बॉट में अपनी तस्वीर अपलोड करने से पहले दो बार जरुर सोचे।
• आपको सोशल मीडिया पर हाई-रिज़ॉल्यूशन इमेज शेयर करने से बचना चाहिए, उन्हें AI ट्रेनिंग के लिए स्क्रैप किया जा सकता है।
• आपको कैमरे की एक्सेस को सीमित करना चाहिए, आपको चैक करना चाहिए।
• डिवाइस को अनलॉक करने के लिए फेसियल रिकग्निशन के बजाय पिन या पासवर्ड का इस्तेमाल करें।

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