महेन्द्र नागौरी
भीलवाड़ा / जयपुर( )स्मार्ट हलचल|सूचना प्रौद्योगिकी और संचार विभाग में हजारों करोड़ रुपए का भ्रष्टाचार को लेकर टी एन शर्मा एडवोकेट ने दस्तावेजों सहित कई शिकायतें भ्रष्टाचार निरोधक विभाग को भेजी लेकिन बड़े-बड़े अधिकारियो की मिलीभगत होने कारण कार्यवाही नहीं हो पा रही थी। एक प्रकरण में आरोपी कुलदीप यादव जो राजनेट प्रोजेक्ट का ऑफिसर इन्चार्ज रहा है वहां जम कर भ्रष्टाचार हुआ उसके अंतर्गत 17750 वाईफाई प्वाइंट के कार्य आदेश जारी किए गए लेकिन 2020 तक केवल 1750 वाई-फाई पॉइंट ही लगाए गए थे। और करोड़ों रुपए का भ्रष्टाचार हुआ था लेकिन अधिकारियों की मिली भगत के कारण इस प्रकरण में एफ आर अंतिम प्रतिवेदन प्रस्तुत कर दिया और अपराधी को बचाया गया लेकिन शर्मा ने अपने अधिवक्ता पूनम चंद्र भंडारी के जरिए कोर्ट में प्रार्थना पत्र प्रस्तुत किया की अंतिम प्रतिवेदन पर उन्हें सुनाया जाए क्योंकि एसीबी के जांच अधिकारी ने कुलदीप यादव के साथ मिलीभगत करके प्रकरण में अंतिम प्रतिवेदन लगवाया है न्यायालय ने प्रार्थना पत्र स्वीकार किया लेकिन वह सुनकर अंतिम प्रतिवेदन को स्वीकार कर लिया गया इससे व्यथित होकर डॉक्टर टी एन शर्मा ने अपने अधिवक्ता पूनम चन्द भंडारी के जरिए हाई कोर्ट में याचिका प्रस्तुत की और न्यायालय को बताया कि सूचना एवं प्रौद्योगिकी विभाग में जबरदस्त भ्रष्टाचार है विभाग के अधिकारी से उसके कार्यालय की अलमारी में सोने की ईंटें और ढाई करोड़ रुपए बराबद हुआ था। लेकिन रंगे हाथों पकड़े जाने के बावजूद सरकार के द्वारा अभियोजन स्वीकृति नहीं देने पर और जांच अधिकारियों की मिलीभगत होने कारण प्रकरण में कारवाइयां नहीं होती है और अपराधी बच जाते हैं। हाई कोर्ट ने प्रकरण की गंभीरता को समझते भ्रष्टाचार निरोधक विभाग के महानिदेशक रवि प्रकाश मेहरडा को न्यायालय में तलब किया था कोर्ट ने 6 सितम्बर 24 को आदेश दिया था कि इस विभाग के पिछले पांच साल के टेंडरों की विस्तृत जांच आवश्यक है और यह भी कहा कि कितना बड़ा व्यक्ति क्यों न हो वह कानून से ऊपर नहीं है। साथ ही एसीबी को चेतावनी भी दी थी कि यदि किसी प्रभावशाली अफसर को बचाने की कोशिश की गई तो उसे भ्रष्ट व्यक्ति को बचाने की कार्रवाई के रूप में देखा जाएगा।
अधिवक्ता भंडारी ने बताया कि इस मामले में एसीबी भी लीपापोती करने की कोशिश कर रही है l एवं आज दिनांक तक कोर्ट के स्पष्ट आदेशों के बावजूद स्पष्ट मामलों में भी न तो FIR दर्ज की जा रही और और न ही कोई कारवाही की जा रही है l
एसीबी के अधिकारियों ने कहां की 500 टेंडरो की जांच करनी है उसमें समय लग रहा है और अभी तक करीब 5 टेंडरो की जांच की गई है और मामले की गंभीरता को देखते हुए गहनता से जांच करने के लिए करने के लिए एस आई टी गठित की जा चुकी है और पूरी जांच करने के लिए 8 सप्ताह का मांगा जिसपर सुनवाई के बाद राजस्थान उच्च न्यायालय के न्यायाधीश उमा शंकर व्यास ने एसीबी को 8 सप्ताह में 500 टेंडरों की जांच पूरी कर रिपोर्ट कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया।