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25 मई मियां तानसेन जयंती ….भारतीय शास्त्रीय संगीत की शान संगीत सम्राट तानसेन

नरेंद्र शर्मा परवाना
स्मार्ट हलचल|मियां तानसेन, जिन्हें भारतीय शास्त्रीय संगीत का सूरज कहा जाता है, एक ऐसे महान संगीतज्ञ थे जिन्होंने अपनी साधना और कला से संगीत को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया। 25 मई को उनकी पुण्यतिथि पर हमें उनके संगीतमय जीवन को याद करने का अवसर मिलता है, यह समझने का मौका मिलता है कि संगीत किस प्रकार जीवन को समृद्ध और तनावमुक्त बना सकता है। तानसेन का जीवन और उनकी कला हमें प्रेरणा देती है कि समर्पण और मेहनत से असाधारण उपलब्धियां हासिल की जा सकती हैं। यह आलेख में हम उनके व्यक्तित्व, संगीत में योगदान, प्रेरणादायी उदाहरण, और संगीत के चिकित्सीय लाभों को सरल और हृदयस्पर्शी भाषा में जानने का प्रयास करेंगे।

तानसेन का व्यक्तित्व और संगीत में योगदान
सबसे पहले यह जान लें कि मियां तानसेन, जिनका असली नाम रामतनु पांडे था, 16वीं शताब्दी में ग्वालियर में जन्मे। वे अकबर के दरबार के नवरत्नों में से एक थे और ध्रुपद शैली के महान गायक थे। उनकी गायन शैली में गहराई और भावनाओं का ऐसा समावेश था कि श्रोता मंत्रमुग्ध हो जाते थे। तानसेन ने रागों को नई पहचान दी, जैसे राग मियां की तोड़ी और मियां की मल्हार। उनके संगीत में प्रकृति और मानवीय भावनाओं का अनोखा संगम था। कहा जाता है कि वे राग दीपक गाकर दीप जलाने और राग मेघ मल्हार से बारिश बुलाने की शक्ति रखते थे। उनका संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा को छूने वाला अनुभव था।

तानसेन का प्रेरणादायी उदाहरण

तानसेन का जीवन हमें सिखाता है कि प्रतिभा को मेहनत और गुरु की शरण में निखारा जा सकता है। वे स्वामी हरिदास के शिष्य थे और उनकी साधना ने उन्हें संगीत का सम्राट बनाया। तानसेन ने कभी घमंड नहीं किया और हमेशा संगीत को ईश्वर की भक्ति से जोड़ा। उनकी विनम्रता और समर्पण हमें प्रेरित करते हैं कि किसी भी क्षेत्र में सफलता के लिए कठिन परिश्रम और निष्ठा जरूरी है। आज के युवा उनसे सीख सकते हैं कि अपनी कला को सम्मान देना और उसे समाज के लिए उपयोगी बनाना कितना महत्वपूर्ण है।

संगीत के माध्यम से जीवन में बदलाव

तानसेन का संगीत कला के साथ-साथ एक चिकित्सीय अनुभव भी था। आज वैज्ञानिक भी मानते हैं कि संगीत तनाव, चिंता और अवसाद को कम करने में मदद करता है। रागों के सही प्रयोग से अनिद्रा, उच्च रक्तचाप और मानसिक अशांति जैसी समस्याओं में राहत मिलती है। उदाहरण के लिए, राग भैरवी शांति प्रदान करता है, जबकि राग यमन एकाग्रता बढ़ाता है। तानसेन का संगीत सुनने वालों के मन को शांत करता था और आज भी उनकी रचनाएं हमें तनावमुक्त जीवन की ओर ले जाती हैं। संगीत के जरिए हम अपनी भावनाओं को व्यक्त कर सकते हैं और जीवन में संतुलन ला सकते हैं।

तानसेन की संगीत यात्रा
तानसेन का संगीत जीवन 16वीं शताब्दी के मध्य से लेकर उनके निधन (1586) तक सक्रिय रहा। उन्होंने अपने गुरु स्वामी हरिदास से संगीत सीखा और बाद में अकबर के दरबार में अपनी कला का प्रदर्शन किया। उनकी रचनाएं और राग आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत का आधार हैं। तानसेन ने संगीत को एक आध्यात्मिक अनुभव के रूप में प्रस्तुत किया, जो न केवल राजदरबारों तक सीमित रहा, बल्कि आम लोगों के दिलों तक पहुंचा। उनकी रचनाएं आज भी गायकों और संगीत प्रेमियों के लिए प्रेरणा का स्रोत हैं।

तानसेन का जीवन और उनकी संगीतमय यात्रा हमें सिखाती है कि कला मनोरंजन है, जीवन को समृद्ध करने और समाज को जोड़ने का माध्यम है। उनकी पुण्यतिथि पर हमें उनके योगदान को याद करते हुए संगीत के महत्व को समझने की जरुरत है। तानसेन ने दिखाया कि संगीत के जरिए हम अपनी आत्मा को शांति दे सकते हैं, दूसरों के जीवन में भी खुशी और प्रेरणा ला सकते हैं। आइए, हम उनके संगीत से प्रेरणा लें और अपने जीवन में सकारात्मकता और रचनात्मकता को अपनाएं। तानसेन का संगीत आज भी हमारे बीच जीवित है, जो हमें हर पल प्रेरित करता है।

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