विश्व पर्यावरण दिवस पर ग्रामीण मदद काशी फाउंडेशन की पहल
उदयपुर, 2 जून।स्मार्ट हलचल|ग्लोबल वार्मिंग और इससे तापमान में हो रही लगातार बढ़ोतरी से जीव-जगत को होने वाली परेशानियों से निजात दिलाने के लिये ऑर्गेनिक एग्रीकल्चर को बढ़ावा देने वाली संस्था ग्रामीण मदद काशी फाउंडेशन ने पहल की है। लेकसिटी और आसपास की पहाड़ियों पर पौधरोपण कर हरियाली की चादर ओढ़ाने के उद्देश्य से 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस पर ग्रामीण मदद काशी फाउंडेशन संस्था 1 लाख से ज्यादा सीड बॉल्स का निशुल्क वितरण करेगी।
फाउंडेशन की निदेशक सरोज पटेल ने बताया कि सीड बॉल्स मानसून से पहले बीज रोपने का एक आसान व किफायती तरीका है। इसमें उदयपुर समेत देशभर के लोग सीड बॉल्स लेने के लिए ऑर्डर दे रहे हैं। इसमें 5 तरह के बीजों से सीड बॉल तैयार की हैं, जो कोई भी ले सकता है। सीड बॉल्स को ले जाना और इससे पौधरोपण बेहद आसान होता है। कोई भी व्यक्ति कहीं भी जंगल, पहाड़, मिट्टी या घर में इन्हें छोड़कर बड़े पेड़ में विकसित कर सकते हैं।
5 जून को बांटेंगे 1 लाख से ज्यादा सीड बॉल्स:
फाउंडेशन निदेशक सरोज पटेल ने बताया कि विश्व पर्यावरण दिवस पर आमजन को पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने के उद्देश्य से उनकी संस्था द्वारा प्रतिवर्ष यह पहल की जा रही है। पिछले वर्ष 50 हजार सीड बॉल्स का तथा उससे पहले वर्ष 5 हजार पौधों का निशुल्क वितरण किया था। संस्था द्वारा इस पहल की सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर भी अभियान रूप में प्रचार-प्रसार किया जा रहा है ताकि अधिकाधिक सीड बॉल्स से पौधों का रोपण हो सके। अभियान के तहत मोरिंगा, अमलतास, इमली और जंगल जलेबी के बीजों का चयन किया जा रहा है क्योंकि ये स्थानीय पेड़ हैं। इनसे न सिर्फ छायादार पेड़ बनते है अपितु इन पौधों का आयुर्वेदिक उपयोग भी होता है।
पांच तरह के बीजों से तैयार हो रही सीड बॉल्स:
फाउंडेशन के अध्यक्ष संदीप पाटीदार के अनुसार जिलेभर में वॉलंटियर्स के साथ लोगों को जागरूक किया जा रहा है। इस पहल के तहत मोरिंगा, अमलतास, बांस, इमली और जंगल जलेबी के बीज की सीड बॉल्स तैयार करवाई जा रही हैं। ये सभी पौधे सबसे ज्यादा ऑक्सीजन छोड़ने के लिए जाने जाते हैं। ये बड़ा आकार लेते हैं और छायादार पेड़ बनते हैं। इनमें से मोरिंगा, इमली और जंगल जलेबी इंसानों के लिए भी फूड प्रोड्यूस करते हैं।
इस तरह प्राप्त कर सकते सीड बॉल्स :
उन्होंने बताया कि सीड बॉल्स निशुल्क प्राप्त करने के लिए सहेली नगर स्थित संस्थान के कार्यालय में संपर्क कर सकते हैं। इसके लिए व्हाट्सएप नंबर 9610256904 पर अपना नाम-पता और इच्छित सीड बॉल्स की संख्या 4 जून तक भेजनी होगी। यह पूर्णतया निशुल्क है। उन्होंने बताया कि यदि कोई संस्था अपने लिए सीड बॉल्स तैयार करवाना चाहती है तो उन्हें इसी व्हाट्सएप नम्बर पर आर्डर देना होगा। उन्हें रियायती दर पर सीड बॉल्स उपलब्ध कराई जाएगी। राजस्थान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा भी इस वर्ष 20000 सीड बॉल्स संस्था के माध्यम से प्राप्त की गई है।
सीड बॉल्स खुली जगह में डाल दें, बारिश में उग आएंगे पौधे:
संस्था के सदस्य डॉ. दिग्विजय सिंह ने बताया कि इन सीड बॉल को कोई भी व्यक्ति आसानी से कैरी कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति गुलाबबाग या किसी अन्य गार्डन में घूमने जाते हैं या पहाड़ों पर ट्रैक करने जाते है, वे इन्हें साथ ले जाकर वहां डाल दें। बारिश होते ही यह सीड बॉल खुलकर मिट्टी में मिल जाती है और पौधे उग आते हैं। एक बारिश के सीजन में ही ये पौधे तैयार हो जाते हैं। इन्हें ज्यादा रखरखाव की जरूरत नहीं होती है।
अब तक 25 हजार सीड बॉल तैयार, 10 हजार की हो चुकी बुकिंग:
एक सीड बॉल को बनाने में 50 ग्राम मिट्टी लगती है। यह 4-5 सेमी के हैं। इन्हें बनाने के लिए लखनऊ की एक प्राइवेट कंपनी से सीड्स खरीदे हैं तो कुछ आसपास के जंगलों से भी इकट्ठे किए हैं। 10 लोगों की टीम 15 दिन से इन्हें बना रही है।
राठौड़ ने बताया कि अब तक 25000 बॉल्स तैयार हो चुकी हैं, जिनमें से 20 हजार की बुकिंग भी हो गई है। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर अनुकूल परिस्थितियां हों तो सीड बॉल्स का अंकुरण 40-50 प्रतिशत तक प्राप्त हो सकता है।