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गड्ढे में समा गया बचपन: मां के साथ ननिहाल आए दो मासूमों की पानी में डूबकर दर्दनाक मौत

स्मार्ट हलचल यूपी/देवरिया। उत्तर प्रदेश सलेमपुर तहसील के मईल थाना क्षेत्र से एक हृदयविदारक घटना सामने आई है, जहां एक गहरे पानी भरे गड्ढे ने दो मासूमों की जिंदगी निगल ली। नरियांव गांव के रहने वाले 10 वर्षीय अनुराग और 12 वर्षीय अंकित अपनी मां के साथ बगही गांव में ननिहाल आए थे। मंगलवार को दोनों बच्चों की जान एक ऐसे गड्ढे ने ले ली, जिसे जेसीबी से खुदवाया गया था और जो बरसात के पानी से भरा था। यह हादसा गांव भर में मातम का कारण बन गया।

मंगलवार की दोपहर दोनों भाई घर से निकले और खेलते-खेलते गांव के बाहर उस जगह पहुंच गए, जहां एक गहरा गड्ढा खुदा हुआ था। बताया जा रहा है कि गड्ढा करीब 5 से 7 फीट गहरा था और बारिश का पानी उसमें भर चुका था। खेलते हुए दोनों मासूम उसमें उतर गए और गहराई का अंदाज़ा न लग पाने के कारण उसमें डूबते चले गए। वहां पास में ही एक महिला गाय चरा रही थी, जिसने गड्ढे में कुछ हलचल देखी। जब उसने गौर से देखा तो बच्चों के सिर पानी में डूबते-उतराते दिखे। वह जोर-जोर से चिल्लाई और उसकी आवाज सुनकर गांव के लोग दौड़कर मौके पर पहुंचे।

गांववालों ने बिना देरी किए बच्चों को गड्ढे से बाहर निकाला और तत्काल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र भागलपुर ले गए। लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने दोनों बच्चों को मृत घोषित कर दिया। इस खबर ने पूरे गांव में शोक की लहर दौड़ा दी। अस्पताल से लेकर गांव तक हर चेहरा मायूस था और हर आंख नम।

मौके पर सूचना मिलते ही मईल थाना प्रभारी कंचन राय, उप निरीक्षक राम दरश यादव और दीवान अरविंद कुशवाहा भी घटनास्थल पर पहुंचे। उन्होंने घटनास्थल का निरीक्षण किया और ग्रामीणों से जानकारी ली। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और यह जानने की कोशिश कर रही है कि गड्ढा क्यों और किसके आदेश पर खुदवाया गया था, तथा उसमें सुरक्षा के कोई उपाय क्यों नहीं किए गए।

दोनों बच्चे नरियांव निवासी अरुण कुमार यादव के पुत्र थे। इस हृदयविदारक घटना के बाद से उनके परिवार में कोहराम मचा है। मां का रो-रोकर बुरा हाल है, वहीं पिता अरुण कुमार गहरे सदमे में हैं। हर कोई इस दर्द को महसूस कर रहा है कि एक माँ जो अपने बच्चों को छुट्टियों में मायके लेकर आई थी, वो दो मासूमों की लाश लेकर लौटेगी, यह उसने कभी सोचा भी नहीं था।

गांव के बुजुर्गों का कहना है कि यह गड्ढा काफी समय से खुला पड़ा था, लेकिन किसी ने उसे भरवाने या चेतावनी बोर्ड लगाने की जहमत नहीं उठाई। इस हादसे ने प्रशासन की लापरवाही को भी उजागर कर दिया है।

स्थानीय लोगों ने प्रशासन से मांग की है कि ऐसे जानलेवा गड्ढों को तुरंत भरा जाए और जिन लोगों की लापरवाही से यह घटना हुई है, उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो। वहीं गांव में हर कोई यही कह रहा है — “काश ये गड्ढा भरा होता, तो दो घरों के चिराग न बुझते।”

इस दर्दनाक हादसे ने एक बार फिर यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि गांवों में सुरक्षा इंतजामों को कितनी गंभीरता से लिया जाता है। एक माँ के सपनों और दो मासूमों की जिंदगी को निगल जाने वाला यह गड्ढा अब पूरे गांव के लिए शोक का प्रतीक बन गया है।

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