सैकड़ों श्रद्धालु कलश यात्रा में सत्यनाम की धुन पर थिरके, कबीर धर्मदास वंशावली मिशन के बैनरतले बही संतमत की निर्भीक गूंज
मनोज खंडेलवाल
स्मार्ट हलचल|मंडावर कस्बा गुरुवार 4 मई 2025 को उस समय सत्संग, भक्ति और सामाजिक एकता का प्रतीक बन गया जब कबीर धर्मदास वंशावली मिशन तहसील मंडावर के तत्वावधान में सतगुरु कबीर साहेब प्राकट्य उत्सव के पावन अवसर पर हजारों भक्तो की सहभागिता में एक दिव्य कलश यात्रा निकाली गई जिसने पूरे क्षेत्र को आध्यात्मिक चेतना से सराबोर कर दिया बस स्टैंड स्थित नगरपालिका अध्यक्ष सरिता नारेडा के निवास से प्रारंभ हुई इस यात्रा ने नगर के मुख्य मार्गों—बस स्टैंड रोड, गांधी चौक, मुख्य बाजार, गढ़ रोड और पाखर रोड से होते हुए अवंतिका मैरिज गार्डन तक पहुंचते हुए एक जन-जागरण और धार्मिक आस्था के अद्वितीय संगम का रूप ले लिया इस ऐतिहासिक यात्रा की अगुवाई मिशन के महंत रामदास साहेब के सान्निध्य में हुई जहां सैकड़ों महिलाओं ने सिर पर मंगल कलश धारण कर धर्म, संयम और श्रद्धा की मिसाल पेश की वहीं युवा हाथों में सत्यनाम की झंडियां लिए कबीर साहेब के भजनों पर थिरकते हुए जनमानस को भी इस आध्यात्मिक आवेग में समाहित करते चले
विशेष बात यह रही कि यह यात्रा केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि समूचे मंडावर तहसील क्षेत्र में सामाजिक समरसता, संतमत के प्रचार और कबीर साहेब के निर्गुण भक्ति मार्ग की सार्वजनिक प्रतिष्ठा का ऐलान थी कबीर साहेब की भव्य झांकी, भजन कीर्तन और जयघोषों के साथ निकली यह शोभायात्रा अपने पीछे संत परंपरा के सामाजिक न्याय, सत्य विचार और वैचारिक स्वातंत्र्य के अमिट निशान छोड़ती गई यात्रा मार्ग पर नगरवासियों ने जगह-जगह पुष्पवर्षा कर श्रद्धा का परिचय दिया तो वहीं युवाओं की सजीव ऊर्जा और महिलाओं की गरिमामयी सहभागिता ने यह संदेश दिया कि कबीर साहेब का विचार आज भी जनमानस की धड़कनों में जीवित है।
यात्रा के समापन पर अवंतिका मैरिज गार्डन में मिशन की ओर से विशाल भंडारे का आयोजन किया गया जिसमें सभी श्रद्धालुओं को पंगत में प्रसादी ग्रहण करवाई गई इस अवसर पर कबीर धर्मदास वंशावली मिशन मंडावर कमेटी की ओर से यह स्पष्ट किया गया कि मिशन का उद्देश्य केवल उत्सव मनाना नहीं, बल्कि कबीर साहेब के विचारों को गांव-गांव और जन-जन तक पहुंचाना है जिससे सामाजिक समानता, आत्मशुद्धि और जातिहीन समाज की स्थापना का स्वप्न साकार हो सके
संपूर्ण कार्यक्रम अत्यंत अनुशासित, गरिमामय और लोकआस्था से ओतप्रोत रहा जिसमें मंडावर तहसील के कोने-कोने से आए सैकड़ों महिला, पुरुष और युवा भक्तों की श्रद्धा, व्यवस्था और मिशन प्रतिबद्धता ने यह सिद्ध कर दिया कि संत कबीर आज भी भारत की आत्मा के जीवंत प्रतीक हैं और उनका विचार हर उस जनमानस का पथप्रदर्शक है जो अंधविश्वास, भेदभाव और बाह्याचार से ऊपर उठकर सत्य और सहज धर्म की राह पर अग्रसर होना चाहता है।