(बिन्टू कुमार)
नारायणपुर | स्मार्ट हलचल|उपखंड क्षेत्र की ग्राम पंचायत मुण्डावरा और बामनवास कांकड़ के ग्रामीणों ने वर्षों से लंबित श्मशान भूमि आवंटन की मांग को लेकर बुधवार को तहसील कार्यालय के बाहर जोरदार धरना-प्रदर्शन किया। करीब दो घंटे तक ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विरोध जताया, लेकिन इस दौरान तहसीलदार अनिल कुमार कार्यालय के एसी कक्ष से बाहर नहीं निकले, जिससे ग्रामीणों में भारी रोष फैल गया। प्रदर्शन में दोनों ग्राम पंचायतों के लोग बड़ी संख्या में एकत्र हुए और तहसील कार्यालय के बाहर शांतिपूर्ण तरीके से धरने पर बैठ गए। प्रदर्शनकारियों का कहना था कि उनके गांवों में वर्षों से श्मशान भूमि को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि वन विभाग द्वारा जिस भूमि पर पूर्वजों से श्मशान की परंपरा चली आ रही है, वहां चारदीवारी, छाया और पानी जैसी बुनियादी सुविधाओं के विकास की अनुमति नहीं दी जा रही है। ग्रामीणों ने बताया कि पिछले लगभग 10 वर्षों से वे सिवाईचक भूमि पर श्मशान के लिए स्थायी भूमि आवंटन की मांग कर रहे हैं। इस संबंध में कई बार ज्ञापन दिए गए, लेकिन आज तक कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। धरने के दौरान गुस्साए ग्रामीणों ने प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। बाद में एक प्रतिनिधिमंडल ने तहसीलदार अनिल कुमार से मुलाकात की, जिसके बाद तहसीलदार अपने कक्ष से बाहर आए और ग्रामीणों से वार्ता की। वार्ता के बाद फिलहाल धरना समाप्त कर दिया गया, लेकिन ग्रामीणों ने प्रशासन को 15 दिन का समय दिया है। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर तय समय सीमा में श्मशान भूमि का आवंटन नहीं किया गया, तो वे बड़ा आंदोलन शुरू करेंगे। इस संबंध में तहसीलदार अनिल कुमार ने बताया कि ग्रामीणों द्वारा दिए गए ज्ञापन को उच्चाधिकारियों को भेजकर मार्गदर्शन मांगा गया है। जैसे ही वहां से निर्देश प्राप्त होंगे, आगे की प्रक्रिया को शीघ्रता से पूरा किया जाएगा। इस मौके पर बामनवास कांकड़ सरपंच गणेश जाट, मुण्डावरा सरपंच प्रतिनिधि रोहिताश सैनी, रामकिशन बाज्या, राकेश दायमा, मोतीलाल जांगिड, बजरंगलाल सैनी, रोशनलाल सैनी, श्योराम रोलाण, दौलतराम जाट, रामप्रताप भुराण, जयसिंह भुराण, बिरदीचंद कैप्टन, मानसिंह राजपूत सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।
वन विभाग और ग्रामीणों के बीच कई बार हो चुका है टकराव
ग्रामीणों के अनुसार मुण्डावरा स्थित श्मशान घाट पर अब तक छाया, पानी और बैठने की कोई सुविधा नहीं है, जिससे अंतिम संस्कार के दौरान ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। वन विभाग की रोक-टोक के कारण वहां कोई भी विकास कार्य नहीं हो पा रहा। इस मुद्दे को लेकर कई बार वन विभाग और ग्रामीणों के बीच विवाद हो चुका है।


