तुलसी व अन्य प्रजातियों के पौधे वितरित कर प्लास्टिक मुक्त जीवनशैली का दिया गया संदेश
शाहपुरा-पेसवानी
राज्य सरकार द्वारा संचालित वंदे जल संरक्षण जन अभियान के अंतर्गत पौधशाला धानेश्वर में 5 जून से 20 जून 2025 तक आयोजित अभियान के तहत विशेष कार्यक्रम का आयोजन हुआ। इस दौरान मौके पर वृक्षारोपण किया गया एवं उपस्थित सभी नागरिकों को तुलसी सहित विभिन्न प्रजातियों के पौधे वितरित किए गए। साथ ही पर्यावरण संरक्षण का संदेश देते हुए सभी से आह्वान किया गया कि “एक पौधा मां के नाम” अवश्य लगाएं, जिससे वातावरण शुद्ध बना रहे और समाज में हरियाली का संदेश जाए।
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अधिकारियों और प्रतिनिधियों ने प्रकृति को प्रदूषणमुक्त करने का संकल्प लिया और प्लास्टिक एवं पॉलीथीन मुक्त समाज की दिशा में जन-जागरूकता का अभियान भी चलाया। इस अवसर पर लोगों को बताया गया कि जल संरक्षण के साथ-साथ वृक्षारोपण और कचरा प्रबंधन आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है।
इस अवसर पर तहसीलदार अनिल कुमार (फुलियाकलां) ने कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि प्रकृति की रक्षा और जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए ऐसे सामूहिक प्रयास अत्यंत आवश्यक हैं। उन्होंने लोगों से अपील की कि हर व्यक्ति वर्ष में कम से कम एक पौधा जरूर लगाए और उसकी देखरेख भी स्वयं करे।
कार्यक्रम में वन विभाग शाहपुरा के अधिकारी प्रभुराम धूण (क्षेत्रीय वन अधिकारी), वनपाल थानमल परिहार, प्रमोद कुमार मेघवंशी, सहायक वनपाल आबिद खां कायमखानी, मीरा मीणा, वन रक्षक हेमा माली, रूपा धोबी, सुरेश कुमार, महेन्द्र कोली, और योगेन्द्र सिंह की महत्वपूर्ण उपस्थिति रही।
इसके अलावा तकनीकी सहयोग में टेक्नीशियन सत्यनारायण भाट, वन सुरक्षा श्रमिक भीमराज, केदार गुजर, ओनाड गुजर, घीसूदास, महावीर माली व अन्य कर्मचारियों ने मिलकर इस आयोजन को सफल बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस अवसर पर स्थानीय ग्रामवासी, जनप्रतिनिधि गण तथा तहसील कार्यालय एवं उपखंड कार्यालय फुलियाकलां का स्टाफ भी बड़ी संख्या में मौजूद रहा। सभी ने उत्साहपूर्वक पौधे ग्रहण किए और उन्हें लगाने का संकल्प लिया।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति सजगता की पहल
कार्यक्रम में विशेष रूप से युवाओं और महिलाओं को जल एवं वृक्ष संरक्षण के लिए प्रेरित किया गया। उपस्थितजनों को यह भी समझाया गया कि प्लास्टिक एवं पॉलीथीन का उपयोग किस प्रकार धरती के स्वास्थ्य को नुकसान पहुंचा रहा है और इसके स्थान पर प्राकृतिक, पुनः उपयोगी वस्तुओं का चयन ही सही विकल्प है।