Homeसोचने वाली बात/ब्लॉगखुशियों की बगिया महकेगी

खुशियों की बगिया महकेगी

डॉ. फ़ौज़िया नसीम शाद
“खुश रहने की ख्वाहिश सबकी होती है, पर खुश रहना एक कला है – जो अपने भीतर से शुरू होती है।”
हर व्यक्ति चाहता है कि उसका जीवन सुख-शांति और खुशियों से भरा हो। वह चाहता है कि उसके अपने, उसका परिवार और स्वयं वह सभी प्रसन्नचित्त रहें। लेकिन अक्सर ऐसा हमारे चारों ओर दुख, शिकायतें और निराशा ही ज़्यादा दिखाई देती हैं।
दरअसल, हम जिस “खुशी” की तलाश बाहर कर रहे होते हैं, वह वास्तव में हमारे भीतर छिपी होती है। खुशी कोई वस्तु नहीं, न ही यह केवल परिस्थितियों का नाम है। यह तो एक अनुभूति है – जो हमारे दृष्टिकोण, विचारों और छोटे-छोटे कर्मों से उपजती है।

खुशियाँ कहाँ है?

क्या खुशी केवल धन, वैभव, सफलता, प्रेम या आदर्श जीवनसाथी में होती है? नहीं। ये सब केवल क्षणिक सुख प्रदान कर सकते हैं, लेकिन सच्ची खुशी तो वह है जो आत्मा को सुकून दे।
कभी किसी भूखे को भोजन देकर देखिए, किसी उदास चेहरे पर मुस्कान लाकर देखिए, किसी परेशान की मदद करके देखिए – जो संतोष, जो आत्मिक प्रसन्नता मिलती है, वह किसी भौतिक उपलब्धि से कहीं अधिक होती है।”खुशी कोई संयोग नहीं – यह आपका अपना दृष्टिकोण है।”

अधूरी ख्वाहिशें, अधूरे ख्वाब भी जरूरी

जीवन में सबकुछ मिल जाए, यह आवश्यक नहीं। कभी-कभी अधूरी इच्छाएं, टूटी हुई उम्मीदें और अधूरे ख्वाब ही हमें भीतर से मजबूत बनाते हैं।
वे हमें जीवन की असलियत से मिलवाते हैं और शुक्रगुज़ारी का भाव पैदा करते हैं। हमें यह सीखना होगा कि जो नहीं मिला, उसका दुख न करके, जो है उसमें भी खुश रहना एक मानसिक योग्यता है।

खुद से प्रेम करें, फिर जीवन आपसे प्रेम करेगा

भूल जाइए किसी अपने द्वारा दिए गए दुख को, बीती असफलताओं को। हर रात के बाद एक नई सुबह होती है और हर अंत एक नई शुरुआत का संकेत देता है।
◆ “खुद से प्रेम कीजिए, खुद पर विश्वास कीजिए, और नकारात्मकता को खुद से दूर रखिए।”
● दूसरों का बुरा मत सोचिए। जो हुआ, उसमें भी कोई ईश्वरीय संकेत छुपा हो सकता है। सकारात्मक सोच आपको न केवल मानसिक शांति देती है, बल्कि यह आपको एक प्रेरणास्त्रोत व्यक्ति भी बना सकती है।

आत्मिक संतुलन और मुस्कुराता हुआ जीवन

यदि हम हर अच्छे और बुरे समय में धैर्य, शालीनता और प्रसन्नता से जिएँ, तो जीवन स्वयं भी मधुर हो जाता है। अपने अंतर्मन की आवाज़ सुनना सीखें- वही हमारी सबसे सच्ची राह दिखाती है।
कभी-कभी ज़िंदगी से ज्यादा ज़रूरी है ज़िंदगी को देखने का नज़रिया।
आखिर में इतना ही कहूंगी “खुशियाँ तलाशने मत जाइए, उन्हें बाँटिए वे लौटकर आपके जीवन को भी रौशन कर जाएँगी।” (विभूति फीचर्स)
लेखिका परिचय
डॉ. फ़ौज़िया नसीम शाद समकालीन उर्दू-हिंदी साहित्य की एक सशक्त और संवेदनशील लेखिका, जिनकी रचनाएँ आत्मा को छूती हैं।
उनकी लेखनी जीवन की सच्चाइयों, आत्मिक ऊँचाइयों और मानवीय भावनाओं का सुंदर प्रतिबिंब है।

स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर 31 जनवरी 2025, Smart Halchal News Paper 31 January 2025
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
स्मार्ट हलचल न्यूज़ पेपर  01 अगस्त  2024, Smart Halchal News Paper 01 August 
news paper logo
logo
RELATED ARTICLES