राजस्व मंडल के आदेशों की पालना अब तक अधूरी, 2022 से लंबित अनुदान और नामांतरण पर नहीं हुई कार्रवाई।
दौसा
मनोज खंडेलवाल
दौसा जिले की प्रतिष्ठित गौशाला ‘गोसदन, दौसा’ को लेकर शुक्रवार को जिला प्रशासन के समक्ष मामला तब गंभीर मोड़ पर पहुंच गया जब गौसेवा से जुड़े सामाजिक कार्यकर्ताओं, अधिवक्ताओं और जागरूक नागरिकों के एक प्रतिनिधिमंडल ने जिला कलेक्टर देवेंद्र कुमार यादव को ज्ञापन सौंपते हुए गौशाला के बकाया अनुदान और भूमि नामांतरण विवाद को शीघ्र सुलझाने की मांग की। प्रतिनिधियों ने आरोप लगाया कि राजस्व मंडल अजमेर के दिनांक 23 मई 2025 के स्पष्ट आदेश के बावजूद संबंधित भूमि का नामांतरण अब तक तहसीलदार स्तर पर लंबित पड़ा है, जो न्यायिक आदेशों की खुली अवहेलना है।
गौसदन मंत्री रमेश मानपुरिया ने बताया कि अप्रैल से जुलाई 2022 तक के अनुदान की स्वीकृति के लिए आवश्यक संयुक्त भौतिक सत्यापन पशु चिकित्सा अधिकारी और तहसीलदार द्वारा समय पर किया गया था, बावजूद इसके अनुदान अब तक जारी नहीं हुआ, जिससे गौशाला के संचालन में आर्थिक संकट गहराता जा रहा है। वहीं मीडिया प्रभारी कृष्ण कुमार सैनी ने यह भी बताया कि कुछ बेईमान तत्वों द्वारा गौशाला की भूमि पर अवैध कब्जा किया गया था, और जब उसे हटाया गया तो उन्हीं लोगों ने बदले की भावना से झूठी शिकायतें कीं, जिसके चलते प्रशासन ने बिना किसी ठोस जांच के ही अप्रैल से जुलाई 2022 की अनुदान राशि को भी रोक दिया।
गौसेवक सुशील शर्मा ने ज्ञापन के माध्यम से बताया कि दौसा कस्बा एवं दौसाकला क्षेत्र में स्थित सात खसरा नंबरों की भूमि का मामला न्यायालय द्वारा गौशाला के पक्ष में निस्तारित किया जा चुका है, किंतु प्रशासनिक स्तर पर नामांतरण की प्रक्रिया जानबूझकर लंबित रखी जा रही है, जो स्पष्ट रूप से न्यायालय की अवमानना और लोकहित की उपेक्षा का मामला है।
ज्ञापन देने वालों में गौ पुत्र सेना के राष्ट्रीय सचिव अवधेश अवस्थी, वरिष्ठ अधिवक्ता सतीश पारीक, मानसिंह पाटोली, कवि लक्ष्मण चौधरी, श्रवण लाल सैनी, हितेंद्र गुर्जर, मनोज बिवाल, धनपत सिंह राजोरिया और रवि जांगिड़ सहित अनेक जनप्रतिनिधि व सामाजिक कार्यकर्ता शामिल रहे।