*हाईकोर्ट के आदेश पर चारों भुजाएं खोली गईं
*ब्रिज पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएं
(हरिप्रसाद शर्मा)
स्मार्ट हलचल| अजमेर/ अजमेर शहर के बहुप्रतीक्षित एलिवेटेड रोड, जिसे आमजन राम सेतु ब्रिज के नाम से जानते हैं, को लेकर दायर जनहित याचिका पर अजमेर कोर्ट में सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों के अधिवक्ताओं के बीच तीखी बहस हुई। कोर्ट ने सभी तथ्यों और तर्कों को सुनने के बाद ब्रिज को आमजन के लिए खोलने के आदेश जारी किए। कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि ब्रिज पर सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध किए जाएं और आमजन की सुविधा के लिए टोल फ्री नंबर प्रदर्शित किया जाए।
बार एसोसिएशन अजमेर के अध्यक्ष अशोक सिंह रावत ने बताया कि यह ब्रिज मात्र तीन साल के भीतर ही खराब हो गया, जिससे जनता की सुरक्षा पर सवाल उठने लगे। इसी को ध्यान में रखते हुए एक जनहित याचिका कोर्ट में दायर की गई थी। याचिका की पूर्व सुनवाई में न्यायालय ने एहतियातन ब्रिज पर आवागमन को रोकने के आदेश जारी किए थे। इस आदेश के पालन में जिला प्रशासन ने ब्रिज की चारों भुजाओं पर यातायात बंद कर दिया था, जिससे शहर के मुख्य मार्गों पर भारी जाम की स्थिति उत्पन्न हो गई थी।
*शहर में जाम की स्थिति से मिलेगी राहत
ब्रिज बंद होने के कारण शहर की सड़कों पर यातायात व्यवस्था चरमरा गई थी। खासतौर से सुबह और शाम के समय आमजन को भारी जाम का सामना करना पड़ रहा था। ब्रिज के चारों तरफ आवागमन रोक दिए जाने के बाद ट्रैफिक का पूरा दबाव शहर के भीतरी मार्गों पर आ गया था। कोर्ट के नए आदेश के बाद अब जनता को इस जाम से राहत मिलेगी और ब्रिज के माध्यम से सुगम यातायात सुनिश्चित हो सकेगा।
*वकीलों में मतभेद, लोक अभियोजक ने जताई आपत्ति
सुनवाई के दौरान लोक अभियोजक जेपी शर्मा ने आरोप लगाया कि याचिकाकर्ता का मकसद एलिवेटेड ब्रिज की विस्तृत जांच को प्रभावित करना है। उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता ने ट्रैफिक रोके जाने की मांग ही नहीं की थी, इसके बावजूद अदालत ने ट्रैफिक पर रोक का आदेश दिया। शर्मा ने यह भी कहा कि अस्थाई निषेधाज्ञा में तो केवल एक भुजा को लेकर निर्देश दिए जाने चाहिए थे, लेकिन पूरे ब्रिज पर रोक लगा दी गई थी।
लोक अभियोजक ने यह भी तर्क दिया कि बरसात के दौरान एलिवेटेड रोड के नीचे की सड़क पर जलभराव हो जाता है, जिससे निचले मार्गों पर आवागमन बाधित होता है। इसलिए एलिवेटेड की केवल क्षतिग्रस्त भुजा को बंद रखा जाए, और बाकी हिस्सों को यातायात के लिए खोला जाए। इस तर्क के आधार पर कोर्ट ने आरएसआरडीसी से जवाब तलब किया और आश्वासन मिलने के बाद आदेश पारित किए।