भीलवाड़ा । श्रावण मास के पवित्र अवसर पर भारत तिब्बत सहयोग मंच, चित्तौड़ प्रांत की भीलवाड़ा शाखा द्वारा पिपलेश्वर महादेव मंदिर प्रांगण में “कैलाश मानसरोवर मुक्ति हेतु संकल्प सभा” का विशेष आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य धार्मिक भावना से कहीं अधिक, भारत की सांस्कृतिक चेतना, आध्यात्मिक धरोहर और राष्ट्रीय अस्मिता से जुड़ा रहा।
यह सभा कैलाश पर्वत एवं मानसरोवर सरोवर, जो भारतीय संस्कृति के अत्यंत पवित्र तीर्थ स्थल हैं, उनकी मुक्ति और तिब्बत की स्वतंत्रता हेतु एकजुट संकल्प का प्रतीक बनी। वर्तमान में कैलाश और तिब्बत की भूमि पर चीनी कब्जा है, जो न केवल भारत की आध्यात्मिक भावनाओं को आहत करता है, बल्कि समूचे विश्व की शांति और मानवीय मूल्यों पर भी गहरा संकट है। भारत तिब्बत सहयोग मंच निरंतर शांतिपूर्ण माध्यमों से इन क्षेत्रों की स्वतंत्रता की माँग करता रहा है।
संकल्प सभा में प्रमुख रूप से प्रांत अध्यक्ष मनोज शर्मा, प्रांत महामंत्री मुकेश हिरण,सदस्य दिनेश सनाढ्य,(युवा विभाग), युवा जिला अध्यक्ष अंकुश कोठारी,मंच सदस्य मुकेश टांक, प्रदीप शर्मा, जिलाध्यक्ष बृजमोहन ओझा (मुख्य विभाग), जिला महामंत्री कैलाश जीनगर (मुख्य विभाग), महिला विभाग की जिला अध्यक्ष छाया द्विवेदी, महिला महामंत्री रेखा चौहान, जिला महामंत्री मीना पंजाबी, और वरिष्ठ महिला कार्यकर्ता बसंती देवी जोशी, राजकुमारी पोरवाल, कांता विजयवर्गीय, सरला चतुर्वेदी, अंगूरबाला कोगटा, नर्बदा वैष्णव, मधु विजयवर्गीय, शांता सेन, ज्ञान किरण, किरण गौड़, टीना टेलर, प्रमिला आज़ाद, सरस्वती क्षोत्रिय, जानकी पारीक, पुष्पा अग्रवाल, रीमा टेलर, मंजू शर्मा, मंजू पंचोली, सुमन बाहेती, विमला मंडोबरा, बरजीबाई सहित बड़ी संख्या में मातृशक्ति व युवा कार्यकर्ता उपस्थित रहे।
सभी कार्यकर्ताओं ने भगवान शिव के चरणों में सामूहिक प्रार्थना व जलाभिषेक कर “जय कैलाश, जय तिब्बत” के उद्घोष के साथ संकल्प लिया कि जब तक कैलाश मानसरोवर की भूमि मुक्त नहीं होती और तिब्बत आज़ाद नहीं होता, तब तक यह संगठन अपने विचार एवं प्रयासों से जनमानस को जागरूक करता रहेगा। सभी सदस्यों ने ‘एक दीप तिब्बत के नाम’ जलाकर प्रतीकात्मक रूप से यह संकल्प भी दोहराया कि हम तिब्बती संस्कृति, मानवाधिकारों और धार्मिक स्वतंत्रता के लिए निरंतर संघर्षशील रहेंगे।
यह आयोजन न केवल आध्यात्मिक अनुभूति का अवसर बना, बल्कि भारत की सांस्कृतिक और राष्ट्रीय चेतना के नवजागरण का प्रतीक भी सिद्ध हुआ। मंच की भीलवाड़ा इकाई ने यह दिखा दिया कि तिब्बत की स्वतंत्रता और कैलाश की मुक्ति के लिए यह अभियान केवल एक राजनीतिक या धार्मिक मुद्दा नहीं, बल्कि भारत की आत्मा से जुड़ा हुआ व्यापक सांस्कृतिक आंदोलन है।