खेड़ारामपुर.स्मार्ट हलचल|हाईकोर्ट ने प्रधान नईमुद्दीन गुड्डू के लाडपुरा प्रधान पद से निलबंन पर रोक के आदेश के बावजूद लापरवाही करते हुए आदेश की पालना नही करने पर सख्ती दिखाई है। कोर्ट ने कहा कि अदालत के स्पष्ट आदेश के बावजूद निलम्बन के आदेश की पालन नही करना न्यायोचित नही है,इस मामले को लेकर पंचायत राज विभाग के उप सचिव इंद्रजीत सिंह को 14 अगस्त 2025 को व्यक्तिगत आकर स्पष्टीकरण पेश करे,न्यायाधीश विनोद कुमार भरवानी ने नईमुद्दीन गुड्डू की अवमानना याचिका पर यह आदेश दिया है।
इस मामले में राजस्थान सरकार के पंचायत राज विभाग द्वारा लाडपुरा पंचायत समिति के प्रधान नईमुद्दीन गुड्डू को 27/02/2025 को पचायत राज विभाग के अतिरिक्त आयुक्त एवं शासन उप सचिव इंद्रजीत सिंह द्वारा लाडपुरा प्रधान नईमुद्दीन गुड्डू को अनियमितता किए जाने के लिए आरोप पत्र दिया गया और उक्त आरोप पत्र में उन्हें जवाब देने हेतु एक माह का समय दिया गया।इसके बाद अतिरिक्त सचिव इंद्रजीत सिंह द्वारा कुछ देर बाद ही लाडपुरा पंचायत समिति के प्रधान नईमुद्दीन गुड्डू के निलंबन के आदेश दे दिए।
इसके पश्चात माननीय उच्च न्यायालय की सिंगल बेंच के आदेश दिनांक 20/3/2025 द्वारा प्रधान नईमुद्दीन गुड्डू के निलंबन में रोक लगा दी गई। इसके बावजूद माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की अवेहलना करते हुए नईमुद्दीन गुड्डू को पुनः प्रधान का कार्यभार नही सौंपा गया। इसके पश्चात पुनः गुड्डू द्वारा उच्च न्यायालय जयपुर की डबल बेंच द्वारा दिनांक 30.6.2025 को राज्य सरकार को प्रधान नईमुद्दीन गुड्डू के खिलाफ की गई अपील को खारिज कर दिया परंतु फिर भी पंचायत राज विभाग के अधिकारियों द्वारा माननीय उच्च न्यायालय के आदेशों की धज्जियां उड़ाते हुए विधि के प्रावधानों के विरुद्ध जाकर वर्तमान में भी उन्हें कार्यभार नहीं दिया जा रहा है। इसके बाद 31 जुलाई 2025 को माननीय उच्च न्यायालय जयपुर ने प्रधान नईमुद्दीन द्वारा किए गए कोर्ट आफ काँटेमट की याचिका पेश की । इस पर कोर्ट ने कहा कि लाडपुरा प्रधान नईमुद्दीन गुड्डू को दिनांक 14/08/2025 तक अदालत आदेश की पालना की जाए एवं प्रधान पद का कार्यभार दिया जाए,नही तो अतिरिक्त सचिव इंदरजीत सिंह स्वयं व्यक्तिगत रूप से हाजिर होकर न्यायालय में अपना पक्ष पेश करे।
इस मामले को लेकर प्रधान नईमुद्दीन गुड्डू ने कहा कि मुझे राजनेतिक द्वेषता के चलते पद से हटाया गया था,जिसके चलते मेने न्यायालय याचिका पेश की थी न्यायपालिका पर मुझे पूरा भरोशा था,हाईकोर्ट के आदेश को लेकर कहा कि सत्य परेशान हो सकता है पराजित नही, न्याय की जीत हुई है।