इंजीनियर रवि मीणा
कोटा :स्मार्ट हलचल| कोटा जिला मुख्यालय पर आज अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के विभिन्न संगठनों द्वारा समता आंदोलन समिति के खिलाफ जबरदस्त विरोध प्रदर्शन किया गया। प्रदर्शनकारियों ने समिति के नेताओं पर समाज में जातीय वैमनस्य फैलाने, भड़काऊ एवं अपमानजनक भाषा का प्रयोग करने का आरोप लगाते हुए राज्यपाल के नाम कलेक्टर को संयुक्त ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन के दौरान समता आंदोलन समिति के पदाधिकारियों का प्रतीकात्मक पुतला दहन कर अपना रोष प्रकट किया गया। संगठनों ने आरोप लगाया कि समता आंदोलन समिति द्वारा मीणा समाज के कर्मचारियों को “आतंकी” और “आरामखोर” जैसे शब्दों से संबोधित किया गया, जो न केवल सामाजिक सौहार्द को तोड़ने वाला, बल्कि संविधान की आत्मा के भी खिलाफ है। ज्ञापन में मुख्य रूप से तीन माँगें की गईं:
1. समता आंदोलन के पदाधिकारियों पर FIR दर्ज कर शीघ्र गिरफ्तारी हो।
2. ऐसे भड़काऊ आंदोलनों पर तत्काल प्रतिबंध लगे।
3. सामाजिक समरसता बनाए रखने के लिए प्रशासन सख्त कार्यवाही करे।
इस विरोध प्रदर्शन में मीणा समाज संगठनों के साथ-साथ भीम सेना, डॉ. भीमराव अंबेडकर समिति, दलित समाज संगठन, और कई अन्य सामाजिक मंचों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। प्रदर्शन के पश्चात नयापुरा थाने में FIR भी दर्ज कराई गई, जिसकी रसीद भी समाज को प्राप्त हुई।
इस पूरे घटनाक्रम पर नगर निगम कोटा दक्षिण के उपमहापौर पवन मीणा ने भी तीखी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा:
> “समता आंदोलन जैसी ताकतें सामाजिक ताने-बाने को तोड़ने की साजिश कर रही हैं। आरक्षित वर्गों को बदनाम करने और भड़काने का प्रयास किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। यह केवल मीणा समाज नहीं, बल्कि संविधान की रक्षा का प्रश्न है। यदि समय रहते कार्यवाही नहीं हुई, तो समाज को और व्यापक स्तर पर सड़कों पर उतरना पड़ेगा। हम जातीय घृणा और नफरत के विरुद्ध अंतिम सांस तक लड़ते रहेंगे।”
इस दौरान हाड़ौती के विभिन्न संगठनों के प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित रहे, जिनमें शामिल थे:
मनोहर लाल मीणा (प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष), जगदीश प्रसाद मीणा (जिला अध्यक्ष), रामस्वरूप मीणा, चतुर्भुज खींची, कमलेश मंडावत, घनश्याम मीणा, सुखलाल मीणा, दिनेश मीणा, अभय सिंह मीणा, पी.डी. मीणा, हेमराज मीणा, गजानंद मीणा, बृजराज वर्मा, राजीव कुमार, रघुवीर प्रसाद मीणा, कुंज बिहारी मीणा, जितेंद्र मीणा, गिराज मीणा, नवरत्न सिंह, कुंज बिहारी साक्यवाल, लक्ष्मण आर्य एवं हजारों की संख्या में समाज के लोगों की मौजूदगी ने इस आंदोलन को मजबूती प्रदान की और प्रशासन को यह संदेश साफ़ कर दिया कि यदि त्वरित कार्रवाई नहीं हुई तो विरोध की अगली रूपरेखा और भी सख़्त होगी।