जीना और रहना हुआ दुभर, आंदोलन को मजबूर
राजेश जीनगर
भीलवाड़ा|स्मार्ट हलचल|सफाई के मामले में अग्रणी रहने वाले जिले के आर के कॉलोनी क्षेत्रवासियों के हालात इन दिनों दयनीय स्थिति में है। नेहरू तलाई से उठने वाली दुर्गंध के चलते यहां पर रहने वालों का जीना दुभर हो चला है। यहां के क्षेत्रवासियों का कहना है कि अगर इस नेहरू कलाई का जीर्णोद्धार कर कायाकल्प किया जाए तो एक अच्छा पिकनिक स्पॉट इसको बनाया जा सकता है लेकिन प्रशासन और जनप्रतिनिधियों की अनदेखी के चलते यह दुर्गंध स्पॉट बनकर रह गया है। आर के कॉलोनी क्षेत्रवासी पिछले काफी वर्षों से इस दुर्गंध का शिकार है लेकिन सुनने को कोई तैयार नहीं है समय-समय पर सफाई के नाम पर महज खानापूर्ति कर दी जाती है। जिसके चलते दुर्गंध का स्थाई समाधान नहीं हो पा रहा है। हमारी पीड़ा के निदान के लिए हमको अब आंदोलन पर भी उतरना पड़ा तो उतरेंगे और यहां के सांसद, विधायक व प्रशासन तक भी पहुंचना पड़ा तो पहुंचेंगे और अपनी पीड़ा व्यक्त कर उनको अवगत् करवाएंगे। यहां रहने वाली भावना मंडोवरा ने बताया की दुर्गंध के चलते घरों से बाहर निकलना दूभर हो गया है। बच्चों को घरों के बाहर खेलने से मना करना पड़ रहा है, कोरोना के बाद अब इस दुर्गंध से निजात पाने के लिए हमें मास्क लगाकर यहां रहना पड़ रहा है। समस्या के स्थाई समाधान के लिए यहां के जनप्रतिनिधियों और प्रशासन को जागना होगा। जबकि जलज मेहता ने कहा कि काफी वर्षों से इससे समस्या का स्थाई समाधान नहीं हो पाया है और ना ही नगर विकास न्यास के अधिकारियों ने इस दुर्गंध की समस्या को गंभीरता से लिया है। दुर्गंध को लेकर नगर विकास न्यास को कितनी ही बार शिकायत कर चुके हैं लेकिन कभी सुनवाई नहीं हुई। शिक्षा के क्षेत्र से सेवानिवृत्त डॉ रत्ना चित्तौड़ा ने बताया कि हम और हमारा भारत देश पर्यावरण को शुद्ध बनाने के लिए लगातार प्रयत्नशील हैं और सफाई के मामले में भी जिला अग्रणी रहा है बावजूद इसके आरके कॉलोनी क्षेत्रवासियों को इस तरह की दुर्गंध का सामना करना पड़ रहा है जो की विचारणीय है। घर आने जाने वाले तक यह बात कहने लग गए हैं कि आप यहां कैसे रह लेते हैं। दुर्गंध का मुख्य कारण शहर के गंदे नालों का पानी भी इस तालाब में छोड़ना है, इसी के कारण ऐसे हालात उत्पन्न हो रहे हैं। स्थानीय निवासी कृष्णा सोमाणी ने कहा कि नेहरू तलाई से दुर्गंध उठने को लेकर मैंने कलेक्ट्रेट कार्यालय से संपर्क किया तो उन्होंने कहा कि नगर विकास न्यास में बात कीजिए और जब नगर विकास न्यास में कॉल किया तो उन्होंने नगर निगम जाकर शिकायत दर्ज करवाने की बात कही। किसी ने भी सही जवाब नहीं दिया कि इसकी सफाई का जिम्मा आखिर किसका है। वही इस बारे में नरेश कुमार ने बताया कि यहां रहना और जीना दुभर हो चला है। अगर जल्द ही इस दुर्गंध का स्थाई समाधान नहीं किया गया तो मजबूरन क्षेत्रवासियों को आंदोलन के लिए मजबूर होना पड़ेगा। यहां के जनप्रतिनिधि व प्रशासन चाहे तो नेहरू तलाई का अच्छा रखरखाव कर के पर्यटन स्थल के रूप में विकसित कर सकते हैं।


