पुनित चपलोत
भीलवाड़ा । राजस्थान में चलाए जा रहे ‘हरियालो राजस्थान’ अभियान की मंशा पर सवाल उठने लगे हैं। भीलवाड़ा जिले के गुलाबपुरा उपखंड के हुरडा ब्लॉक में स्थित जालमपुरा गांव में 35 बीघा चरागाह भूमि पर लगे हरे-भरे पेड़ों को ‘पौधरोपण’ के नाम पर रातोंरात काटे जाने का गंभीर मामला सामने आया है। इस घटना से आक्रोशित ग्रामीणों ने कलेक्ट्रेट कार्यालय पर प्रदर्शन कर वन भूमि से पेड़ों की अवैध कटाई और उनकी बिक्री में शामिल लोगों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई की मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि एक तरफ सरकार ‘हरियालो राजस्थान’ अभियान के तहत प्रदेश में हरियाली बढ़ाने का दावा कर रही है, वहीं दूसरी तरफ जालमपुरा में बड़े पैमाने पर पेड़ों की बलि देकर अभियान की मूल भावना को ही ठेस पहुंचाई जा रही है। चरागाह भूमि पर सदियों से लगे इन पेड़ों को काटकर वन भूमि को उजाड़ने का यह कृत्य पर्यावरणीय और सामाजिक दोनों ही दृष्टियों से निंदनीय है। इस पूरे मामले को लेकर ग्रामीणों का कहना है कि यह केवल पेड़ों की कटाई का मामला नहीं, बल्कि वन संपदा के अवैध दोहन और सरकारी योजनाओं के दुरुपयोग का भी मामला है। ग्रामीणों ने दोषियों के खिलाफ त्वरित और सख्त कार्रवाई की मांग करते हुए चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगों पर ध्यान नहीं दिया गया तो वे बड़े आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन ने अभी तक इस मामले पर कोई आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है। देखना होगा कि इस गंभीर आरोप पर क्या कार्रवाई की जाती है और ‘हरियालो राजस्थान’ अभियान की आड़ में हुई इस कथित अनियमितता की जांच किस दिशा में आगे बढ़ती है।