(मोहम्मद आज़ाद नेब)
जहाजपुर|स्मार्ट हलचल|बेई ग्राम पंचायत की निलंबित प्रशासक फौरी देवी मीणा ने गुरुवार को उच्च न्यायालय जोधपुर के आदेश (क्रमांक CW14753/2025) के बाद अपने पद का कार्यभार फिर से संभाल लिया। ग्राम विकास अधिकारी सविता मीणा ने उन्हें पद ग्रहण करवाया। यह अवसर राजनीतिक और सामाजिक हलकों में खासा चर्चा का विषय रहा, क्योंकि तीन माह पूर्व राज्य सरकार ने फौरी देवी को प्रशासनिक कारणों का हवाला देते हुए तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया था। फौरी देवी ने इस निलंबन को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद न्यायालय ने निलंबन आदेश को निरस्त करते हुए उन्हें तत्काल कार्यभार ग्रहण कराने के निर्देश दिए। आदेश मिलते ही प्रशासन ने उन्हें पद ग्रहण करवा दिया।
दूसरी ओर, पड़ेर ग्राम पंचायत की प्रशासक ममता जाट के मामले में भी 4 जुलाई को हाईकोर्ट का इसी तरह का आदेश आया था, लेकिन उसे राज्य सरकार ने चुनौती दी। परिणामस्वरूप ममता जाट अब तक कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाई हैं। तीन दिनों के आंदोलन और उनके पति मुकेश जाट के टावर पर चढ़कर विरोध जताने के बाद भी उन्हें पद संभालने का मौका नहीं मिला।
लोगों में यह मुद्दा चर्चा का विषय बना हुआ है कि समान परिस्थितियों और एक जैसे न्यायालय आदेश होने के बावजूद एक प्रशासक को तुरंत पद ग्रहण करवा दिया गया, जबकि दूसरी को अब भी इंतजार करना पड़ रहा है। कई लोगों का कहना है कि जातिगत आधार पर यह भेदभाव हुआ है फौरी देवी मीणा जाति से होने के कारण उन्हें तुरंत पद ग्रहण कराया गया, जबकि ममता जाट को यह अवसर नहीं मिला।