अभिनंदन समारोह में सम्मानित हुए जनजाति सेवा के कर्मयोगी जगदीश प्रसाद जोशी
उदयपुर, 22 दिसंबर। मोहनलाल सुखाड़िया विश्वविद्यालय के प्रौद्योगिकी महाविद्यालय के सभागार में सेवा, त्याग और समर्पण का अद्भुत दृश्य उस समय देखने को मिला, जब जनजाति समाज के उत्थान के लिए अपना संपूर्ण जीवन समर्पित करने वाले कर्मयोगी जगदीश प्रसाद जोशी का अभिनंदन किया गया।
90 वर्ष की आयु पूर्ण करने के बाद भी जोशी जी की सक्रियता, ऊर्जा और समाज के लिए संकल्प ने उपस्थित जनसमूह को भावुक कर दिया।
अभिनंदन समारोह में महामंडलेश्वर हंसराम जी महाराज (हरिसेवा धाम, भीलवाड़ा), राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के वरिष्ठ प्रचारक श्री गुणवंत सिंह जी कोठारी, श्री विजय कुमार जी, श्री भगवान सहाय जी, श्री मुरली जी, श्री नंदलाल जी, श्री राजाराम जी, राजस्थान सरकार के कैबिनेट मंत्री श्री बाबूलाल जी, सांसद श्री मन्नालाल जी, जिला कलेक्टर नामित मेहता सहित अनेक गणमान्य नागरिक, सामाजिक कार्यकर्ता एवं स्वयंसेवक उपस्थित रहे। सभी वक्ताओं ने जोशी जी के जीवन को आज की युवा पीढ़ी के लिए प्रेरणास्रोत बताया।
जहां उम्र विश्राम मांगती है, वहां जोशी जी नई योजनाएं गढ़ते हैं
इस सम्मान समारोह की पृष्ठभूमि में एक असाधारण जीवन यात्रा छिपी है। वर्ष 1935 में भीलवाड़ा के सरदार नगर में जन्मे जगदीश प्रसाद जोशी ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के आदर्शों को अपने जीवन का मूल मंत्र बनाया। सीमित संसाधनों में शिक्षा प्राप्त कर उन्होंने मद्रास इंजीनियरिंग कॉलेज से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल की और बांसवाड़ा के सुदूर जनजाति क्षेत्र में इंचार्ज मिस्त्री के रूप में कार्य आरंभ किया।
सरकारी योजनाओं के साथ कार्य करते हुए वे अधिशासी अभियंता के पद तक पहुंचे, लेकिन पद, प्रतिष्ठा और सुविधाएं कभी उनका लक्ष्य नहीं रहीं। उनका मन सदैव जनजाति समाज के कल्याण और विकास की दिशा में लगा रहा।
सेवानिवृत्ति के बाद झोपड़ी में रहकर शुरू किया बदलाव का अभियान
सेवानिवृत्ति के बाद, जब अधिकांश लोग आरामदायक जीवन चुनते हैं, तब जोशी जी ने परिवार की अनुमति लेकर बांसवाड़ा जिले के पीपलखूंट क्षेत्र के लांबाडाबरा गांव में एक सुविधाविहीन झोपड़ी में रहना स्वीकार किया। न बिजली, न सुविधाएं—लेकिन सेवा का अटूट संकल्प। वहीं से उन्होंने गांव की नदी पर एनीकट निर्माण कर सिंचाई की शुरुआत की और गांव को विकास की मुख्यधारा से जोड़ा।
उन्नत कृषि बीज, गाय-बछड़ों की व्यवस्था, वृक्षारोपण और जनजाति समाज के साथ आत्मीय संबंध बनाकर उन्होंने गांव को आदर्श ग्राम की दिशा में अग्रसर किया।
कोटड़ा बना सेवा का नया केंद्र, पेंशन भी समाज के नाम
इसके बाद वडलीपाड़ा होते हुए भंसाली ट्रस्ट के माध्यम से उन्होंने सुदूर कोटड़ा क्षेत्र को अपना केंद्र बनाया। अनेक जनजाति गांवों में एनीकट निर्माण, कुओं को गहरा करना, कृषि सुधार और आजीविका से जुड़े कार्य किए गए। संसाधनों की व्यवस्था के लिए उन्होंने विभिन्न संगठनों और सीएसआर फंड का सहयोग लिया और अपनी पेंशन का बड़ा हिस्सा भी जनजाति परिवारों व कार्यकर्ताओं के लिए समर्पित किया।
उनकी जीवंतता का प्रमाण यह है कि 90वां जन्मदिवस पूर्ण होने के दिन भी वे कोटड़ा में निर्माणाधीन एक विशाल स्टेडियम की योजना पर चर्चा कर रहे थे।
अक्षय कुमार भी हुए प्रेरित, जनजाति छात्रावास बना संस्कार केंद्र
जोशी जी की प्रेरणा से फिल्म अभिनेता अक्षय कुमार ने खेरवाड़ा क्षेत्र के एक जनजाति गांव में अत्यंत सुंदर और संस्कारयुक्त छात्रावास का निर्माण कराया। छात्रावास की गुणवत्ता और विद्यार्थियों में विकसित हो रहे संस्कारों को देखकर अक्षय कुमार इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने जनजाति बालिकाओं के लिए भी ऐसा ही छात्रावास बनाने की घोषणा की, जिसकी जिम्मेदारी जोशी जी ने उसी युवा उत्साह के साथ स्वीकार की।
संपन्न जीवन छोड़कर सेवा का मार्ग, युवाओं के लिए आदर्श
उल्लेखनीय है कि जोशी जी का परिवार अत्यंत संपन्न और उच्च शिक्षित है—एक पुत्र नई दिल्ली में संयुक्त सचिव स्तर के अधिकारी हैं। वे चाहें तो सुविधाभरा जीवन जी सकते थे, लेकिन उन्होंने समाज सेवा को ही अपना मिशन बनाया।
90 वर्ष की यह कर्मयात्रा केवल एक व्यक्ति की नहीं, बल्कि उस विचार की विजय है, जो सिखाता है कि सच्चा यौवन उम्र में नहीं, सेवा के संकल्प में होता है।


