साहित्यकार सत्यदेव सवितेन्द्र को लोक साहित्य सम्मान से नवाजा गया
देर रात तक चला मण्डेला स्मृति कवि सम्मेलन
राजेन्द्र खटीक
शाहपुरा-स्मार्ट हलचल|साहित्य सृजन कला संगम संस्थान के तत्वावधान में आयोजित लोक कवि मोहन मण्डेला स्मृति 28 वें कवि सम्मेलन में श्रोताओं से खचाखच भरे श्री राम टॉकीज के हॉल में सभी कवियों ने अपने काव्यपाठ से श्रोताओं को आनन्द से सराबोर कर दिया।
कार्यक्रम में उपस्थित खास मेहमान सांसद भीलवाड़ा दामोदर प्रसाद अग्रवाल, मुख्य अतिथि स्थानीय विधायक डॉ. लालाराम बैरवा तथा विशिष्ट अतिथि उपखण्ड अधिकारी सुनील कुमार मीणा, पुलिस उपअधीक्षक ओमप्रकाश विश्नोई एवं कार्यक्रम अध्यक्ष चन्द्र प्रकाश दुबे एम.एल.डी.ग्रुप डॉयरेक्टर केकड़ी का संस्थान की ओर से मेवाड़ी पगड़ी एवं माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।
लोक कवि मोहन मण्डेला के नाम से ऑडिटोरियम की घोषणा के संदर्भ में कार्यक्रम के खास मेहमान सांसद दामोदर प्रसाद अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा कि यथा शीघ्र स्थानीय विधायक लालाराम बैरवा मैं अपने प्रयासों से शाहपुरा में एक भव्य ऑडिटोरियम के निर्माण को मूर्त रूप देने का पूरा प्रयास करेंगे। विधायक डॉ. लालाराम बैरवा ने कहा कि ऑडिटोरियम के प्रयास पिछले वर्ष से मैंने शुरू कर दिये जो अब गतिशील है एवं शीघ्र ही 350 व्यक्तियों की बैठक क्षमता वाला एक ऑडिटोरियम शाहपुरा में बनेगा जिसका ले-आउट तैयार हो चुका है यह ऑडिटोरियम लोक कवि मोहन मण्डेला के नाम से ही तैयार होगा। उन्होंने कहा कि मैं शाहपुरा के विकास के लिए प्रतिबद्ध हूं तथा शाहपुरा जिले की पुनः बहाली के लिए हर संभव प्रयास करूंगा उन्होंने विश्वास दिलाया शाहपुरा पुनः जिला होगा इसका मैं आपको विश्वास दिलाता हूँ।
लोक कवि मोहन मण्डेला की स्मृति में प्रतिवर्ष दिये जाने वाला लोक साहित्य सम्मान से इस वर्ष राजस्थानी एवं हिन्दी भाषा के प्रतिष्ठित कवि, लेखक एवं साहित्यकार सत्यदेव संवितेन्द्र को ‘‘लोक साहित्य सम्मान’’ से नवाजा गया। सम्मान में श्रीफल, शॉल, नकद राशि एवं मानपत्र आदि संस्थान परिवार, उपस्थित कवियों,एवं अतिथियों द्वारा भेंट किए गए। मान पत्र का वाचन संस्थान अध्यक्ष जयदेव जोशी ने किया। सम्मानित साहित्यकार सत्यदेव संवितेन्द्र ने अपने उद्बोधन में कहा कि लोक कवि मोहन मण्डेला एक ऐसे कवि थे जिन पर विद्यार्थियों द्वारा शोध किये जाना चाहिए। उन्होंने अपनी ओर से ऐसे विद्यार्थियों को पूरा सहयोग प्रदान करने की भी बात कही। राजस्थानी भाषा के हाड़ौती अंचल के मधुर गीतकार विष्णु विश्वास के राग प्रभाती पर आधारित मां शारदे की वंदना थ्हारा चरणां म म्हारो ध्यान से ही इस कार्यक्रम की बेहतरीन शुरूआत करके काव्यमय वातावरण तैयार कर दिया। तत्पश्चात हास्य के बेहतरीन कवि कानू पण्डित ने पूरे हॉल को अपनी चुटीली बातों एवं हास्य के ठहाकों से गुंजायमान कर दिया। कानू पण्डित ने अपने काव्यपाठ में एक संदेश परक गीत बरगद, नीम और अंबुआ की छांव जरूरी है, इसलिए तो हिन्दुस्तां में गांव जरूरी है। सुनाई जिसमें श्रोताओं की तालियां लगातार बजती रही। अन्ता (बारां) के गीतकार विष्णु विश्वास अपने पहले ही गीत से श्रोताओं के मन मस्तिष्क पर छा गये उन्होंने अपने श्रेष्ठ गीत थ्हारो डील इतर की शीशी ली सौरम सी लपट उडै छै, थ्हारो मन गंगा सो पावन पाप्यां का पाप झड़ै छै तथा बेटी की बढ़ती उम्र पर संदेश परक गीत लांघ रही खेतां की मेर, बढ़गी डाळां चारूं मेर, सरसो गालै डील जवानी जड़ रही छै, अजी लाज म गढ़ रही छै थां बाप होर अणजाण थां सूतां खूटी ताण सुनाया तो इस मीठे गीतकार को सभी ने बहुत सराहा।
हास्य कवि दिनेश बंटी ने हलवाई का हलवाई की भाषा में लड़की को प्रपोज करना तथा कई हास्य टिप्पणियों से कविसम्मेलन में ठहाके बिखेरे उन्होंने अपने काव्य पाठ में अपनी रचना भूलकर अब हम गुरूजी सर, सर कहने लगे हैं, दान में सम्मान दे दे शिष्य ऐसे हैं कहां तथा आज के बच्चों का बचपन खोता जा रहा है उस विषय पर विलक्षण रचना मां के दूध को रोता बच्चा, स्कूल बेग को ढोता बच्चा, ममता मां की खोता बच्चा और आया से बेबस सोता बच्चा सुनाकर खूब तालियां बटोरी। गीतकार सत्येन्द्र मण्डेला ने राजस्थानी भाषा का थ्हारै रे आसरे आई रे छोड़कर घर, आंगण, गळियारां ने, म्हारी र गति मत बणा गाय ज्यूं, भूखी तरसै चारां ने, नाता प्रथा पर कटाक्ष का गीत सुनाया जिसे भरपूर दाद मिली। वीर रस के कवि केकड़ी के उमेश उत्साही ने तेरी मेरी छोड़ हो जा भक्त सच्चा राम का, मैं भी बच्चा राम का हूं तू भी बच्चा राम का तथा श्रीमद्भगवतगीता का भावानुवाद भी प्रस्तुत कर चेतक पर रचना हां चेतक का आत्मदान तो, युगों-युगों पर भारी है, राणा ही नहीं पूरा भारत चेतक का आभारी है सुना कर कार्यक्रम को गरिमा प्रदान की।
कार्यक्रम संयोजक कवि डॉ. कैलाश मण्डेला ने अपने अंदाज की प्रस्तुति के साथ ही अपने पिता लोक कवि मोहन मण्डेला की कतिपय विशिष्ट कविताओं की बानगी प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया। श्रोताओं की मांग पर उन्होंने ‘छबळक-छबळक’, मत करै रात दिन तणपट्ट, डोलर हिन्दा पर लोकरंजन का गीत ए ढबजा हिन्दां देबा वाळां, मांसू मति करे रे छाळा सुनाकर मोहन मण्डेला जी की यादों का ताजा कर दिया। दिल्ली से आई कवयित्रि डॉ.कीर्ति काले ने अपने गीतों, गजलों एवं आध्यात्मिक भजनों से कार्यक्रम को बुलन्दियों पर पहुंचा दिया उन्होंने नीम की निबोली भोली-भाली एक छोरी जब दर्पण देख के श्रृंगार करने लगी तथा श्रोताओं की मांग पर याद कोई करता है, हिचकियां बताती है, कौन पास कितना है, दूरियां बताती है एवं अयोध्या में अगर ढूंढों तो श्री राम मिलते हैं, जो वृंदावन में ढूंढोगे तो फिर घनश्याम मिलते हैं, मगर मां बाप के चरणों में चारों धाम मिलते हैं। जैसे गीतों से श्रेष्ठ काव्यपाठ किया।
हास्य-व्यंग्य के अन्तरराष्ट्रीय कवि रास बिहार गौड़, अजमेर ने कार्यक्रम का शानदार संचालन किया उन्होंने अपने संचालन में पूरी रात श्रोताओं से खूब ठहाके लगवाये। अपने काव्यपाठ में हास्य एवं व्यग्यं की श्रेष्ठ रचनाओं का पाठ किया। मैंने भगवान से कहा भ्रष्टाचार हटाओ, अखबारो पर व्यंग्य अमर उजाला -आया नहीं, जागरण कोई लाया नहीं, नवभारत फट गया, हिन्दू बॅंट गया, भास्कर पानी में गल रहा है, हिन्दुस्तान चुल्हे में जल रहा है। जब से मेरी बेटी जॉब करने गई है बैंगलोर में सन्नाटे बुनने लगा हूं चमकते हर शोर में तथा ‘‘रोटी’’ शीर्षक से मर्मस्पर्शी रचनापाठ करके कार्यक्रम को सुखद समापन किया। नगर पालिका के पूर्व अध्यक्ष कन्हैयालाल धाकड़ ने सभी कवियों को स्मृति चिन्ह भेंट किए। कार्यक्रम सूत्रधार डॉ.मण्डेला ने परम्परागत तरीके से लोक कवि की स्मृति में दो मिनट तक तालियों की गड़गड़ाहट के साथ अगले वर्ष तक के लिए कार्यक्रम को स्थगित किया।
संस्था जयदेव जोशी ने नगर पालिका प्रशासन, सभी पार्षदों, पुलिस प्रशासन, अतिथियों तथा श्रोताओं, साहित्य सृजन संस्थान परिवार के सभी सदस्यों शिवप्रकाश जोशी, पं. सुनील भट्ट, सत्यव्रत वैष्णव, एडवोकेट अनिल शर्मा आमीन शेख, एडवोकेट गीत मण्डेला तथा अन्य सभी के सहयोग हेतु आभार प्रकट किया।


