शशिकांत शर्मा
भरतपुर, स्मार्ट हलचल|विश्व प्रसिद्ध केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है, जो प्रकृति प्रेमियों, वन्यजीव फोटोग्राफरों और पर्यटकों के लिए उत्साह का विषय है। स्थानीय प्रशासन, वन्यजीव प्रेमी, फोटोग्राफर, प्रकृतिविद् और पर्यटक इन मेहमान पक्षियों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार हैं। राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी पक्षियों के लिए विश्व भर में जाना जाता है।
वन्यजीव फोटोग्राफर दीपक मुदगल ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान और इसके आसपास का क्षेत्र प्रवासी पक्षियों के लिए महत्वपूर्ण ठिकाना है। ये पक्षी भोजन की तलाश में उद्यान के आसपास के खेतों और जलाशयों में आते-जाते रहते हैं। कि अक्टूबर की शुरुआत से ही प्रवासी पक्षियों का आगमन शुरू हो गया है। हाल ही में भरतपुर-मथुरा सीमा पर सारस क्रेन की फोटोग्राफी के दौरान उनकी नजर एक पक्षी झुंड पर पड़ी। दूरबीन से देखने पर पता चला कि यह डेमोसाइल क्रेन का झुंड है । ये पक्षी साइबेरिया और मध्य एशिया के ठंडे क्षेत्रों से हजारों किलोमीटर की यात्रा कर भारत आते हैं, क्योंकि वहां अक्टूबर से मार्च तक अत्यधिक ठंड और बर्फबारी होती है।
मुदगल के अनुसार, डेमोसाइल क्रेन आगरा, मथुरा और भरतपुर के आसपास के चावल के खेतों में भोजन की तलाश में रुकते हैं। कुछ दिन विश्राम करने के बाद ये पक्षी जोधपुर के खींचन गांव की ओर प्रस्थान करते हैं, जो डेमोसाइल क्रेन के लिए एक प्रमुख ठिकाना है। इसके अलावा, केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान में भी कुछ समयकी लिए इन पक्षियों को देखा जा सकता है। मुदगल ने बताया कि डेमोसाइल क्रेन के अलावा अन्य प्रवासी पक्षी जैसे ग्रेटर फ्लेमिंगो, बार-हेडेड गीज़, ब्रहमणी डक और विभिन्न प्रजातियों के जलपक्षी भी उद्यान में आते हैं, जो उधान की खूबसूरती में चार चांद लगाते हैं।
राष्ट्रीय उद्यान के वन संरक्षक मानस सिंह ने बताया कि केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान प्रवासी और स्थानीय पक्षियों के स्वागत के लिए पूरी तरह तैयार है। उद्यान में पक्षियों के लिए उपयुक्त पर्यावास, जलाशयों की सफाई और भोजन की उपलब्धता सुनिश्चित की गई है। उन्होंने कहा कि इस मौसम में लगभग 370 से अधिक प्रजातियों के पक्षियों को उधान में दिखनेकी उम्मीद है, जिनमें से कई दुर्लभ प्रजातियां हैं। प्रशासन ने पर्यटकों और फोटोग्राफरों के लिए विशेष व्यवस्था की है, जिसमें गाइडेड टूर, बर्डवॉचिंग ट्रेल्स और सुरक्षित अवलोकन स्थल शामिल हैं।