(शीतल निर्भीक ब्यूरो)
लखनऊ।स्मार्ट हलचल|कभी कहा गया है। मां के चरणों में स्वर्ग बसता है, पर उत्तर-प्रदेश के सोनभद्र में जो हुआ उसने इस कहावत को झकझोर दिया। यहां एक बेरहम कलयुगी मां ने अपने ही दस माह के मासूम बेटे को जलते चूल्हे में डाल दिया और फिर खुद साड़ी के फंदे से झूलकर अपनी जिंदगी खत्म कर ली।बताया जाता है कि गुरुवार की सुबह सोनभद्र जिले की बभनी थाना क्षेत्र के जोबेदह गांव में उस वक्त सन्नाटा पसर गया जब लोगों ने मां और बच्चे के शव देखे। गांव की गलियां मातम में डूब गईं और हर आंख नम हो उठी। 28 वर्षीय राजपति पत्नी पतिराज निवासी ढेंगरपानी थाना बसंतपुर (छत्तीसगढ़) बुधवार को अपने ससुराल से मायके जोबेदह आई थी। रात को खाना खाने के बाद वह अपने दस माह के बेटे संग कमरे में सोने चली गई जबकि बड़ा बेटा अपने मामा के साथ दूसरे कमरे में सो गया था।
मिली जानकारी के अनुसार आधी रात में जब सब नींद में थे, तभी राजपति ने पहले अपने मासूम को जलते चूल्हे में झोंक दिया और फिर घर के बरामदे में साड़ी का फंदा बनाकर झूल गई। सुबह जब परिजन उठे और कमरे में पहुंचे तो दृश्य देखकर उनके पैरों तले जमीन खिसक गई। मां का शव फंदे से लटक रहा था और चूल्हे में बच्चे की राख बाकी थी।
इस भयानक घटना के बाद परिजनों की चीखें सुनकर गांव वाले दौड़ पड़े और पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंचे उपनिरीक्षक मख्खन लाल ने दोनों शवों को कब्जे में लेकर पंचनामा भरा और पोस्टमार्टम के लिए दुद्धी भेज दिया।
इस दौरान थानाध्यक्ष कमलेश पाल ने मीडिया को बताया कि महिला मानसिक तनाव में थी, हालांकि वास्तविक कारण पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद ही स्पष्ट हो सकेगा। घटना की जानकारी मिलते ही गांव में शोक की लहर दौड़ गई। हर कोई यही कहता नजर आया कि जिस मां की गोद बच्चे की पहली पनाह होती है, वही आज उसकी चिता बन गई। किसी ने कहा, “शायद दर्द ऐसा था कि ममता भी राख हो गई।
धर्म के दृष्टिकोण से देखा जाए तो यह केवल एक घटना नहीं बल्कि चेतावनी है कि जब मन का संतुलन टूटता है तब ममता भी महाकाल का रूप ले लेती है। गांव में अब भी चूल्हे की राख ठंडी नहीं हुई है पर हर दिल में सवाल जल रहा है। क्यों एक मां ने अपने ही लाल को अग्नि को समर्पित कर दिया? हे प्रभु, ऐसी पीड़ा किसी मां को मत देना जो अपनी ही ममता को जला दे।


