( कपिल भील)
ग्राम विकास अधिकारी व सरपंच की मिली भगत, घोटाले ही घोटाले।
झालावाड़ – स्मार्ट हलचल|जिले के झालरापाटन ग्राम पंचायत गिरधर पुरा का सरपंच मोहन लाल मीणा आज़ से ठिक छः साल पहले नगर में कपड़े सीने का कार्य करता है कहते हैं कि नरेगा के श्रमिक से भी कम आय थी। किस्मत बदली सरपंची हाथ लगी तो विकास के पैसे से चकाचौंध आंखें ऐसी पदराई की भ्रष्टाचार के रास्ते पर निकल पड़ा।
जिस जनमत ने मुखिया बनाया उन के हक पर डाका डालकर ऐशो आराम की दुनिया में सबसे आगे निकल गया।
सुत्रो व ग्रामीणो से प्राप्त जानकारी अनुसार श्मशान से नयागांव की ओर गांव गिरधर पुरा में पुलिया निर्माण कार्य में टाइट अन टाइट फंड से छः लाख चालीस हजार रुपए का भुगतान किया गया और श्रम कार्य से नरेगा से करीब तीन लाख रुपए का भुगतान किया गया। दस लाख रुपये का विकास कार्य देखें तो पुलिया में बिना नीम सीम के करीब पचास फूट दिवार बनाकर बीच में मिट्टी डालकर ऊपर बड़े बड़े पत्थर डालकर ग्रामीणो के गिरने पड़ने जैसी स्थिति उत्पन्न कर दी। पुलिया के ऊपर किसी भी प्रकार की डी सी पी ,इन्टरलाकिग की नहीं गई,तीन पानी निकासी के मौखे लगा कर पुलिया को भ्रष्टाचार की आग में झोंक दिया।
गांव वालों ने बताया दिवार निर्माण में जिन पत्थर का इस्तेमाल किया गया वो माधोपुर व गांव में अतिक्रमण से हटाये गये है जिनका बिल बनाकर राजस्व का भारी नुक़सान पहुंचाया गया है। गांव वालों ने बताया की बरसात के समय पुलिया के ऊपर से पानी निकलता है तो पुलिया में डाले गये नुकीले पत्थरों से ग्रामीण चोटिल होते रहते हैं आगे भी बड़ी दुर्घटना होने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता है। नियमानुसार इस्टीमेट को देखें तो पुलिया बिना डीपीसी व खरजे के नहीं छोड़ा जा सकता।
जानकार ग्रामीणो ने बताया की पुलिया में लगने वाली सामग्री जिसके कार्य का नाम इंटर लाकिग रोड मय नाली निर्माण पुलिया से रतन लाल के खेत तक जिसका भुगतान पांच लाख रुपए टाइट अन टाइट फंड से भुगतान किया गया। जहां इन्टर लाकिग कार्य हुआ है वो मात्र एक डेढ़ लाख से ज्यादा का नहीं है न ही कोई आबादी है। जिस पर क़रीब पन्द्रह लाख रुपए अपने चेहतो को खुश करने के भ्रष्टाचार करने में सफलता हासिल कर ली। दुसरा कार्य देखें तो पुलिया निर्माण भेरु लाल जी के खेत से बालचन्द के खेत तक जिसका प्रधान कोष पंचायत समिति मद के पांच लाख रुपए का भुगतान किया गया जिसका भोतिक सत्यापन हो तो पुलिया में एक मौखा रखा गया है और पन्द्रह फिट की दो दिवारे चुनवाई गयी है एक लाख के कार्य के एवज में पांच लाख रुपए उठाये गये है। गांव वालों ने बताया कि इसी राशि में से सरपंच ने अपने खेत पर नीजी मकान बनाया है। पुरे कार्यकाल के दौरान सरपंच ने अपने नीजी फाइदे के लिए अपने खेत में जाने के लिए एक पुलिया बनाई गई जबकि ग्रामीणौ के खेतों में जाने के रास्तों में आज भी कोई पुलिया का निर्माण नहीं करवाया है। सही मायने में तो कपड़ों पर टांके लगाने में पारंगत अब ग्राम विकास अधिकारी से मिली भगत कर जनता की सुविधाओं को रोदकर विकास कार्यों पर भ्रष्टाचार के टांके लगा कर सरकारी धन जो जनता का है उसे हज़म कर रहा है। देखते है उच्च पदों पर आसीन अधिकारी व मंत्री मदन दिलावर कौनसी एजेंसी से जांच करवाते हैं।


