दिलखुश मोटीस
सावर(अजमेर)@स्मार्ट हलचल|कोटा -अजमेर मार्ग पर नापाखेडा के पास बनास नदी पुलिया पर सुसाइड नोट, फोटो और मोटरसाइकिल छोड़कर मौत का भ्रम पैदा करने वाला रामलाल उर्फ कालूराम आखिरकार जीवित मिला। तीन दिन तक पुलिस व एसडीआरएफ टीमें बनास नदी में उसकी तलाश करती रहीं, लेकिन 6 दिसंबर को टेक्निकल इनपुट ने पूरा मामला पलट दिया। युवक दिल्ली–साबरमती आश्रम एक्सप्रेस में सफर करता मिला और अजमेर रेलवे स्टेशन पर जीआरपी ने उसे धर दबोचा। पूछताछ में सामने आया कि उसने यह नाटक बलात्कार प्रकरण से बचने के लिए रचा था।
3 दिसंबर: पुलिया पर मिले कागज़, बाइक और सुसाइड नोट ने मचाई सनसनी
3 दिसंबर को स्टेट हाईवे-26 स्थित बनास नदी पुलिया पर एक मोटरसाइकिल RJ-51-SL-4292, एक सुसाइड नोट, तीन आधार कार्डों की फोटोकॉपी और एक पासपोर्ट फोटो मिली।
दस्तावेज़ों ने खुलासा किया—रामलाल पुत्र धन्ना रेगर, निवासी भीमपुरा (भीलवाड़ा) नदी में कूदकर आत्महत्या कर चुका है।
अंधेरा होने की वजह से उसी रात सर्च नहीं हो सका।
एसडीआरएफ की दो टीमें 3 दिन तक तैनात — पर शव का पता नहीं
4 से 6 दिसंबर तक एसडीआरएफ की दो टीमें नदी में लगातार सर्च अभियान चलाती रहीं।
पुलिया के आसपास, तेज बहाव वाले हिस्सों और किलोमीटरो दूरी तक तलाशी की गई, लेकिन कहीं भी शव नहीं मिला।
शव का न मिलना ही पुलिस के संदेह की पहली मजबूत कड़ी बनी।
बलात्कार प्रकरण का खुलासा—संदेह हुआ पुख्ता
पुलिस की जांच में सामने आया कि रामलाल के खिलाफ थाना जहाजपुर में बलात्कार के आरोप में प्रकरण संख्या 305/2025 दर्ज है।
इस जानकारी ने पुलिस को आशंका दी कि कहीं युवक मुकदमे से बचने के लिए मौत का नाटक तो नहीं कर रहा?
टेक्निकल टीम की चौकसी—6 दिसंबर को मिला लोकेशन अलर्ट
6 दिसंबर को तकनीकी ट्रेसिंग में पता चला कि रामलाल दिल्ली–साबरमती आश्रम एक्सप्रेस में सफर कर रहा है।
तुरंत सावर थाना पुलिस अजमेर स्टेशन पहुंची और जीआरपी की मदद से ट्रेन की घेराबंदी कर युवक को पकड़ लिया गया।
पूछताछ में उगल दिया सच—‘रेप केस से बचने के लिए किया पूरा ड्रामा’
थाने में पूछताछ के दौरान रामलाल ने कबूल किया कि वह बलात्कार प्रकरण से बचने के लिए आत्महत्या का झूठा सीन रचकर फरार हुआ था।
उसने पुलिया पर अपनी बाइक, फोटो और दस्तावेज छोड़ दिए, ताकि लगे कि वह नदी में कूद गया है।
पुलिस ने उसे भारतीय न्याय संहिता की धारा 170 के तहत गिरफ्तार किया।
खुलासे में इनकी रही अहम भूमिका
इस कार्रवाई में सावर थानाधिकारी राधेश्याम चौधरी, कांस्टेबल भंवरलाल, शिवप्रकाश, मुकेश, और घनश्याम ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
टेक्निकल टीम व जीआरपी अजमेर का भी सहयोग रहा।
निष्कर्ष — मौत नहीं, साजिश निकली
तीन दिनों तक पुलिस, एसडीआरएफ और प्रशासनिक संसाधन एक नकली आत्महत्या के पीछे उलझे रहे।
जिसे पूरा जिला मृत मानकर नदी में ढूंढ रहा था, वह आराम से ट्रेन में सफर करता मिला।
यह मामला बताता है कि कानून से बचने के लिए आरोपी किस हद तक जाकर भ्रम रच सकते हैं और इसका कितना बड़ा नुकसान सिस्टम को उठाना पड़ता है।


