करेड़ा। आत्मा का असली स्वभाव भगवता है हर आत्मा में अनंत शक्ति, ज्ञान,व सुख है। उक्त विचार साध्वी विनित रुप प्रज्ञा ने आमेट में चातुर्मास के दौरान धर्म सभा को संबोधित करते हुए कहे। उन्होंने आगे कहा कि आत्मा और कर्म के बंधन के कारण यह गुण प्रकट नहीं हो पाते सम्यक दर्शन, ज्ञान, चरित्र,के माध्यम से आत्मा के इस राज्य को प्राप्त किया जा सकता है। साध्वी चन्दन बाला ने कहा कि जैन धर्म में अनेक शासन देवी-देवता हैं पर उनकी आराधना को महत्व नहीं दिया जाता है। जिन्हें जिनेन्द्र या वीतराग भगवान कहा जाता है इनकी आराधना का ही विशेष महत्व है। साध्वी आनन्द प्रभा ने कहा कि प्रत्येक आत्मा स्वयं से परमात्मा से साक्षात्कार कर सकती है और जन्म मृत्यु के अंतहीन सिलसिले से मुक्ति पा सकती है।। इस दौरान बडी संख्या में धर्मप्रेमी उपस्थित थे