ओम जैन
शंभूपुरा।स्मार्ट हलचल|चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति के तहत आने वाली अभयपुर ग्राम पंचायत में सरकारी योजनाओं के नाम पर बड़ी गड़बड़ी सामने आई है। यहां कई विकास कार्यों के नाम पर करीब 11 लाख रुपए सरकारी खाते से निकाल लिए गए, लेकिन जमीनी स्तर पर कोई काम ही नहीं हुआ। इस मामले में तत्कालीन सरपंच एव वर्तमान प्रशासक रघुवीर सिंह और तत्कालीन सचिव रिटायर्ड ओमप्रकाश कुमावत को जिम्मेदार माना गया है। दोनों के खिलाफ विजयपुर थाने में चित्तौड़गढ़ पंचायत समिति के विकास अधिकारी ने मामला दर्ज करवाया है।
जांच में सामने आई बड़ी गड़बड़ी, काम नहीं लेकिन सबको हुए भुगतान
पंचायत समिति के विकास अधिकारी को जब ग्राम पंचायत अभयपुर में अनियमितताओं की शिकायतें मिलीं, तो 18 नवंबर 2024 को पंचायत समिति कार्यालय में चार सदस्यीय कमेटी बनाई गई। इसमें लेखाधिकारी, सहायक लेखाधिकारी, अतिरिक्त विकास अधिकारी और सहायक विकास अधिकारी शामिल थे। इस कमेटी को सभी कामों की भौतिक जांच करने और मौके की सच्चाई सामने लाने की जिम्मेदारी दी गई। जांच दल ने जब ग्राम पंचायत रिकॉर्ड, माप पुस्तिका और वाउचर आदि का जांच किया गया, तो यह साफ हुआ कि काम शुरू ही नहीं किए गए, लेकिन उनके नाम पर भुगतान जरूर कर दिया गया।
कमेटी ने की मौके पर जांच, पद और सरकारी रुपयों का हुआ दुरुपयोग
कमेटी ने मौके पर जाकर निरीक्षण किया तो वहां न कोई निर्माण कार्य दिखा और न ही कोई मटेरियल मौजूद था। रिकॉर्ड में भुगतान दर्ज था, लेकिन काम का कोई सबूत नहीं मिला। जांच रिपोर्ट 6 दिसंबर 2024 को तैयार की गई, जिसमें लिखा गया कि सरपंच और ग्राम विकास अधिकारी दोनों ने राजकीय राशि के साथ-साथ अपने पद का भी दुरुपयोग किया है। रिपोर्ट के आधार पर दोनों के खिलाफ राजस्थान पंचायती राज नियम, 1996 की धाराओं 207, 208 और 209 के तहत कार्रवाई की सिफारिश की गई।
नोटिस जारी किए तो हुई कुछ राशि की वसूली
इसके बाद दोनों अधिकारियों को 28 जनवरी 2025 को वसूली नोटिस जारी किए गए। सरपंच रघुवीर सिंह और ग्राम विकास अधिकारी ओमप्रकाश कुमावत से कहा गया कि वे सरकारी कोष में राशि जमा करें। दोनों को सुनवाई का मौका भी दिया गया ताकि वे अपने पक्ष में बात रख सकें, जिसके बाद कुछ राशि की वसूली तो की गई लेकिन अभी और वसूली बाकी है।
सुनवाई के लिए बुलाया गया, पर सरपंच नहीं आए
8 अक्टूबर को चार सदस्यीय कमेटी ने एक नोटिस भेज कर दोनों को 15 अक्टूबर को बुलाया गया। रिटायर्ड ग्राम विकास अधिकारी ओमप्रकाश कुमावत तो सुनवाई में पहुंचे और अपना पक्ष रखा, लेकिन तात्कालिक सरपंच रघुवीर सिंह सुनवाई में हाज़िर नहीं हुए।
सुनवाई में ओमप्रकाश कुमावत ने कहा कि उस समय मटेरियल पंचायत में लाया गया था, इसलिए उन्होंने भुगतान कर दिया, लेकिन बाद में किसी कारण से काम नहीं हुआ। उन्होंने इसे “गलती” बताया। हालांकि कमेटी को उनका यह तर्क सही नहीं लगा। जांच दल ने माना कि यह सिर्फ लापरवाही नहीं, बल्कि गंभीर अनियमितता है।
सरपंच पर भी गंभीर आरोप
सरपंच रघुवीर सिंह के खिलाफ आरोप है कि उन्होंने ग्राम पंचायत के मुखिया होने के बावजूद काम की प्रगति नहीं देखी और सरकारी राशि की निगरानी नहीं की। पंचायती राज अधिनियम की धारा 32 के अनुसार सरपंच की जिम्मेदारी होती है कि पंचायत के सभी काम समय पर पूरे कराए जाएं। लेकिन उन्होंने यह जिम्मेदारी नही निभाई।
कमेटी ने दोनों को दोषी माना
सभी रिकॉर्ड, डॉक्यूमेंट्स और मौके की रिपोर्ट देखने के बाद कमेटी ने निष्कर्ष निकाला कि दोनों अधिकारियों ने सरकारी राशि का गबन किया है। इसलिए पंचायत समिति विकास अधिकारी समुद्र सिंह ने इस पर विजयपुर थाने में एफआईआर दर्ज करवाई। उन्होंने बताया कि यह मामला 2022 से चल रहा था, और कई बार दोनों को काम पूरे करने और राशि लौटाने के लिए कहा गया था, लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ, जिसके बाद 27 तारीख को विजयपुर थाने में दोनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवाई गई है।
38 कामों में से 17-18 काम बाद में करवाए
जांच में यह भी सामने आया कि ग्राम पंचायत में करीब छोटे-बड़े मिलाकर 38 विकास काम स्वीकृत हुए थे। इनमें से 17-18 काम तो बाद में करवाए गए, जब अधिकारियों पर कार्रवाई की बात शुरू हुई। लेकिन जब निरीक्षण दल पहुंचा, तब कोई भी काम शुरू ही नहीं हुए थे।
आंशिक रिकवरी हुई, बाकी राशि बाकी
विकास अधिकारी समुद्र सिंह ने बताया कि लगभग 11 लाख रुपए में से कुछ राशि की रिकवरी हो चुकी है, लेकिन अभी भी बाकी रकम वसूल की जानी है। जिन कामों के बदले पैसे उठाए गए, उन पर ब्याज सहित राशि लौटाने का आदेश दिया गया है। नियमों के अनुसार, सरकारी राशि को 18 दिन के भीतर ब्याज सहित लौटाना होता है, लेकिन ऐसा नहीं किया गया।
अब पुलिस जांच करेगी आगे की कार्रवाई
विकास अधिकारी ने बताया कि एफआईआर दर्ज होने के बाद अब पुलिस विभाग अनुसंधान कर रहा है। अगर दोनों अधिकारी कमेटी के निर्णय से असंतुष्ट हैं, तो वे अपील कर सकते हैं या कोर्ट में जा सकते हैं।
फिलहाल पंचायत समिति की ओर से रिकवरी की कार्रवाई जारी है, और जिला परिषद के माध्यम से ब्याज की गणना कर दोनों को नोटिस भेजे जा रहे हैं।
उच्च अधिकारियों को भी भेजी गई रिपोर्ट
विकास अधिकारी समुद्र सिंह ने बताया कि इस पूरे मामले की रिपोर्ट जिला परिषद के सीईओ और जिला कलेक्टर को भेज दी गई है। उन्होंने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो पंचायती राज अधिनियम के तहत सरपंच को उनके प्रशासक पद से हटाने की कार्रवाई भी की जा सकती है।


