“जो भगवान को उच्चतम आसन पर प्रतिष्ठित करता है, वह जीवन में ऊंचाई व सम्मान पाता है — जैनाचार्य प्रज्ञा सागर जी मुनिराज
कोटा।स्मार्ट हलचल/ महावीर नगर प्रथम स्थित लाल मंदिर में भगवान अरिहंत सहित तीर्थंकर प्रतिमाओं का भव्य अभिषेक व पूजन वैदिक मंत्रोच्चार और शांतिपूर्वक धार्मिक अनुष्ठानों के साथ सम्पन्न हुआ। वहीं दूसरी ओर प्रज्ञालोक परिसर में जैनाचार्य 108 श्री प्रज्ञा सागर जी मुनिराज के पावन सान्निध्य में भक्तामर स्तोत्र विधान अत्यंत श्रद्धा और भक्ति के साथ आयोजित किया गया।अध्यक्ष लोकेश जैन सीसवाली ने बताया कि सुबह 7:00 बजे प्रारंभ हुए कार्यक्रम में भगवान के अभिषेक, शांतिधारा और गुरुपूजन में श्रृद्धा व भक्ति के साथ लोग जुड़े। इसके उपरांत अष्ट प्रतिहार्य तीर्थंकरों सहित भगवान अरिहंत का विधिवत पूजन अर्चन किया गया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने पूरे भाव और भक्ति के साथ पूजन में भाग लिया, जिससे सम्पूर्ण मंदिर परिसर में दिव्य और शांतिमयी वातावरण व्याप्त हो गया। श्रद्धालुजनों ने चांदी से निर्मित 10 सिंहासन और 4 छत्र मंदिर को भेंट किए।
चैयरमेन यतीश जैन खेडावाल ने बताया कि प्रज्ञालोक परिसर में आयोजित भक्तामर विधान में भक्तामर स्तोत्र के 48 श्लोकों के साथ क्रमशः पुष्पांजलि, दीपदान, नैवेद्य और विशेष पूजन सामग्री समर्पित की गई। प्रत्येक श्लोक के साथ विशिष्ट विधान द्वारा मंत्रोच्चार, ध्यान और साधना का वातावरण निर्मित हुआ।
इस अवसर पर जैनाचार्य प्रज्ञा सागर जी मुनिराज ने कहा कि “जो व्यक्ति भगवान को उच्चतम आसन पर प्रतिष्ठित करता है, वह स्वयं जीवन के हर क्षेत्र में ऊंचाई और सम्मान प्राप्त करता है। भक्तामर स्तोत्र न केवल आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम है, बल्कि यह संकट, रोग, भय और मानसिक क्लेशों के निवारण हेतु एक दिव्य औषधि समान है। जो भक्त इसे श्रद्धा से करता है, उसके जीवन में सकारात्मक ऊर्जा और शांति का संचार होता है।”
कार्यक्रम में गुरु आस्था परिवार के चैयरमेन यतीश जैन खेडावाला,अध्यक्ष लोकेश जैन, महामंत्री नवीन जैन दोराया, कोषाध्यक्ष अजय जैन, लोकेश जैन, यतिश जैन खेडावाला, सौरभ रावत, मंगल शास्त्री, विनोद जैन, हनुमान जैन इटावा सहित अनेक श्रद्धालुओं की सक्रिय सहभागिता रही।


