नरेश मीणा सहित उनके समर्थकों की आगामी 10 दिन में रिहाई नहीं हुई तो राजधानी जयपुर में सचिवालय को घेरने का अल्टीमेटम,Action in Samravata case by Maha Panchayat
– छावनी में तब्दील दिखाई दिया नगरफोर्ट कस्बा-कानून और सुरक्षा की दृष्टि से चप्पे चप्पे पर पुलिस प्रशासन रहा अलर्ट
(शिवराज बारवाल मीना)
टोंक/नगरफोर्ट ।स्मार्ट हलचल/जिले के नगरफोर्ट तहसील मुख्यालय पर टोंक रोड़ स्थित बंसल पैट्रोल पम्प के सामने रविवार, 29 दिसम्बर को विधानसभा उप चुनाव में बीते माह 13 नवम्बर को समरावता गांव के प्रकरण में ग्रामीणों को न्याय दिलाने तथा टोंक जेल में करीब 46 दिन से बंद देवली-उनियारा से निर्दलीय प्रत्याशी रहे नरेश मीणा सहित उनके समर्थकों की जेल से जल्द रिहाई व निर्दोषों को न्याय दिलाने के लिए सर्व समाज की विशाल महापंचायत का आयोजन किया गया। महापंचायत में करीब 25 से 30 हजार की संख्या में नरेश मीणा समर्थकों व लोगों ने भाग लिया। पांडाल में चारों तरफ नरेश मीणा व क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह के एक साथ संयुक्त फोटो युक्त झंडे युवाओं में जोश भर रहे थे। रविवार को नगरफोर्ट में हुई सर्व समाज की महापंचायत में राजस्थान से ही नहीं बल्कि राजस्थान के समीपवर्ती राज्य मध्यप्रदेश से भी हजारों की तादाद में लोगों सहित अनेक जनप्रतिनिधियों व नेताओं ने भाग लिया, जहां पूरा नगरफोर्ट छावनी के रूप में तब्दील दिखाई दिया।
महापंचायत को संबोधित करते हुए हाड़ौती के कद्दावर कांग्रेस नेता व पूर्व विधायक प्रहलाद गुंजल ने राजस्थान की भजनलाल सरकार को आड़े हाथों लेकर जमकर घेरते हुए हजारों लोगों से महापंचायत में सार्वजनिक मंच से कहा कि समरावता गांव के निर्दोष ग्रामीणों सहित देवली-उनियारा से निर्दलीय प्रत्याशी रहे नरेश मीणा समेत उनके समर्थकों को आगामी 10 दिनों में जेल से रिहा नहीं किया गया तो अगला महापड़ाव राजस्थान की राजधानी जयपुर में सचिवालय पर होगा। साथ ही कहा कि या तो आगामी 10 दिनों में राज्य सरकार नरेश मीणा सहित उनके समर्थकों की रिहाई करवा दे, अगर राजस्थान सरकार चाहती हैं कि जयपुर में बड़ा आंदोलन हो और सचिवालय का घेराव हो तो उसके लिए तैयार रहे। इस दौरान अगर सरकार जयपुर कूच करने वाले क्रांतिकारी लोगों को महापड़ाव में जयपुर जाने के लिए रोकती हैं तो उसी स्थान पर महापड़ाव डालते हुए राजस्थान में चक्का जाम कर सरकार के खिलाफ ईंट से ईंट बजा देंगे, 13 नवम्बर को समरावता की घटना ने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। उन्होंने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि राजस्थान सरकार आदिवासी विरोधी होती जा रही है सरकार आदिवासियों, गरीबों व किसानों के खिलाफ है अब यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। सर्व समाज की इस महापंचायत को नजरअंदाज किया गया तो राजस्थान की धरती पर जलजला आ जाएगा, उन्होंने समरावता गांव में वाहनों, मकानों व पीड़ित ग्रामीणों को हुई हानि का जल्द मुआवजा दिलाने तथा समरावता प्रकरण की जांच हाईकोर्ट के सीटिंग जज से न्यायिक जांच करवाने की मांग की है। वहीं कांग्रेस सरकार के पूर्व कैबिनेट मंत्री रहे प्रताप सिंह खाचरियावास ने न्याय को लेकर सर्व समाज की महापंचायत में संबोधित करते हुए कहा कि नरेश मीणा सहित समरावता गांव के लोगों को राजस्थान सरकार जेल से रिहा नहीं करती है तो सचिवालय का घेराव किया जाएगा। सचिवालय का एक भी गेट नहीं खुलने देंगे तथा सचिवालय में कोई कामकाज नहीं करने देंगे। शीघ्र न्याय नहीं मिला तो महापंचायत के निर्णय अनुसार फैसला लेकर जयपुर कूच करेंगे। लोकतंत्र में सरकरे आमजन के मतदान से चलती हैं, जनता ही सरकार बनाती हैं, सरकार जनता को नहीं चला सकती। हम हर कीमत पर आम जनता के लिए लड़ने वाले क्रांतिकारी नरेश मीणा व समरावता गांव को न्याय दिलवाकर ही दम लेंगे, समरावता गांव की हर महिला मां लक्ष्मी बाई है मैं उनके हौसलों की दात देता हूं ऐसा बहादुर गांव मैंने जिन्दगी में कभी नहीं देखा। वहीं पूर्व मंत्री खाचरियावास ने राजस्थान सरकार के मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा व जवाहर सिंह बेडम ने समरावता गांव के पीड़ितों को मुआवजा दिलाने के लिए मुख्यमंत्री से बात की थी, जिसे भी मुख्यमंत्री ने ठुकराते हुए अब तक मुआवजा नहीं दिलाया। इसी क्रम में महापंचायत को संबोधित करते हुए राजपूत करणी सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष महिपाल सिंह मकराना ने कहा कि नरेश मीणा मेरे परम मित्र हैं, अगर समरावता के युवा, ग्रामीण तथा जेल में बंद निर्दोष लोगों सहित नरेश मीणा को आगामी 10 दिनों में रिहा नहीं करती हैं और आदर्श आचार संहिता के बीच अपने पद का दुरूपयोग कर जबरन वोट डलवाने वाले एरिया मजिस्ट्रेट एसडीएम सहित दोषी जिम्मेदार प्रशासनिक अधिकारियों पर सरकार कार्यवाही नहीं करती हैं तो सर्व समाज के लोग जयपुर कुच करेंगे। सरकार से आरपार की लड़ाई लड़ेंगे, अगर हमें चक्का जाम भी करना पड़े तो हम करेंगे, न्याय नहीं मिला तो हम सभी आंदोलनकारी किसी भी हद तक जा सकते हैं। महापंचायत में सर्व समाज की ओर से राज्य सरकार के नाम 10 दिन के अल्टीमेटम के साथ नरेश मीणा सहित समर्थकों की रिहाई व प्रकरण की न्यायिक जांच तथा मुआवजे को लेकर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक टोंक व एसडीएम देवली को मंच पर बुलाकर ज्ञापन दिया गया। इस अवसर पर महापंचायत को देवली-उनियारा से कांग्रेस के पूर्व विधायक व राजस्थान विधानसभा के पूर्व उपाध्यक्ष रामनारायण मीणा, मध्यप्रदेश के श्योपुर विधायक बाबूलाल मीणा झंडेल, मुरैना के पूर्व विधायक सतपाल सिकरवाल, आदिवासी मीणा समाज प्रदेशाध्यक्ष पूर्व आईआरएस केसी घुमरिया, केरल के पूर्व मुख्य सचिव आईएएस टीकाराम मीणा, सरपंच संघ के कार्यवाहक प्रदेशाध्यक्ष नेमीचन्द मीणा, शोयब खान टोंक, कांग्रेस हरिमोहन शर्मा के पुत्र संतोष शर्मा बूंदी, बाप पार्टी के बागीदौरा विधायक जयकृष्ण पटेल, बाप पार्टी विधायक थावरचंद, एडवोकेट लाखनसिंह मीणा, क्रांतिकारी युवा अबरार मलारना, सौम्या मीणा, पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष उनियारा शिवनारायण (सोनू) मीणा, मनोज बंटी मीणा, जसराम मीना रानीपुरा, घनश्याम धारौला, देशराज, अमृतलाल बिलौता सहित टोंक जिले से एक दर्जन करीब सरपंच तथा
सर्व समाज के कई गणमान्य वक्ताओं ने महापंचायत को संबोधित किया।
——— यह थी समरावता प्रकरण की हकीकत सच्चाई ——–
आपको बता दें चले कि बीते माह 13 नवम्बर को विधानसभा उप चुनाव के दौरान समरावता गांव में कई महीनों पूर्व से तथा मतदान के दिन भी समरावता को उनियारा उपखण्ड से हटाकर 85 किमी दूर देवली उपखंड में जोड़ देने से नाराजगी जताते हुए उनके गांव को वापस यथावत 15 किमी पर उनियारा उपखण्ड में जोड़ने की मांग कर रहे थे। ग्रामीणों के मतदान बहिष्कार के बावजूद भी 13 नवम्बर को एरिया मजिस्ट्रेट एसडीएम मालपुरा अमित कुमार चौधरी द्वारा 2 सरकारी कार्मिकों व एक ग्रामीण से जबरन वोटिंग कराने पर मामला गर्माया था, जिसके बाद ग्रामीणों की सूचना पर निर्दलीय प्रत्याशी नरेश मीणा अपने समर्थकों के साथ समरावता पहुंचकर धरने में शामिल हुए थे, जहां एरिया मजिस्ट्रेट एसडीएम समेत प्रशासन से वार्ता कर जिला कलेक्टर को मौके पर बुलाने की मांग की गई थी, कलेक्टर के नहीं आने पर बाद में ग्रामीणों के साथ धरना दे रहे नरेश मीणा ने न्याय मांगते हुए अपना आपा खोते हुए एरिया मजिस्ट्रेट एसडीएम अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया था, फिर भी जिला कलेक्टर मौके पर नहीं आई। देर शाम को 3 बजे करीब ग्रामीणों से प्रशासन की समझाइश पर मतदान तो शुरू कराया गया। लेकिन नरेश मीणा, उनके समर्थक व ग्रामीण धरने में डटे रहे। फिर क्या हुआ उसी रात में पुलिस व प्रशासन ने सोची समझी चाल के तहत रात्रि में खाना खाने की तैयारी कर रहे धरनार्थीयों पर रात्रि में बिजली कटवाकर लाठी चार्ज करते हुए आंसू गैस के गोले दागे, जिससे भगदड़ में भीड़ को खदेड़ते हुए पुलिस ने उपद्रव फैलाकर ग्रामीणों के घरों में घुसकर बेरहमी से की, चारे व छपरो में आग लगी, वाहनों में तोड़फोड़ कर पथराव किया। जिससे से बचाव की कार्यवाही में दोनों और से पथराव हुआ, दर्जनों ग्रामीण व कुछ पुलिसकर्मी भी घायल हुए। ग्रामीणों ने पुलिस पर वाहनों में आग लगाने के आरोप लगाए, उसके बाद एक मकान में लगे सीसीटीवी कैमरे में पुलिस का गैर जिम्मेदाराना घिनौना कृत्य भी सीसीटीवी फुटेज में कैद होकर सामने आया, जिससे हिंसा को शांत करने गई पुलिस के जवानों की हकीकत घिनौनी हरकत सामने आई। महापंचायत में पूर्व आईआरएस केसी घुमरिया ने कहा कि समरावता प्रकरण में प्रशासन के दोषी अधिकारी / कार्मिकों के विरूद्ध ग्रामीणों की ओर से दर्ज हुए मुकदमे तथा याचिका पर सरकार ने कोई कार्यवाही नहीं की, बल्कि टोंक जिला पुलिस अधीक्षक ने तो मानवाधिकार आयोग सहित अन्य आयोग को यहां तक गलत रिपोर्ट तक भेज डाली की 13 नवम्बर को समरावता में ग्रामीणों के साथ रात्रि में घरों में घुसकर पुलिस द्वारा मारपीट करने व आगजनी करने जैसी घटना ही नहीं हुई। इसलिए समरावता को न्याय नहीं मिल रहा हैं। सरकार आयोगों को काम नहीं करने दे रही। अब हम लोकतांत्रिक तरीके से आरपार की लड़ाई लड़ते हुए आखरी सांस तक हाईकोर्ट, सुप्रीम कोर्ट व अंतरराष्ट्रीय कोर्ट में जाकर भी न्याय लेकर रहेंगे।