शीतल निर्भीक
लखनऊ।स्मार्ट हलचल/सट्टेबाजी व ऑनलाइन गेमिंग के नाम पर 70 करोड़ का अवैध कारोबार करने वाले एक बड़े गिरोह का पर्दाफाश हुआ है। मऊ और गोरखपुर पुलिस की संयुक्त कार्रवाई ने इस साइबर जालसाजी का खुलासा किया, जिसमें 30 लोगों को गिरफ्तार किया गया। हाई-फाई तकनीक और गरीबों के बैंक खातों के इस्तेमाल से चल रहे इस गोरखधंधे ने कई राज्यों को अपनी चपेट में ले रखा था।
पूरा मामला तब सामने आया जब वित्त मंत्रालय की फाइनेंस इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) ने मऊ निवासी सुमित यादव के खाते में एक महीने में 34 लाख रुपये के संदिग्ध लेन-देन की जानकारी दी। चौंकाने वाली बात यह थी कि सुमित ने अपना बैंक खाता महज 17,000 रुपये में छत्तीसगढ़ के अरविंद यादव को बेच दिया था।
पुलिस अधीक्षक इलामारन ने बताया कि इस मामले में गिरफ्तार हुए 30 लोगों में 5 उत्तर प्रदेश के हैं, जबकि बाकी आरोपी बिहार, छत्तीसगढ़ और अन्य राज्यों से ताल्लुक रखते हैं। गैंग के निशाने पर गरीब लोग थे, जिनके बैंक खातों का इस्तेमाल करोड़ों रुपये के अवैध लेन-देन के लिए किया जाता था।
गोरखपुर के पॉश इलाके जेमिनी पैराडाइज में हुई छापेमारी से यह रैकेट ध्वस्त हुआ। पुलिस ने मौके से कई लैपटॉप, मोबाइल फोन, और अन्य हाई-टेक गैजेट बरामद किए। गैंग बिना रजिस्टर्ड गेम अकाउंट के जरिए सट्टा खेलवाता था।
यह गिरोह इतने शातिर तरीके से काम करता था कि उनके खिलाफ पुलिस को महीनों तक सुराग जुटाने पड़े। गिरोह नवंबर 2024 से पुलिस की रडार पर था। छापेमारी में यह भी पता चला कि आरोपी ऑनलाइन गेमिंग प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल कर लोगों को फंसाते थे और मोटा मुनाफा कमाते थे।
गिरफ्तारी के बाद यह साफ हो गया कि गिरोह का नेटवर्क कई राज्यों तक फैला था। पुलिस अब इस बात की जांच कर रही है कि इसका मास्टरमाइंड कौन है और इस गिरोह के अन्य सदस्य कहां सक्रिय हैं।
पुलिस की इस धमाकेदार कार्रवाई ने साइबर अपराधियों के हौसले पस्त कर दिए हैं और आम जनता को सतर्क रहने का संदेश दिया है। सट्टा के इस काले खेल का पर्दाफाश कर पुलिस ने एक बड़ा कदम उठाया है। मामला अब गहराई से जांच के लिए सौंपा गया है।