इंडियन काउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (आईसीएमआर) के निदेशक डॉक्टर राजीव बहल ने इसी सप्ताह कहा था कि भारत में कोरोना वायरस के चार वैरिएंट पाए गए हैं.देश में एक बार फिर कोरोना वायरस पांव पसारने लगा है. कोविड-19 के लगभग 4,000 सक्रिय मामलों के बीच स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने सोमवार को आश्वासन दिया कि घबराने की कोई जरूरत नहीं है, क्योंकि संक्रमण की मौजूदा लहर से अस्पतालों पर अधिक बोझ पड़ने की संभावना नहीं है. स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से शेयर किए गए ताजा आंकड़ों के अनुसार, 4026 सक्रिय कोविड मामले हैं. 1 जनवरी, 2025 से अब तक कई राज्यों में मौतों की संख्या बढ़कर 37 हो गई है. इस बीच, 2700 लोगों को छुट्टी दे दी गई या वे चले गए, जो इसके संक्रमण दर में सुधार को दर्शाता है.
देश में कोरोना की तीन लहरें पहले भी आ चुकी हैं. इस दौरान बीमारी की गंभीरता इतनी अधिक रही कि बड़ी संख्या में लोगों की मौत हुई थी. इसके बाद सरकार ने व्यापक पैमाने पर टीकाकरण अभियान चलाया और बड़ी आबादी को टीका लगाया गया.
सवाल उठ रहा है कि क्या 2022 तक लगाए गए कोविड के टीके कोरोना के नए वैरिएंट के ख़िलाफ़ भी कारगर होंगे. क्या नए वैरिएंट के कारण कोरोना की नई लहर आने की आशंका है?
कोविड 19 के लक्षण
कोविड 19 में सूखी खांसी, बुखार और सांस फूलना इसके सामान्य लक्षण हैं. इस इंफेक्शन का असर फेफड़ों पर पड़ता है. जिससे फेफड़ों के टिश्यू और वायुमार्ग को नुकसान पहुंच सकता है. इससे छाती पर भारी पन महसूस हो सकता है.कोविड के वैरिएंट के अनुसार इसके लक्षणों में भी बदलाव देखने को मिल सकता है. कई केसेज में लोगों को खाने में किसी तरह का स्वाद नहीं आता है और कोई भी स्मेल महसूस नहीं होती है. इससे संक्रमित व्यक्ति के ठीक होने में लगने वाला समय इंफेक्शन के वैरिएंट पर निर्भर कर सकता है. सामान्य संक्रमित व्यक्ति दो हफ्तों में या उससे पहले रिकवर हो जाता है. कई केसेज में इसका लाॅन्ग टर्म इफेक्ट भी नजर आ सकता है.
किन लोगों को खतरा अधिक?
सांस रोगी: अगर पहले से ही सांस की बीमारी जैसे अस्थमा, लंग्स में फाइब्रोसिस आदि से जूझ रहे हैं तो विशेष एहतियात बरतने की जरूरत है. कोविड 19 भी रेस्पिरेटिरी सिस्टम पर ही इफेक्ट करता है. ऐसे में संक्रमण की चपेट में आना खतरनाक हो सकता है.
डायबिटीज और हाइपरटेंशन: ये दोनों बीमारी सामान्य हैं. लेकिन इस बीमारियों से जूझ रहे मरीजों के लिए कोविड 19 संक्रमण खतरनाक हो सकता है.
को-माॅर्बिडिटी सिचुएशन: ये स्थिति तब बनती है, जब व्यक्ति एक ही समय में एक से अधिक बीमारी से जूझ रहा होता है. ऐसे में कोरेाना संक्रमण जानलेवा हो सकता है. पूर्व में कोविड वेव के दाैरान ऐसे मरीजों में खतरा अधिक देखने को मिला था.
बच्चे और गर्भवती: हेल्थ एक्सपर्ट्स की ओर से बच्चों और गर्भवती महिलाओं को कोविड संक्रमण से बचाव के लिए विशेष एहतियात बरतने की सलाह दी जाती है.
गंभीर बीमारी के रोगी: कैंसर, किडनी डायलिसिस, ट्रांसप्लांट आदि गंभीर हेल्थ प्राॅब्लम से जूझ रहे मरीजों को कोविड संक्रमण से बचाव का ध्यान रखना चाहिए. इम्यूनिटी कमजोर होने के चलते संक्रमण की चपेट में आने का खतरा बढ़ जाता है.
ऐसे कर सकते हैं बचाव
- भीड़भाड़ वाली जगहों पर जाने से बचें. ऐसी जगहों पर संक्रमण का खतरा अधिक हो सकता है.
- घर से बाहर निकल रहे हैं तो मास्क जरूर पहनें.
- नियमित हाथ धोने की आदत बनाएं.
कोरोना वायरस के NB.1.8.1 और LF.7 – JN.1 वैरिएंट क्या हैं?
पहले आपको समझना होगा कि वैरिएंट का मतलब क्या है. कोई भी वायरस फैलने के लिए किसी होस्ट (चाहे वो इंसान हो या जानवर) को संक्रमित करता है, और वह अपनी बहुत सारी कॉपी बनाता है. इस तरह जब कोई वायरस अपनी कॉपी बनाता है, तो वह हमेशा अपनी एक सटीक कॉपी तैयार करने में सक्षम नहीं होता है. समय के साथ, वह वायरस अपने जीन सीक्वेंस (जीन किस तरह लाइन में लगे हैं) में थोड़ा अलग होना शुरू कर सकता है. इस प्रक्रिया के दौरान उस वायरस के जीन सीक्वेंस में किसी भी बदलाव को म्यूटेशन के रूप में जाना जाता है, और इन नए म्यूटेशन वाले वायरस को ही वेरिएंट कहा जाता है. वेरिएंट एक या एक से अधिक म्यूटेशन से भिन्न हो सकते हैं. NB.1.8.1 और LF.7 दोनों कोरोना के JN.1 वैरिएंट में बदलाव होने से बने हैं आनी वे उप-वंशावली हैं.