(मोहम्मद आज़ाद नेब)
जहाजपुर| स्मार्ट हलचल|एक तरफ देश आधुनिकता और विज्ञान की ओर बढ़ रहा है, वहीं दूसरी ओर कुछ लोग आस्था की आड़ में अंधविश्वास की दुकान सजाकर भोली-भाली जनता को गुमराह कर रहे हैं। ताजा मामला है नारियल वाले बाबा के नाम से चर्चित हो रहा है जो खुद को नि:संतान महिलाओं का भगवान बताकर प्रचारित कर रहा है।
राजनीतिक संरक्षण के चलते प्रशासन मौन?
माना जा रहा है कि इस कथित बाबा को स्थानीय राजनीति से संरक्षण मिला हुआ है, जिस कारण प्रशासन की आंखें मूंदे बैठा है। खुलेआम गांव-गांव धाम चलाकर और चमत्कार के नाम पर भावनाओं से खिलवाड़ कर रहा है, लेकिन न कोई जांच, न कोई कार्रवाई। जबकि स्थानीय विधायक गोपीचंद मीणा ने कहा था कि धाम चलाएं दुकान नहीं
सोशल मीडिया बना अंधविश्वास का मंच
Instagram पर ‘nariyal wale baba’ नाम की आईडी से ये बाबा खुद के ‘चमत्कारों’ का प्रचार कर रहा है। वीडियो में बाबा को नारियल देकर ‘औलाद देने वाला’ दिखाया गया है, और वहीं उनके संपर्क नंबर भी खुलेआम प्रचारित हो रहे हैं। बिना किसी मेडिकल प्रमाण के किए गए ये दावे सीधे तौर पर लोगों की भावनाओं और निजी पीड़ा का शोषण हैं।
आशा की किरण को अंधविश्वास में बदलना खतरनाक
भारत में देवी-देवताओं के प्रति आस्था होना सामान्य है, लेकिन इस आस्था को अंधविश्वास में बदल देना समाज के लिए एक खतरनाक संकेत है। संतान की चाह में दर-दर भटक रही महिलाओं के मन में आशा की किरण जगाकर उन्हें गुमराह करना न सिर्फ अमानवीय है बल्कि आपराधिक भी।
प्रशासन और समाज की जिम्मेदारी
ऐसे मामलों में प्रशासन की निष्क्रियता सवालों के घेरे में है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं की गई, तो यह प्रवृत्ति और अधिक फैल सकती है। समाज को भी जागरूक होना होगा और विज्ञान तथा तर्क की कसौटी पर ऐसे दावों को परखना होगा।
नारियल वाले बाबा जैसा मामला न सिर्फ अंधविश्वास को बढ़ावा देता है, बल्कि यह समाज की कमजोरियों का फायदा उठाने का एक क्रूर उदाहरण भी है। प्रशासन, स्वास्थ्य विभाग और समाज को मिलकर ऐसे ढोंगी बाबाओं पर लगाम कसनी होगी।