Homeभीलवाड़ाअफीम किसानों की कोटा नारकोटिक्स कार्यालय में बैठक आयोजित हुई

अफीम किसानों की कोटा नारकोटिक्स कार्यालय में बैठक आयोजित हुई

सवाईपुर ( सांवर वैष्णव ):- केंद्रीय नारकोटिक्स ब्यूरो भारत सरकार की ओर से हर वर्ष की भांति इस वर्ष की नारकोटिक्स कार्यालय कोटा में अफीम किसानों की मीटिंग आयोजित हुई, जिसमें आने वाली अफीम नीति 2026 में किसानों से कई किसान संगठनों से सुझाव मांगे गए । भारतीय किसान संघ चित्तौड़ प्रांत की ओर से यह सुझाव दिए गए व मांग की गई कि भारत सरकार किसानों के हित को ध्यान में रखते हुए वांछित सभी किसानों को लाइसेंस जारी करें व किसनो को शोषण मुक्त हो ऐसी व्यवस्था करें, इस दौरान सलाहकार मीटिंग में बद्री लाल जाट सोपुरा, बद्री लाल तेली बडला अफीम किसान संघर्ष समिति चित्तौड़ प्रांत, गोपाल अवलेश्वर प्रतापगढ़, प्रांत जैविक प्रमुख, मिट्ठू लाल चित्तौड़गढ़, विक्रम सिंह बारा प्रांत उपाध्यक्ष, सोहनलाल आंजना चित्तौड़गढ, किसान नेता रामकुमार जाट, जगदीश चंद्र सराना ने सलाहकार मीटिंग में प्रस्ताव रखें । जिनमें सीपीएस पद्धति के पट्टे जो पिछले वर्ष औसत की वजह से रोके गए उनको जारी किया जावे वह फसल वर्ष 24 25 में जिन किसानों ने 60 किलो प्रति 10 आरी औसत उपज दी हो उन्हें भी पट्टा जारी किया जाए । सीपीएस पद्धति से उत्पादित डोडा चूरा पिछले चार वर्षो का सरकार के पास गोदामों में संग्रहित पड़ा हुआ है जिसका अभी तक सरकार उपयोग नहीं ले पाई है; अतः सभी सीपीएस पद्धति वाले पट्टे लुवाई चिराई से अफीम (गोंद ) निकालने में जारी किए जाएं ताकि किसानों को पूरा रोजगार मिल सके । फसल वर्ष 1991-92 के अफीम पट्टे ऑनलाइन वर्तमान में विभाग की वेबसाइट पर है, इनको शून्य औसत पर जारी किए जावे उनको जारी नहीं किया 1995-96 से 1997-98 तक पिछले वर्ष 1924-25 मे जारी किया वह भी 25 की औसत पर जिससे कितने ही अफीम किसान वंचित रह गए थे इन 1991 सभी अफीम लाइसेंस को शून्य औसत या छपी लिस्ट के आधार पर जारी किया जाए । डोडा चूरा को एनडीपीएस एक्ट से बाहर निकालकर राज्यों के आबकारी एक्ट में शामिल किया जावे व इस धारा का अधिकांशतः दुरुपयोग ही हो रहा है । हर वर्ष अफीम नीति सितम्बर माह के प्रथम सप्ताह में हरहाल में घोषित होनी चाहिए क्योंकि यदि फसल बुवाई लेट होती है तो उत्पादन घटता है पिछले वर्ष की अफीम नीति पिछले 22 वर्षों में सबसे लेट हुई है अक्टूबर के प्रथम व मध्यम सप्ताहअफीम फसल की बुवाई मौसम के अनुकूल सही होती है । कई वर्षों से अफीम के रेट एक जैसे चल रहे हैं और हर वर्ष देश में महंगाई बढ़ती जा रही हैं महंगाई को देखते हुए सरकार से मांग है कि अफीम की कीमत में कम से कम₹10000 प्रति किलो की जाए जिससे किसानों को आर्थिक लाभ होगा । मजदूरी और दवाइयां का खर्च भी किसान आज की कीमत से नहीं निकल पा रहा है । धारा 8/ 29 को खत्म किया जाए क्योंकि यह धारा किसान विरोधी है । शिक्षित बेरोजगारों को अफीम के नए लाइसेंस दिए जावे । पहले 70 डिग्री गाड़ता पर 43से 48 की औसत वाले पहले किसानों को अफीम के लाइसेंस दिए जाते थे अब विभाग ने औसत को बढ़ाकर 60 कर दिए लेकिन डिग्री 70 तापमान को कम नहीं किया है रसायनों की अधिक मात्रा देने और बीज हाइब्रिड होने से अगर अफीम का उत्पादन बढ़ेगा तो क्वालिटी तो कमजोर होगी इसलिए अफीम की परख करने के मानकों में रियायत दी जाए 70 डिग्री की जगह 50 डिग्री तापमान को आधार मानकर अफीम की परख की जाए । अफीम की बुवाई को पहले की तरह दो प्लॉट में में बुवाई करवाई जावे । 1998 से 2015 तक के कमी औसत से रुके सभी लाइसेंस बहाल किया जावे ।।

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