“हर मिनट मायने रखता है” — स्ट्रोक जागरूकता में कृत्रिम बुद्धिमत्ता की नई क्रांति
समय पर पहचान, सही जानकारी और एआई की ताकत से बच सकते हैं जीवन : डॉ. विजय सरदाना
कोटा। स्मार्ट हलचल|विश्व स्ट्रोक दिवस के एकदिन पूर्व के न्यूरोलॉजी विभागाध्यक्ष सीनियर प्रोफेसर डॉ. विजय सरदाना ने स्ट्रोक के बढ़ते खतरे और कृत्रिम बुद्धिमत्ता (AI) की भूमिका पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि समय पर जागरूकता तथा उपचार से हजारों जीवन बचाए जा सकते हैं। परंतु डॉक्टर की सलाह पर ही कार्य करना चाहिए.
डा. सरदाना ने कहा कि स्ट्रोक मस्तिष्क में दिल के दौरे जैसा होता है,जब मस्तिष्क की रक्त आपूर्ति बाधित होती है। इसके दो मुख्य प्रकार हैं — इस्केमिक स्ट्रोक (ब्लॉकेज) और हैमरेजिक स्ट्रोक (रक्तस्राव)। एक और प्रकार टीआईए (ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक) होता है, जो भविष्य के बड़े स्ट्रोक की चेतावनी देता है। उन्होंने कहा कि हर मिनट मायने रखता है, क्योंकि देरी से पहुंचने वाले मरीजों में स्थायी मस्तिष्क क्षति का खतरा बढ़ जाता है।
भारत में स्ट्रोक का बढ़ता स्तर
भारत में हर साल लगभग 12—15 लाख नए स्ट्रोक मामले सामने आते हैं। चार में से एक व्यक्ति को जीवन में कभी न कभी स्ट्रोक का खतरा होता है।स्वास्थ्य रिपोर्टों के अनुसार देश में स्ट्रोक की वार्षिक दर 100,000 में 105–152 के बीच है, जबकि केवल 10 प्रतिशत मरीज ही समय पर अस्पताल पहुँच पाते हैं। स्ट्रोक अब न केवल बुजुर्गों, बल्कि कामकाजी उम्र के युवाओं में भी तेजी से बढ़ रहा है। पिछले 30 वर्षों में इसकी दर में 51 प्रतिशत तक की वृद्धि दर्ज की गई है। डा. सरदाना ने बताया कि उच्च रक्तचाप, मधुमेह, धूम्रपान, अस्वास्थ्यकर आहार और निष्क्रिय जीवनशैली प्रमुख जोखिम कारक हैं। रोकथाम ही सर्वोत्तम उपाय है। स्ट्रोक के लक्षण पहचानने के लिए उन्होंने FAST नियम समझाया – F (Face) : चेहरा टेढ़ा होना,A (Arm) : बांह में कमजोरी,S (Speech) : बोलने में कठिनाई,T (Time) : तुरंत चिकित्सा सहायता प्राप्त करें।
स्ट्रोक: जब हर सेकंड कीमती होता है
स्ट्रोक तब होता है जब मस्तिष्क की रक्त आपूर्ति अचानक बाधित हो जाती है।इसके दो प्रमुख प्रकार हैं —इस्केमिक स्ट्रोक (ब्लॉकेज) तथा हेमरेजिक स्ट्रोक (रक्तस्राव)। डॉ. सरदाना ने बताया कि “टीआईए यानी ट्रांजिएंट इस्केमिक अटैक” छोटा स्ट्रोक होता है जो बड़े खतरे की चेतावनी देता है। उन्होंने कहा कि बहुत से लोग शुरुआती संकेतों — चेहरा टेढ़ा होना, बांह में कमजोरी और बोलने में कठिनाई (FAST) — को पहचान नहीं पाते और देर से अस्पताल पहुँचते हैं, जिससे थक्का घोलने वाली जीवनरक्षक चिकित्सा बेअसर हो जाती है। इस वर्ष का थीम हर मिनिट महत्वपूर्ण है, इसलिए समय पर ईलाज करवाने से विकलांगता को कम किया जा सकता है।
स्ट्रोक देखभाल में एआई की भूमिका
डा. सरदाना ने बताया कि एआई आधारित सिस्टम अब स्ट्रोक पहचान, शिक्षा और पुनर्वास में अहम भूमिका निभा रहे हैं।ChatGPT और Gemini जैसे चैटबॉट्स लोगों को स्ट्रोक के लक्षण, जोखिम कारक और बचाव उपायों के बारे में सरल भाषा में समझाते हैं। इन प्लेटफॉर्म्स पर कोई भी व्यक्ति निशुल्क टाइप या वॉयस कमांड से पूछ सकता है
“स्ट्रोक के लक्षण क्या हैं?”
“मेरा स्ट्रोक जोखिम कैसे कम कर सकता हूँ?” इन एआई चैटबॉट्स के उत्तर लोगों को जीवनशैली सुधारने, रक्तचाप और शुगर नियंत्रण करने तथा सही समय पर डॉक्टर से परामर्श लेने के लिए प्रेरित करते हैं।डॉ. सरडाना ने बताया कि एआई टूल्स अब स्थानीय भाषाओं में भी संवाद कर सकते हैं, जिससे ग्रामीण और अर्धशहरी क्षेत्रों में जागरूकता तेजी से बढ़ रही है।
दिल्ली स्थित एक एआई-सक्षम न्यूज़रूम ने वर्ष 2024 में FAST अभियान संदेशों का 11 भारतीय भाषाओं में एक घंटे में अनुवाद कर 40 लाख लोगों तक पहुँचाया, जो तकनीक की संभावनाओं का उत्कृष्ट उदाहरण है।
राष्ट्रीय स्टॉक रजिस्ट्री का सेंटर है कोटा
डॉ. सरदाना ने कहा कि “हमारा लक्ष्य है कि कोई भी मरीज स्ट्रोक के शुरुआती लक्षणों को नजरअंदाज न करे।सही समय पर सही जानकारी मस्तिष्क को बचा सकती है।”एआईएमसीआर का राष्ट्रीय स्टॉक रजिस्ट्री का सेंटर राजकीय मेडिकल कॉलेज, कोटा है जहां डेटा संग्रहण का कार्य किया जाता है,देश में लगभग 5 ही ऐसे सेंटर है। यह सेंटर रोगियों के आकडे एकत्रित करने एवं भवष्यि के लिए उपयोगी रणनीति तैयार करने का आधार बनते है। इन स्ट्रोक में सर्वाधिक इस्केमिक स्ट्रोक (ब्लॉकेज) 83.3 प्रतिशत है।


