Homeराज्यउत्तर प्रदेश"2027 में अखिलेश की राजनीतिक विरासत संभालेगी बेटी अदिती?

“2027 में अखिलेश की राजनीतिक विरासत संभालेगी बेटी अदिती?

सपा की कमान सौंपने की तैयारी, कैसे तैयार हो रही हैं युवराज!”

शीतल निर्भीक
लखनऊ।स्मार्ट हलचल /उत्तर प्रदेश की सियासत में समाजवादी पार्टी (सपा) पिछले एक दशक से संघर्ष कर रही है। 2017 और 2022 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी के हाथों मिली शिकस्त के बाद, 2027 का चुनाव अखिलेश यादव और सपा के लिए अस्तित्व की लड़ाई बन चुका है। लेकिन सूत्रों की मानें तो, अखिलेश ने इस चुनाव को लेकर प्लान बी भी तैयार कर लिया है। अगर सपा एक बार फिर हार गई, तो पार्टी की कमान उनकी बेटी *अदिती यादव* को सौंपी जा सकती है।

अदिती यादव पहले से ही सपा की राजनीति में सक्रिय हैं। वह चुनावी रैलियों में पिता अखिलेश और मां डिम्पल यादव के लिए प्रचार करती नजर आती हैं। यादव बेल्ट में उन्हें ‘घर की बेटी’ कहा जाने लगा है, जो उनकी राजनीतिक स्वीकार्यता को दर्शाता है। अखिलेश भी अपनी बेटी को पार्टी की कमान सौंपने के लिए तैयार कर रहे हैं। अदिती ने लखनऊ के प्रतिष्ठित ला मार्टिनियर कॉलेज से स्कूली शिक्षा पूरी की है और वर्तमान में यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) से पॉलिटिक्स की पढ़ाई कर रही हैं। यह कदम साफ इशारा है कि अखिलेश उन्हें राजनीति के गुर सिखाकर भविष्य के लिए तैयार कर रहे हैं।

अदिती को अखिलेश का उत्तराधिकारी बनाने के पीछे कई रणनीतिक वजहें हैं। पहली बात, यूपी की राजनीति में यादव समुदाय एक बड़ा वोट बैंक है, और अदिती को इस समुदाय का समर्थन मिलने की उम्मीद है। दूसरी बात, यूपी में मायावती के बाद कोई बड़ी महिला नेता नहीं है, जिससे अदिती को इस खालीपन को भरने का मौका मिल सकता है। तीसरा, सपा पर अक्सर ‘महिला विरोधी’ होने का आरोप लगता है, और अदिती के नेतृत्व में पार्टी इस इमेज को बदलने की कोशिश कर सकती है।

वहीं, अखिलेश की पत्नी डिम्पल यादव को पार्टी की कमान सौंपने की संभावना कम ही दिखती है। डिम्पल का सरनेम शादी से पहले रावत था, जिसे लेकर यादव समुदाय के एक बड़े वर्ग में संशय है। साथ ही, डिम्पल की छवि एक सॉफ्ट और सीधी-सादी नेता की है, जबकि अखिलेश चाहते हैं कि पार्टी की कमान एक ऐसे नेता के हाथों में हो जो कठिन फैसले ले सके।

2027 का चुनाव सपा के लिए निर्णायक साबित होगा। अगर सपा इस चुनाव में बेहतर प्रदर्शन करती है, तो अखिलेश का नेतृत्व बना रह सकता है। लेकिन अगर पार्टी एक बार फिर हार जाती है, तो अदिती यादव को सपा की कमान सौंपने की प्रक्रिया तेज हो सकती है। फिलहाल, अदिती अपनी पढ़ाई पूरी करने और राजनीति का गहन अध्ययन करने में व्यस्त हैं, ताकि भविष्य में वह पार्टी को मजबूती से लीड कर सकें।

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