गोगुन्दा 6 अगस्त/स्मार्ट हलचल/जो सम्यक दृष्टि है,वह दूसरों के दोषों को नही ,गुणों को ही देखता है।संसार मे अच्छाइयां भी है और बुराइयां भी है।हमारा दृष्टिकोण अच्छाइयों को अपनाने का रहना चाहिए।किसी के जीवन मे यदि बुराइयां है,तो उसे हमसे क्या लेना देना है?उसे देखकर हमे गुणपरक दृष्टिकोण रखना चाहिए।मधुमक्खी और मख्खी को हमने देखा है।मधुमक्खी कभी गंदगी पर नही बैठती।वह हमेशा फूलों पर गुनगुनाती है।जबकि मख्खी गंदगी पर भिनभिनाती है।संत ने कहा हमे फूलों से मंडराने वाली मधुमक्खी से प्रेरणा लेनी चाहिए।जैन दर्शन दृष्टि की विशुद्धि पर बल देता है।व्यक्ति का दृष्टिकोण सदैव विशुद्ध रहना चाहिए।जिसका दृष्टिकोण स्वस्थ है,वह इस संसार मे सैदव गुण ग्राहक रहता है। हमारा दृष्टिकोण हंस की तरह रहना चाहिए।क्योंकि हंस कंकडों के ढेर में से मोती को चुग लेता है एवं कंकडों को छोड़ देता है।प्रवीण मुनि ने कहा ममत्व को त्यागने वाला हमेशा सुखी होता है।आत्मा का कल्याण होता है।जहाँ अज्ञान है,वहां ममत्व का भाव अधिक दृष्टिगोचर होता है।मुनि ने कहा संसार संपूर्ण रूप से दुखो से भरा हुआ है।विषयो का विष जिसमें घुल जाता है,उसे न तो जीते बनता है और न ही मरते बनता है।जिसकी आत्मा पर पड़ा अज्ञान का पर्दा हट जाता है,वह आनन्द के सागर में उतर जाता है।रितेश मुनि ने कहा कि ज्ञान से ध्यान की सिद्धि होती है।ध्यान से सब कर्मो की निर्जरा होती है और निर्जरा का फल मोक्ष है।मानव जीवन मे जो उजाला ज्ञान भरता है,वैसा उजाला अन्य स्त्रोत से प्राप्त नही हो सकता।सूर्य का प्रकाश तो जहां तक रश्मियां पहुंचती है,वही तक सीमित है,मगर ज्ञान का उजाला तो तीनों लोक में रहता है।प्रभातमुनि ने कहा आज फेशन और व्यसन में व्यक्ति डूबा हुआ रहता है।व्यसन मृत्यु के द्वार पर ले जाने वाला है।व्यसनों में चरित्र का नाश होता है।जो पुरूषार्थ को त्याग देता है,वही मृत्यु के पथ का अनुगामी बनता है।जैन धर्म मानव के पुरुषार्थ का धर्म है।स्थानक भवन में आज मेहमानों का स्वागत किया गया।गोगुन्दा निवासी दिव्या रोशनलाल बाफना और शांता प्रदीपकुमार सिंघवी के छह उपवास की तपस्या का प्रत्याख्यान और महावीर गौशाला परिवार की तरफ से स्वागत और अभिनंदन किया गया।इस बीच सोहनलाल मांडोत देवीलाल चपलोत शांतिलाल बम्बोरी दिलीपकुमार सेठ आदि उपस्थित रहे।
फोटो-दिव्या बाफना एवं शांता सिंघवी का माला ओर शाल ओढ़ाकर स्वागत करती महिला मंडल की बहने एवं संत से आशीर्वाद ग्रहण करती हुई तपस्विनी- महावीर जैन गौशाला