कोटा।स्मार्ट हलचल|सुवि नेत्र चिकित्सालय एवं लेसिक लेजर सेंटर, कोटा ने नेत्र चिकित्सा के क्षेत्र में एक उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। 74 वर्षीय अशोक कुमार झा, जो पटना (बिहार) के निवासी हैं, को वर्षों बाद फिर से स्पष्ट दृष्टि मिल पाई है। झा पिछले 13 वर्षों से रीढ़ की गंभीर चोट और हृदय रोग के कारण पीठ के बल सीधे लेट नहीं पाते थे। इस वजह से देश के बड़े-बड़े नेत्र चिकित्सालयों में भी उनका मोतियाबिंद ऑपरेशन संभव नहीं हो सका था।
2012 में लाठीचार्ज की घटना में गंभीर चोट के बाद झा को डायाफ्रैगमेटिक पॉल्सी हो गई थी, जिससे सामान्य एनेस्थीसिया देना जोखिमपूर्ण था। वे रात में भी बायपैप मशीन के सहारे रिक्लाइनिंग अवस्था में सोते थे। दृष्टि धीरे-धीरे कम होती जा रही थी, लेकिन मेडिकल जटिलताओं के कारण एम्स दिल्ली, पटना और अहमदाबाद जैसे संस्थानों ने भी ऑपरेशन से मना कर दिया।
यूट्यूब पर सुवि नेत्र चिकित्सालय द्वारा प्लास्टिक कुर्सी पर किए गए एक ऑपरेशन का वीडियो देखने के बाद झा ने नेत्र सर्जन डॉ. विदुषी पाण्डेय से संपर्क किया। वरिष्ठ नेत्र सर्जन डॉ. सुरेश पाण्डेय ने मॉक ड्रिल के जरिए मरीज को ऑपरेशन पोजीशन का अभ्यास कराया।
ऑपरेशन के दिन उन्हें बायपैप मशीन के साथ ऑपरेशन टेबल पर 45 डिग्री रिक्लाइनिंग पोजीशन में बैठाया गया। टॉपिकल एनेस्थीसिया देकर फेको इमल्सिफिकेशन तकनीक से मात्र 10 मिनट में मोतियाबिंद हटाकर 22 नंबर का टेक्निस मोनोफोकल लेंस लगाया गया। पूरी प्रक्रिया बिना टांके, बिना इंजेक्शन और बिना पट्टी के पूरी हुई।
ऑपरेशन के दौरान निश्चेतना विशेषज्ञ डॉ. विजय गोयल का विशेष योगदान रहा। परिणामस्वरूप झा की दोनों आंखों की 100 प्रतिशत दृष्टि वापस आ गई। परिवार ने कहा—“जहां देश के कई अस्पताल पीछे हट गए, वहीं कोटा के डॉक्टरों ने असंभव को संभव कर दिखाया।”


