राजेश जीनगर
भीलवाड़ा । नगर परिषद द्वारा अवैध अतिक्रमण की शिकायत को लेकर बाहेती पैलेस के एक कौने को तोड़ने पहुंचे अतिक्रमण दस्ते को न्यायालय स्टे के बाद बैरंग लौटना पड़ा और लंबी कानुनी लड़ाई के बाद आखिरकार वहां आए एक बड़ा कॉम्प्लेक्स बना हुआ है। लेकिन ताजुब की बात ये है की इसी कॉम्प्लेक्स की जगह विवादित रही थी और यही जगह फिर से विवाद में है। इसके पीछे कारण नगर परिषद के जिम्मेदारों की अनदेखी है, जहां बिना पार्किंग के नक्शे के कॉम्प्लेक्स निर्माण की स्वीकृति दे दी। इसी कौने से सटे अन्य कॉम्प्लेक्स के भी यही हालात नज़र आए। इसके बाद ट्रस्ट को आवंटित जमीन पर आंनद धाम हवेली के नाम से बनाए गए मंदिर के दरवाजे से नाले को ही नहीं ढका बल्कि नियम विरुद्ध दुकानें तक निकाल दी गई। जानकार सूत्रों की मानें तो इसकी नगर परिषद को शिकायत भी की गई और परिषद द्वारा बाहेती को तीन बार नोटिस भी जारी किया गया और दुकानों को सीज करने के आदेश भी जारी हुए, लेकिन बात सिर्फ नोटिस देने तक ही सीमित होकर रह गई। इसके बाद आरटीआई के तहत मंदिर को आवंटित जमीन और निर्माण की पत्रावली मांगी गई। लेकिन वह भी आरटीआई कार्यकर्ता को उपलब्ध नहीं करवाई गई। नतीजतन सरकारी नाले पर निजी कब्जा कर दुकानें निकाल दी गई और मुख्य द्वार का भी नाले तक निर्माण कर दिया गया और अभी तक नगर परिषद के जिम्मेदार कुंभकर्णी नींद में है। अब बड़ा सवाल ये उठता है की क्या नगर परिषद से नगर निगम होने के बाद भीलवाड़ा के हालात सुधरेंगे, अवैध अतिक्रमण व अवैध कब्जों पर निगम हरकत में आएगा, क्या इनके खिलाफ कोई कार्यवाही होगी, चरमराई अव्यवस्थित यातायात व्यवस्था सुधरेगी। क्योंकि शहर में कुकुरमुत्ते की तरह एकाएक बढ़े कॉम्प्लेक्स में नियमों को दरकिनार कर निर्माण स्वीकृति दी गई है और कहीं भी अंडरग्राउंड पार्किंग नहीं होने से दुपहिया वाहनों के रोड पर खड़े होने से यातायात तो बाधित होता ही है, अक्सर जाम के हालात भी बनते हैं।
(नोट: पुरा प्रकरण नगर परिषद रहने के दौरान का है, इसलिए कहीं नगर निगम नहीं लिखा गया है)